Thursday, 22nd May 2025

RBI का बड़ा फैसला! Startups को प्रायॉरिटी सेक्टर लैंडिंग में किया शामिल, आसानी से मिलेगा बैंक लोन

Fri, Aug 7, 2020 2:16 AM

 रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने स्टार्टअप्स के लिए नकदी की दिक्‍कत दूर करने के लिहाज से बड़ा फैसला लिया है. आरबीआई ने र्स्‍टाअप (Start-ups) को प्रायॉरिटी सेक्टर लेंडिंग (PSL) में शामिल कर दिया है. साथ ही रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर के लिए कर्ज लेने की सीमा बढ़ाने का फैसला किया है. वहीं, केंद्रीय बैंक ने छोटे व सीमांत किसानों (Small Farmers) और कमजोर तबके (Weaker Section) को बांटे जाने वाले कर्ज का लक्ष्‍य (Loan Target) बढ़ाने का फैसला भी किया है.

छोटे किसानों को भी आसानी से मिल सकेगा बैंकों से लोन

आरबीआई के इस फैसले के बाद छोटे व सीमांत किसानों और समाज के कमजोर व वंचित तबके को बैंक से आसानी से लोन मिल सकेगा. इससे पहले केंद्रीय बैंक ने अप्रैल 2015 में पीएसएल गाइडलाइन की समीक्षा की थी. केंद्रीय बैंक ने गाइडलाइन को संशोधित (Revised Guidelines) करने से पहले तमाम हितधारकों (Stakeholders) की राय ली है. नई गाइडलाइन में फ्रेंडली लेंडिंग पॉलिसी पर जोर दिया गया है. इसका मकदस लंबी अवधि के विकास लक्ष्‍यों को हासिल करना है.

 

 

RBI ने अक्षय ऊर्जा सेक्‍टर के लिए कर्ज की सीमा बढ़ा दी है

केंद्रीय बैंक ने विकास लक्ष्‍यों को ध्‍यान में रखते हुए स्टार्टअप्स को भी पीएसएल के दायरे में शामिल कर लिया है. इसके अलावा अक्षय ऊर्जा सेक्‍टर (Renewable Energy Sector) के लिए कर्ज देने की सीमा बढ़ा दी है. इसमें सोलर पावर और कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट शामिल हैं. इसके अलावा बैंकों को छोटे व सीमांत किसानों को ज्यादा कर्ज देने का निर्देश भी दिया गया है. आरबीआई चाहता है कि बैंक छोटे किसानों और कमजोर लोगों को बड़े पैमाने पर लोन बांटें.

र्स्‍टाअप्‍स को 3 साल का मुनाफा दिखाने पर मिलता था कर्ज

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से प्रायॉरिटी सेक्टर में कृषि (Agriculture), एमएसएमई (MSMEs), शिक्षा (Education), हाउसिंग (Housing), सोशल इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर (Social Infrastructure) समेत कई सेक्‍टर शामिल हैं. कारोबारियों का मानना है कि इससे स्‍टार्टअप्‍स के सामने अपना कारोबार चलाने के लिए नकदी का संकट पैदा नहीं होगा. उनके पास पर्याप्‍त पूंजी उपलब्‍ध रहेगी. विश्‍लेषकों का कहना है कि स्‍टार्टअप्‍स को हमेशा एमएसएमई कैटेगरी में ही माना जाता था और उन्‍हें तीन साल का मुनाफा दिखाना होता था. अब उन्‍हें कम दरों पर बैंकों से आसानी से कर्ज मिल सकेगा.

 

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