प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आज ईमानदार टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी घोषणा की है. 21वीं सदी के टैक्स सिस्टम की इस नई व्यवस्था का आज लोकार्पण किया गया है. इस प्लेटफॉर्म में Faceless Assessment, Faceless Appeal और Taxpayers Charter जैसे बड़े रिफॉर्म्स हैं. इस नए सिस्टम से ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए जुगाड़ और सिफारिश खत्म होगी. सिस्टम फेसलेस होने के कारण आयकर विभाग का प्रभाव जमाने का चक्कर भी खत्म हो जाएगा. आइए आपको बताते हैं PM मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें...
पीएम ने कहा कि देश में चल रहा आधारभूत बदलाव का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर पहुंचा है. इस प्लेटफार्म में फेसलेस स्टेटमेंट, फेसलेस अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर की योजना है. फेसलेस स्टेटमेंट और टैक्सपेयर्स की सुविधा आज से ही शुरू हो गई है. फेसलेस अपील की सुविधा 25 सितंबर से पूरे देश में नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी. अब टैक्स सिस्टम भले ही फेसलेस हो रहा है. लेकिन टैक्सपेयर्स को फेयरनेस का विश्वास दिलाने वाला है.
पीएम ने कहा कि देश में टैक्स को भी कम किया गया है. 5 लाख आय पर टैक्स जीरो है. बाकी स्लैब पर भी टैक्स कम हुआ है. कॉरपोरेट टैक्स के मामले में हम दुनिया में सबसे कम टैक्स लेने वाले हैं. सीमलेस, पेनलेस और फेसलेस हो टैक्स सरकार इसकी कोशिश में लगी हुई है. आज से लागू होने वाले ये सुधार इसी सोच को आगे बढ़ाने वाले हैं.
मोदी ने कहा कि नई व्यवस्था से प्रभाव और दबाव का मौका जीरो हो गया है. आयकर विभाग को इससे लाभ होगा कि अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचेंगे. ट्रांसफर, पोस्टिंग में लगने वाली अनावश्यक ऊर्जा नहीं लगेगी. करदाता और इनकम टैक्स दफ्तर को जान पहचान बनाने का.
पीएम ने कहा प्रभाव और दवाब का मौका अब जीरो हो गया है. सब अपने अपने दायित्व के हिसाब से काम करेंगे. विभाग को इससे लाभ यह होगा कि अनावश्यक मुकदमेबाजी खत्म होगी. ट्रांसफर-पोस्टिंग वाली गैरजरूरी ऊर्जा से भी राहत मिलेगी.
पीएम ने कहा देश का ईमानदार टैक्सपेयर्स राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. जब टैक्सपेयर्स का जीवन आसान बनता है, वह आगे बढ़ता है तो देश भी आगे बढ़ता है. आज से शुरू हो रही नई व्यवस्थाएं मिनिमम गर्वनेंट और मैक्सिम गर्वनेंस की प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है. देशवासियों के जीवन से सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है.
कम से कम कानून हो और जो कानून हो वह बहुत साफ हो. इससे टैक्सपेयरर्स भी खुश होता है. बीते कुछ साल से ऐसे कदम उठाए जा रहा है. जीएसटी आया, रिटर्न व्यवस्था को आनलाइन किया गया. बेवजह के दस्तावेज जुटाने को मुक्ति मिल गई है. अब हाई कोर्ट में 1 करोड़ रुपये तक के और सुप्रीम कोर्ट में 2 करोड़ रुपये तक के केस की सीमा तय की गई है. विवाद से विश्वास जैसी योजना में कोशिश ये है कि ज्यादातर मामले कोर्ट से बाहर ही सुलझ जाएं. बहुत कम समय में ही करीब 3 लाख मामलों की सुलझाया जा चुका है.
विदेशी निवेशकों का विश्वास भी भारत पर बढ़ रहा है. कोरोना संकट के दौरान भी भारत में बड़े पैमाने पर FDI का आना इसका सबूत है. आयकर का नोटिस फरमान की तरह बन गया. देश के साथ छल करने वाले कुछ मुट्ठी भर लोगों को पहचान के लिए बहुत लोगों को अनावश्यक परेशानी से गुजरना पड़ा. इस विसंगति के बीच ब्लैक और वाइट का उद्योग भी फलता-फूलता गया. इस व्यवस्था ने ईमानदारी से व्यापार करने वालों को और देश की युवा शक्ति की आकांक्षाओं को प्रोत्साहित करने के बजाय कुचलने का काम किया.
टैक्सपेयर्स चार्टर क्या है? अगर आसान भाषा में समझें तो ये चार्टर एक तरह का लिस्ट होगा, जिसमें टैक्सपेयर्स के अधिकार और कर्तव्य के अलावा टैक्स अधिकारियों के लिए भी कुछ निर्देश होंगे. इसके जरिए करदाताओं और इनकम टैक्स विभाग के बीच विश्वास बढ़ाने की कोशिश की जाएगी. इस चार्टर में टैक्सपेयर्स की परेशानी कम करने और इनकम टैक्स अफसरों की जवाबदेही तय करने की व्यवस्था होगी. इस समय दुनिया के सिर्फ तीन देशों- अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में ही यह लागू है. इन देशों में लागू टैक्सपेयर्स चार्टर की कुछ बातें कॉमन हैं. उदाहरण के लिए जब तक यह साबित न हो जाए कि करदाता ने टैक्स चोरी या गड़बड़ी की है, तब तक उसे ईमानदार करदाता मानना होगा. इसका मतलब ये है कि बेवजह नोटिस भेजकर दबाव नहीं डाला जाएगा.
पिछले कुछ सालों में आयकर भरने वालों की संख्या में ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है. लेकिन 130 करोड़ लोगों में से बहुत कम लोग ही टैक्स दे रहे हैं. मैं देश को इसपर चिंतन करना होगा. ये जिम्मेदारी सिर्फ टैक्स विभाग की नहीं है. यह जिम्मेदारी हर भारतीय की है. जो टैक्स देने में सक्षम है लेकिन अभी वो टैक्स नेट में नहीं है वह अपनी आत्मा से पूछकर टैक्स दें.
सोच और एप्रोच दोनों बदलनी होगी हमारे लिए सुधार का मतलब है, यह नीति आधारित हो, टुकड़ों में नहीं हो और एक सुधार दूसरे का आधार बने. ऐसा नहीं है कि एक बार सुधार करके रुक गए. यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है. बीते कुछ वर्षों में देश में 1500 से ज्यादा कानूनों को समाप्त किया गया है. ईज आफ डूइंग में भारत कुछ साल पहले 134वें नंबर पर था. आज भारत की रैंकिंग 63 है. इसके पीछे सुधार है.
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