Ganesh Chaturthi 2020 गुनेश्वर सहारे बालाघाट। नईदुनिया। वारासिवनी तहसील के ग्राम दीनी निवासी दो दिव्यांगों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। दोनों में प्रतिमा गढ़ने का जुनून है। वे गोबर से भगवान गणेश की प्रतिमा बनाने में हुनर दिखा रहे हैं। गोबर से गणेश प्रतिमा बनाने का मकसद पर्यावरण और जल को प्रदूषित होने से बचाने का प्रयास है। इस साल मिट्टी से बनी प्रतिमा की जगह गोबर की प्रतिमा लेगी।
ग्राम दीनी में दिव्यांगों को प्रतिमा निर्माण करते देख हर कोई हैरान है। सुखचंद 15 साल से बना रहा प्रतिमा सुखचंद सहारे (35) ने बताया कि हर साल वह मिट्टी से गणेश प्रतिमा बनाता था। इस साल गोबर से गणेश प्रतिमा बनाने का अवसर मिलने पर सांचे के माध्यम से कला का प्रदर्शन कर रहा है। उनके बचपन से दोनों पैर नहीं हैं पर वह प्रतिमा गढ़ने में किसी सिद्ध मूर्तिकार से कम नहीं है। इस साल उसे गोबर से भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा बनाने का आइडिया आया। अमृत गोशाला में बनाई जा रही गोबर की प्रतिमा का नागपुर से ऑर्डर आया।
दिव्यांग ऐसे बनाता है मूर्ति
दोनों आंखों से दिव्यांग संजय (23) पिता सुंदर डहारे कोई भी काम आभास यानी हाथ लगाकर स्पर्श करके करता है। गांव में पहली बार गोबर से गणेश प्रतिमा सांचे से बनाने की जानकारी मिलने पर वह अपने आपको रोक नहीं पाया और अमृत गोशाला में बनाई जा रही गणेश प्रतिमा बनाने तैयार हो गया। वह नागपुर से लाए गए तीन प्रकार के सांचे से भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा बनाने में सुबह से जुट जाता है। संजय ने बताया कि उसने आइटीआइ का डिप्लोमा लिया है। यह पहला साल है कि सांचे से प्रतिमा बनाने सफलता मिली है।
नंबर गेम
यह है गणेश कथा - 05 हजार प्रतिमाएं ग्राम दीनी से भेजी जाएंगी नागपुर। - 06 इंच गणेश प्रतिमा का मूल्य 150 रुपये। - 09 व 11 इंच गणेश प्रतिमा 200 रुपये में। - 500 प्रतिमाएं एक सप्ताह में की जा रही हैं तैयार। - 01 किलो गोबर के पाउडर में दो एमएल सेट्रोनिला ऑइल, 10 ग्राम नीम, 10 ग्राम मादर, 10 ग्राम गवारगम। - 10 से 15 मजदूरों को रोजाना मिल रहा रोजगार। - 50 गणेश प्रतिमाएं रोजाना हो रहीं तैयार। (खास - गणेश प्रतिमा में लौकी, कद्दू, तुरई, मूनगा, सेमी के बीज से कुंड में विसर्जन करने पर उगेंगी सब्जियां।)
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