कोरोना वायरस (Coronavirus) को मात देने के लिए इन दिनों दुनिया भर में कई वैक्सीन (Corona Vaccine) पर काम चल रहा है. भारत में भी दो कंपनियां- भारत बायोटेक और जायडस कैडिला ने ह्यूमन ट्रायल की शुरुआत कर दी है. इसके अलावा ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी की वैक्सीन को भी भारत में तीसरे दौरे के क्लीनिकल ट्रायल के लिए हरी झंडी मिल गई है. साथ ही दुनिया भर में कई वैक्सीन पर काम चल रहा है. लेकिन सवाल उठता है कि ये वैक्सीन आखिर कैसे हर नागरिक तक पहुंचेगी. किसी भी देश के लिए ये सबसे बड़ी चुनौती होगी. लिहाजा मोदी सरकार ने अभी से दो पैनल का गठन कर दिया है. इनकी जिम्मेदारी है कि वे वैक्सीन को देश भर में पहुंचाने के लिए अभी से प्लान तैयार करे.
लगातार चल रहा है बैठकों का दौर
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस वक्त भारत सरकार तीन अलग-अलग तंत्रों पर काम कर रही है. इसको लेकर बड़े स्तर पर लगातार हाई लेवल मीटिंग चल रही है, जिसमें सरकार से बाहर के टॉप वैज्ञानिक, प्रमुख सरकारी शोध संस्थानों के विशेषज्ञ, और चार प्रमुख केंद्रीय मंत्रालयों के सचिव - स्वास्थ्य, वाणिज्य, वित्त और विदेश मंत्रालय शामिल हो रहे हैं. ये सारे लोग वैक्सीन को लेकर कई मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं.
वैक्सीन के ट्रायल पर नज़र
अखबार ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि सरकार ने दो कमेटी का गठन किया है. पहली कमेटी की अध्यक्षता प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर के. विजयराघवन कर रहे हैं. इस कमेटी का काम है देश में तैयार हो रहे वैक्सीन के काम को फास्ट ट्रैक (तेजी) करना. इसके अलावा इनकी नजर उन विदेशी वैक्सीन पर भी है जिनसे भारत सरकार ने करार किया है. यानी ये कमेटी भारत बायोटेक और ज़ाइडस कैडिला द्वारा विकसित किए जा रहे वैक्सीन पर नज़र रख रही है. साथ ही ये लोग ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल को भी देख रही है.
दूसरी कमेटी में कौन-कौन
दूसरी कमेटी की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पॉल कर रहे हैं. इस कमेटी में स्वास्थ्य, वाणिज्य, विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के सचिव हैं. इसके अलावा बायोटेक्नोलॉजी विभाग से जुड़े सरकार और संस्थानों के बाहर के कई टॉप वैज्ञानिक और वैक्सीन की वायरोलॉजी को जानने वाले कई डॉक्टर्स हैं.
कैसे लोगों तक पहुंगी वैक्सीन
इनका काम है वैक्सीन तैयार होने के बाद कैसे इसे लोगों तक पहुंचाया जाए. वैक्सीन को किस तरह के कोल्ड स्टोरेज में रखा जाए. उदाहरण के लिए अमेरिका की मॉडेरना वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री सेल्यियस में रखने की जरूरत पड़ेगी, जबकि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और भारत बायोटेक के साथ ऐसा नहीं है. इसके अलाव ये कमेटी अभी से इस बात पर भी विचार कर रही है कि देश में किसे पहले वैक्सीन की डोज़ दी जाएगी.
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