Thursday, 22nd May 2025

गिरिश चंद्र मूर्मू बने नए सीएजी, जानिए अब वो क्या करेंगे?

Thu, Aug 6, 2020 9:14 PM

जम्मू-कश्मीर के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर गिरिश चंद्र मूर्मू को नया CAG (Comptroller and Auditor General) घोषित किया गया है. जिस दिन सरकार ने उन्हें सीएजी नियुक्त किया है, उसी दिन ठीक एक साल पहले कानून की मदद से जम्मू-कश्मीर का विभाजन दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में किया गया था. गिरिश चंद्र मूर्मू 1985 बैच के गुजरात कॉडर के आईएएस ऑफिसर हैं. जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब इन्हें प्रिंसिपल सेक्रेटरी चुना गया था. मूर्मू जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर चुने गए हैं.

सीएजी कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) सरकार का चीफ ऑडिटर है. यह, राफेल से पहले अपनी कोयले की खदान के आवंटन, टेलीकॉम स्पेक्ट्रम आवंटन, अल्ट्रा मेगा पावर प्रॉजेक्ट्स और दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अपनी रिपोर्ट के चलते काफी चर्चा में रहा है.

सीएजी क्या क्या करता है
कैग भारत के संविधान द्वारा स्थापित अथॉरिटी है और यह सरकार के प्रभाव क्षेत्र से बाहर है. इसे सरकार की आमदनी और खर्च पर नजर रखने के लिए बनाया गया है. कैग की नियुक्ति देश के राष्ट्रपति द्वारा होती है और पद से हटाने की प्रक्रिया वैसी ही है, जैसी सुप्रीम कोर्ट के जज के मामले में अपनाई जाती है.

इसकी सैलरी और सेवा की दूसरी शर्तें संसद द्वारा तय होती हैं और नियुक्ति के बाद उसमें इस तरह बदलाव नहीं किया जा सकता जिससे इसको नुकसान हो. कैग के ऑफिस के प्रशासनिक खर्चे कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया से निकाले जाते हैं. अगली स्लाइड में जानिए कैग की रिपोर्ट के बाद होता क्या है.

कैग अपनी रिपोर्ट संसद और विधानसभाओं की कई समितियों जैसे पब्लिक अकाउंट्स कमेटी और कमेटी ऑन पब्लिक अंडरटेकिंग्स को देता है. ये कमिटी रिपोर्ट की स्क्रूटनी करती हैं और फैसला करती हैं कि क्या उसमें सभी पॉलिसी का पालन किया गया है.

वह यह भी देखता है कि क्या किसी सरकारी निकाय की तरफ से कोई गड़बड़ी तो नहीं की गई है. फिर मामले को चर्चा के लिए संसद में पेश किया जाता है और उस पर कार्रवाई की जाती है.  एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इसका मेन रोल सेंटर और स्टेट के सभी सरकारी विभागों और दफ्तरों के अकाउंट्स का ऑडिट करना और चेक करना है.

इन विभागों और दफ्तरों में रेलवे, पोस्ट एंड टेलिकॉम भी शामिल हैं. यह सरकार की खुद की कंपनियों या उसकी तरफ से फाइनेंस होने वाली कंपनियों के खातों की भी स्क्रूटनी करता है. सेंटर और स्टेट गवर्नमेंट के इसका मेन रोल सेंटर और स्टेट के सभी सरकारी विभागों और दफ्तरों के अकाउंट्स का ऑडिट करना और चेक करना है. इन विभागों और दफ्तरों में रेलवे, पोस्ट एंड टेलिकॉम भी शामिल हैं.
 
यह सरकार की कंपनियों या उसकी तरफ से फाइनेंस होने वाली कंपनियों के खातों की भी स्क्रूटनी करता है. सेंटर और स्टेट गवर्नमेंट के अंदर लगभग 1,500 पब्लिक कमर्शल कंपनियां और लगभग 400 नॉन कमर्शल ऑटोनॉमस बॉडीज और अथॉरिटीज आती हैं.

यूनियन और स्टेट रेवेन्यू की तरफ से फाइनेंस पाने वाली 4,400 अथॉरिटीज और बॉडीज भी कैग के दायरे में आती हैं. अगली स्लाइड में जानिए कैग काम कैसा करता है . 

कैग ऑडिट को दो वर्गों - रेग्युलेरिटी ऑडिट और परफॉर्मेंस ऑडिट में बांटा गया है. रेग्युलेरिटी ऑडिट (जो कम्पलायंस ऑडिट भी कहलाता है) में फाइनेंशियल स्टेटमेंट का ऐनालिसिस किया जाता है और देखा जाता है कि उसमें सभी नियम-कानून का पालन किया गया है नहीं. परफॉर्मेंस ऑडिट में कैग यह चेक करता है कि क्या सरकारी प्रोग्राम शुरू करने का जो मकसद था, वह कम से कम खर्च में सही तरीके से हासिल हो पाया है नहीं.
 

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