Sunday, 25th May 2025

बैठक:वन अधिकार पत्र बांटने में गुजरात एमपी को पीछे छोड़ा छत्तीसगढ़ ने

Sat, Aug 8, 2020 5:11 PM

  • सीएम भूपेश ने की समीक्षा, मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी मुख्य सचिव को दी
 
 

वनवासी आदिवासियों को वन अधिकार पत्र बांटने के मामले में छत्तीसगढ़ ने भाजपा शासित मध्य प्रदेश और गुजरात के साथ ही महाराष्ट्र और ओडीशा को भी पीछे छोड़ दिया है। राज्य में अब तक 4 लाख 84 हजार 975 व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार पत्र बांटे गए हैं जबकि मध्य प्रदेश में 2 लाख 56 हजार 997, गुजरात में मात्र 93 हजार 704, महाराष्ट्र में 1 लाख 72 हजार 116 और ओडिसा में 4 लाख 43 हजार 761 वन अधिकार पत्र बांटे गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता वाली योजना में तेजी लाने जिम्मेदारी अब मुख्य सचिव आरपी मंडल को दी है।

उन्होंने वन अधिकार दावों के निरस्त होने पर नाराजगी जताते हुए सभी दावों पर पुनर्विचार कर पात्र हितग्राहियों को जल्द से जल्द मान्यता पत्र देने के निर्देश दिए। शुक्रवार को मुख्यमंत्री प्रदेश में वनवासियों को दिए जा रहे वनाधिकार पत्रों के वितरण के मामलों की समीक्षा कर रहे थे। इस दौरान सीएम बघेल ने कहा कि जिन्हें मान्यता पत्र मिल गया है, उनकी जमीनों को समतल कराने के साथ ही मेढ़ बांधने का काम कराया जाए। साथ ही सिंचाई के लिए नलकूप, कुएं खोदने में भी मदद की जाए। इसके अलावा उनको खेती किसानी के लिए खाद बीज और कृषि उपकरण भी उपलब्ध कराएं।

95 हजार से ज्यादा के लिए बने पीएम आवास

प्रदेश में अब तक 95 हजार 957 लोगों को वन अधिकार मान्यता पत्र दिए जा चुके हैं। इन हितग्राहियों के पीएम योजना के तहत आवास बनाए गए हैं। वहीं प्रदेश में 4 लाख 22 हजार व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र के तहत 3 लाख 81 हजार 148 हेक्टेयर वन भूमि वितरित की गई है। इसी प्रकार 30 हजार 900 सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र के तहत 12 लाख 37 हजार 822 हेक्टेयर वन भूमि वितरित की गई है। नई सरकार में निरस्त किए गए वन अधिकार मान्यता पत्रों की समीक्षा के बाद एक जनवरी 2019 से अब तक 26 हजार 924 व्यक्तिगत वन अधिकार के दावे स्वीकृत किए गए, इनमें से 16 हजार 716 व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्रों के तहत हितग्राहियों को 6 हजार 835 हेक्टेयर वन भूमि वितरित की गई।

जमीनों पर अधिकार देने में भी अव्वल

वन अधिकार पत्रों के माध्यम से मान्य की गई वन भूमि के रकबे में भी छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से काफी आगे है। राज्य में 50 लाख 16 हजार 85 एकड़ से अधिक वन भूमि पर व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार दिए गए हैं, जबकि मध्यप्रदेश में 22 लाख 79 हजार 53 एकड़, महाराष्ट्र में 31 लाख 29 हजार 589 एकड़, ओडिशा में 8 लाख 87 हजार 927 एकड़ और गुजरात में 13 लाख 9 हजार 58 एकड़ में वन अधिकार मान्य किए गए हैं। इसके अलावा व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों के मामले में छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 4 लाख 41 हजार 429 व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्रों के जरिए 9 लाख 18 हजार 788 एकड़ भूमि पर वन अधिकार मान्य किए गए। मध्यप्रदेश में 2 लाख 29 हजार 27 पत्रों में 8 लाख 14 हजार 34 एकड़, महाराष्ट्र में 1 लाख 65 हजार 32 पत्रों में 3 लाख 92 हजार 928 एकड़, ओडिशा में 4 लाख 37 हजार 184 पत्रों में 6 लाख 52 हजार 443 एकड़ और गुजरात में 90 हजार 188 पत्रों में 1 लाख 47 हजार 707 एकड़ में वन अधिकार मान्य किए गए हैं।

खेती के लिए भी मिलेगी मदद

मुख्यमंत्री ने वन अधिकार के हितग्राहियों की भूमि पर कराए गए भूमि विकास के कार्याें, उन्हें दी गई खाद-बीज और कृषि उपकरणों के लिए दी गई सहायता, हितग्राहियों की भूमि पर सिंचाई सुविधा की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जिन्हें मान्यता पत्र मिल गया है, उनकी जमीनों को समतल कराने के साथ ही मेढ़ बांधने, सिंचाई के लिए नलकूप, कुएं खोदने के साथ ही खाद बीज और कृषि उपकरण भी उपलब्ध कराएं।

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