Chhattisgarh News : तिल्दा-नेवरा। हर साल श्राद्ध समाप्ति के अगले दिन होने वाली नवरात्रि पूजा और कलश स्थापना इस बार अधिक मास लगने से नहीं होगी। अधिक मास से इस साल नवरात्रि और अन्य तीज त्योहार 20 से 25 दिन की देरी से होंगे। इस बार लीप वर्ष होने के कारण ऐसा हो रहा है, इसीलिए 4 माह पहले का चतुर्मास इस बार 5 महीने का होगा। ज्योतिष की माने तो 160 साल बाद लीप ईयर और अधिक मास दोनों ही एक साल में हो रहे हैं। चतुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व होता है, इस दौरान देव सो जाते हैं देवउठनी एकादशी के बाद ही देव जागते हैं।
पंडित संतोष शर्मा के अनुसार इस साल 17 सितंबर को श्राद्ध खत्म होंगे, इसके अगले दिन अधिक मास शुरू होगा जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। 17 अक्टूबर से नवरात्रि व्रत रखे जाएंगे। 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। साथ ही चतुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन आदि शुरू होंगे।
विष्णु भगवान निद्रा से जाएंगे
विष्णु भगवान के निद्रा में जाने से इस काल को देवशयन काल माना जाता है। चतुर्मास में नकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं, इस मास में दुर्घटना आत्महत्या आदि जैसी घटनाओं की अधिकता होती है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए मनीषियों ने चतुर्मास में एक ही स्थान पर गुरु यानी ईश्वर की पूजा करने को महत्व दिया है, इससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
ज्योतिष पंडित पवन शास्त्री रीवा वाले के अनुसार ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा पर निवास करते हैं। इस दौरान ब्रह्मांड की सकारात्मक शक्तियों को बल पहुंचाने के लिए व्रत पूजन और अनुष्ठान का भारतीय संस्कृत में अत्याधिक महत्व है। सनातन धर्म में सबसे ज्यादा त्योहार और उल्लास का समय भी यही है। चतुर्मास के दौरान भगवान विष्णु की पूजा होती है।
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