प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister of India) ने शुक्रवार को बताया कि वर्ष 2012-13 में जितने टैक्स रिटर्न्स होते थे, उसमें से 0.94 परसेंट की स्क्रूटनी होती थी. वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 परसेंट पर आ गया है. यानि केस की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है. स्क्रूटनी का 4 गुना कम होना, अपने आप में बता रहा है कि बदलाव कितना व्यापक है. बीते 6 साल में भारत ने tax administration में governance का एक नया मॉडल विकसित होते देखा है.
वित्त मंत्रालय का कहना है कि इससे पहले 2017-18 में यह अनुपात 0.55 प्रतिशत था. वित्त मंत्रालय ने Tweet में कहा-आयकर विभाग अब केवल आयकर कानून का प्रवर्तन करने वाली इकाई से आगे बढ़कर टैक्स पेमेंट सेवाओं को बेहतर बनाने वाले विभाग के तौर पर अपने में बदलाव ला रहा है. बीते कुछ साल में जांच के लिए चुने जाने वाले आयकर रिटर्न की संख्या में भारी कमी आई है.
2015-16 में ऐसे कुल रिटर्न की संख्या 0.71 प्रतिशत थी जो 2016-17 में कम होकर 0.40 प्रतिशत, 2017-18 में 0.55 प्रतिशत और 2018-19 में 0.25 प्रतिशत रह गई. मंत्रालय ने सभी राज्यों में दाखिल रिटर्न की संख्या और कुल दाखिल रिटर्न में से Scrutiny में आए रिटर्न का प्रतिशत दिया गया है.
पिछले 4 साल में जांच की दर सबसे कम है. 2016-17 में, दाखिल 0.40% रिटर्न की Scrutiny की गई जबकि 2017-18 में 0.55% मामलों की जांच की गई.यही नहीं 2018-19 में दाखिल रिटर्न की संख्या 2017- 18 के मुकाबले बढ़ी है.
मसलन ओडिशा में 2018-19 के दौरान स्क्रूटनी वाले मामलों की संख्या घटकर 0.12 प्रतिशत रह गई जो एक साल पहले 0.37 प्रतिशत पर थी. पंजाब में यह इस दौरान 0.40 प्रतिशत से घटकर 2018-19 में 0.14 प्रतिशत रह गई. ओडिशा में 2018-19 में 10.29 लाख रिटर्न भरे गए जबकि 2017-18 में यह संख्या 8.31 लाख थी. पंजाब में इस दौरान 27.65 लाख और 23.44 लाख रिटर्न दाखिल हुए.
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