Thursday, 22nd May 2025

दिल्ली में साप्ताहिक बाजार खोलने पर सियासत तेज, आप-भाजपा में फिर चले तीर

Sun, Aug 2, 2020 6:17 PM

दिल्ली में साप्ताहिक बाजार खोलने को लेकर लगातार दूसरे दिन भी सिसायत चलती रही। साप्ताहिक बाजार व होटल खोलने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को उपराज्याल की तरफ से पलट दिए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार पर दोहरी नीति लागू करने का आरोप मढ़ा है। इस बारे  में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र भी लिखा। वहीं, भाजपा योजना विहीन तैयारी के बिना बाजार खोलने का आरोप दिल्ली सरकार पर मढ़ रही है। जबकि कांग्रेस ने दोनों दलों पर निशाना साधा है।

मनीष सिसोदिया ने अपने पत्र में कहा है कि कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। अब जब भारत सरकार देश को अनलॉक कर रही है। इसके सहारे देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश है। सिसोदिया के मुताबिक, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने होटल और साप्ताहिक बाजार को खालने का निर्णय लिया तो उपराज्यपाल के जरिए इस निर्णय को पलट दिया गया। जबकि कोरोना के मामले में दिल्ली 11वें नंबर पर है। स्थिति नियंत्रण में है। पूरे देश में होटल और साप्ताहिक बाजार खुल रहे है। 
दिल्ली में 8 प्रतिशत कारोबार होटल व साप्ताहिक बाजार नहीं खुलने के कारण ठप है। साप्ताहिक बाजार बंद रहने से पांच लाख परिवार पिछले चार महीने से घर पर बैठे हैं। सिसोदिया ने केंद्रीय गृह मंत्री से पत्र के माध्यम से अपील की है कि मुख्यमंत्री के प्रस्ताव को मंजूर करने का आदेश उपराज्यपाल को दे। दिल्ली का कारोबारी अपना काम शुरू कर सके। इससे अर्थव्यवस्था सुधरेगी और नई नौकरियां मिलेगी। 
उधर, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा है कि मुख्यमंत्री ऐसे फैसले लेते है जिसमें कोई तालमेल नहीं होता है। भाजपा भी मांग करती आई है कि साप्ताहिक बाजार के लिए गाइडलाइन जारी कर खोला जाए। लेकिन दिल्ली सरकार के कामकाज करने के तरीके पर प्रश्नचिन्ह है। आनन-फानन में फैसला दिल्ली सरकार ले रही है। मुख्यमंत्री सिर्फ दिखाना चाहते है, काम नहीं करना चाहते है। 

सरकार का पहले एसओपी तैयार करना चाहिए फिर निर्णय लेना चाहिए। दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी राजीव कुमार ने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार दिल्ली की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना नहीं चाह रही है। भाजपा जहां प्रोफेशनल टैक्स लगाकर कोरोना काल में लोगों को परेशान कर रही है तो वहीं दिल्ली सरकार बिना किसी नीति के ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की राजनीति कर रही है।

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