राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शहर में एलआईजी से नौलखा तक बनने वाले एलिवेटेड काॅरिडोर के लिए हाई कोर्ट ने कॉन्ट्रेक्टर फर्म यूपी स्टेट ब्रिज कार्पोरेशन को ऑफर लेटर दिए जाने के आदेश जारी कर दिए थे। इसके खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन (सिविल) दायर की थी। शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।
जस्टिस रोहिंगन फाली नरीमन, जस्टिस नवीन सिन्हा की खंडपीठ के समक्ष यह मामला सुनवाई के लिए लगा था। शासन की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने पैरवी की थी। शहर में ट्रैफिक समस्या का निराकरण करने के लिए इस ब्रिज को बनाना तय किया गया था। लोक निर्माण विभाग की देखरेख में यह ब्रिज बनना है। इस ब्रिज को बनाए जाने की तैयारी तत्कालीन कांग्रेस सरकार में शुरू हुई थी। कुछ कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी भी दिखाई थी।
सिक्योरिटी व परिवहन सर्विस से जुड़ी 5 फर्मों पर छापे, 9 करोड़ टैक्स चोरी
वाणिज्यिक कर विभाग ने परिवहन व सिक्योरिटी सर्विस से जुड़ी पांच फर्मों के ठिकानों पर छापे मारकर तीन दिन में करीब 9 करोड़ की जीएसटी चोरी पकड़ी है। इन फर्मों से विभाग ने चार करोड़ 13 लाख रुपए जमा भी करा लिए हैं। जांच में सामने आया है कि टर्नओवर कम बताकर टैक्स की चोरी कर रही थीं।
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