मिंडोरा इलाके के जंगल में वन अमले की जान उस समय सांसत में आ गई जब उनका सामना बाघिन से हो गया। बाघिन की दहाड़ सुनकर वन कर्मी जान बचाकर भागे। दरअसल वन कर्मचारियों को जानकारी मिली थी कि बाघिन ने एक भैंस के पाड़े (बच्चे) का शिकार किया है। इसके बाद रेंजर एके झंवर पूरे अमले के साथ मौके पर पहुंच गए। जहां उन्होंने पाया कि बाघिन ने पाड़े का शिकार किया है। जैसे ही वन कर्मचारी ट्रेप कैमरा लेकर बांधने के लिए जा ही रहे थे कि बाघिन दहाड़कर सामने आ गई। वन कर्मचारी तुरंत गाड़ियों पर चढ़ कर अपनी जान बचाई। वन अधिकारियों का कहना है कि बाघिन अपने शावकों को अब भोजन करना सिखा रही है। यह बाघिन 123-1 है। जिसने हाल ही में शावकों को जन्म दिया है।
समरधा रेंज के रेंजर एके झंवर ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि बाघिन ने शिकार किया है। जैसे ही सूचना मिली वैसे ही वे स्टॉफ के साथ मौके पर पहुंच गए। जब वे शिकार के पास ट्रेप कैमरा बांधने के लिए लोकेशन ट्रेस कर रहे थे तभी बाघिन झाड़ियों से निकल आई। दहशत की वजह से कर्मचारी गाड़ियों में बैठ गए तो सड़क पर आ गए तो बाघिन गाड़ी का पीछा करते हुए सड़क पर आ गई। वह गाड़ियों पर बैठकर नजर रख रहे अमले को देखकर लगातार दहाड़ती रही। वह तकरीबन दो घंटे तक शिकार के पास बनी रही। उन्होंने बताया कि इस बीच अमले ने सड़क पर पूरा ट्रैफिक रोक दिया था। ताकि कोई दुर्घटना न हो। झंवर ने बताया कि उन्होंने इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी। जिसके बाद एसडीओ सहित वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
बाघिन ने अमले के सामने नहीं आने दिया शावकों को
झंवर का कहना है कि बाघिन दो घंटे तक शिकार के आसपास बनी रही। जब तक पूरी टीम मौके पर मौजूद रही उसने शावकों को सड़क पर नहीं आने के संकेत भी दिए जिससे शावक झाडिय़ों में दुबके रहे। उन्होंने बताया कि बाघिन के व्यवहार को समझते हुए वरिष्ठ अधिकारियों ने सभी को शिकार के पास से गाड़ियों को हटाने के निर्देश दिए उसके बाद बाघिन शिकार को घसीटते हुए जंगल के अंदर ले गई। शावक भी तेजी से बाघिन के साथ जंगल में गायब हो गए। उन्होंने बताया कि संभवत: बाघिन अब शावकों को दूध पिलाने के साथ साथ शिकार खिलाना सिखा रही है। उनका कहना है कि पहली बार बाघिन का आक्रामक रुप देखा। वह शावकों की सुरक्षित जंगल में ले जाने के लिए दो घंटे तक शिकार शावकों के पास डटी रही और बराबर दहाड़कर चेतावनी देती रही।
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