एक्टर, डायरेक्टर और फिल्म लेखक सतीश कौशिक (Satish Kaushik) ने मायानगरी मुंबई में 41 साल पूरे कर लिए हैं. एनएसडी (NSD) और एफटीआईआई (FTII) के एल्युमिनाई सतीश कौशिक ने बॉलीवुड में धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ियां चढ़ीं. उन्होंने ट्वीट कर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में अपने करियर के 41 सालों का जिक्र किया है और इस दौरान होने हुए संघर्ष की जानकारी दी है.
एक थ्रोबैक फोटो शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, ''मैं 9 अगस्त 1979 को पश्चिम एक्सप्रेस से मुंबई एक्टर बनने आया था. 10 अगस्त मुंबई में मेरी पहली सुबह थी. मुंबई ने मुझे काम, दोस्त, पत्नी, बच्चे, घर, प्यार, स्ट्रगल, जीत, हार और खुशी से रहने की हिम्मत दी है. मुंबई और उन सभी को सुप्रभात जिन्होंने मुझे मेरे सपनों से कहीं अधिक दिया. धन्यवाद.''
इस फोटो में सतीश प्लेटफॉर्म पर ट्रेन की विंडो सीट के बगल में खड़े नजर आ रहे हैं. हाथ में बैग और एक सूटकेस लिए वह मुंबई में अपने सपनों को पूरा करने के लिए आए थे.
बता दें कि फिल्मों में आने से पहले एनएसडी से मुंबई आकर कौशिक ने एक टैक्सटाइल मिल में 400 रुपये प्रतिमाह वेतन पर नौकरी की थी और एक साल तक करते रहे. हालांकि इस दौरान उन्होंने थिएटर से रिश्ता बनाए रखा. थिएटर से कौशिक का रिश्ता स्कूल और कॉलेज के ज़माने से ही रहा था.
फिल्म फ्लॉप होने के बाद सुसाइड करने चले गए थे सतीश कौशिक
1993 की फिल्म रूप की रानी चोरों का राजा से सतीश कौशिक के निर्देशक बनने की कहानी भी दिलचस्प है. रूप की रानी चोरों का राजा और फिल्म प्रेम के लिए ओरिजनल पसंद डायरेक्टर शेखर कपूर थे लेकिन शेखर ने क्रिएटिव मतभेद के कारण दोनों फिल्मों को निर्देशित करने से मना कर दिया था. तब शेखर के सहायक रह चुके कौशिक इन फिल्मों के डायरेक्टर बने.
रूप की रानी चोरों का राजा अपने समय की सबसे महंगी फिल्म थी. इसकी स्टारकास्ट में उस समय के सुपरस्टार्स थे. इसके बावजूद यह फिल्म और कौशिक की अगली फिल्म प्रेम दोनों बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल रहीं. तब कौशिक के नाम के साथ बैडलक शब्द जुड़ गया था और बतौर डायरेक्टर उनका करियर अंत की कगार पर था. हालांकि उन्होंने बाद में खुद को सिद्ध किया.
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