Monday, 26th May 2025

अमर सिंह ने मौत से पहले RSS से जुड़ी संस्था को दान कर दी थी करोड़ों की प्रॉपर्टी, बताई थी यह वजह

Sun, Aug 2, 2020 1:34 AM

समाजवादी पार्टी (SP) के कद्दावर नेता रहे अमर सिंह (Amar Singh) का निधन हो गया है. शनिवार को अमर सिंह का सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हुआ. अमर सिंह को भारतीय राजनीति में कई कारणों से याद किया जाएगा. 90 के दशक में भारतीय राजनीति अमर सिंह के ही इर्द-गिर्द घुमा करती थी. पिछले कुछ महीनों से अमर सिंह बीमार चल रहे थे. कुछ महीने पहले अमर सिंह ने एक वीडियो ट्वीट कर कहा था कि 'टाइगर जिंदा है'. अमर सिंह ने तब कहा था कि वो जिंदा हैं और बीमारी से जूझ रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया था कि कैसे कुछ लोग उनकी मौत की झूठी खबर सोशल मीडिया पर फैला रहे हैं. अमर सिंह ने अपने पहले के अनुभवों को साझा करते हुए तब कहा था कि उनकी तबीयत इससे पहले भी कई बार बिगड़ी, लेकिन हर बार मौत के मुंह से लड़कर वापस आया. शायद इस बार अमर सिंह मौत के मुंह से वापस नहीं आ सके.

अमर सिंह ने करोड़ों की संपत्ति RSS को दान कर दी
राज्यसभा सांसद अमर सिंह अपने आखिरी दिनों में कई अच्छे काम किए जिसे उनकी मौत के बाद जिक्र करना जरूरी बन जाता है. कुछ साल पहले ही अमर सिंह ने आजमगढ़ स्थित अपनी पैतृक संपत्ति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी संस्था सेवा भारती संस्थान को दान कर दी थी. अमर सिंह ने अपने स्वर्गीय पिता की याद में उनकी संपत्ति सेवा भारती के नाम पर किया था. जब से उनके पिता की मौत हुई थी, तभी से उनका यह घर खाली रहता था. दान की गई संपत्ति की कीमत करीब 15 करोड़ बताई जा रही है.

साल 2018 में अमर सिंह ने इस बात की पुष्टि की थी और कहा था कि संघ बड़ी संस्था है. उसे कुछ दान देना बहुत छोटी बात होगी. मेरे स्वर्गीय पिता की याद में मेरी संपत्ति को देकर, मैंने समाज की सेवा के प्रयासों में योगदान करने की कोशिश की है.

आखिरी दिनों में बीजेपी के करीब आए
अमर सिंह के इस कदम को कुछ लोगों ने कहा था कि वह इस कदम से बीजेपी में शामिल होना चाहते हैं. उनको नजदीक से जानने वाले कहते हैं कि अमर सिंह की पूरी राजनीतिक पारी आरएसएस के खिलाफ रही है. वे आरएसएस को सांप्रदायिक बताते रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से उनका झुकाव आरएसएस के तरफ हुआ है. बता दें कि अमर सिंह की पैदाइश आजमगढ़ में हुई है. उत्तर प्रदेश में एसपी के शासनकाल और मुलायम सिंह यादव के सीएम रहते उन्होंने आजमगढ़ के विकास के लिए बहुत काम किया. लेकिन, 2010 में सपा से निकाले जाने के बाद उन्होंने अलग पूर्वांचल राज्य का दर्जा दिलाने को लेकर राष्ट्रीय लोक मंच नाम की एक पार्टी बनाई. इसको लेकर उन्होंने पद यात्रा भी की, लेकिन उनकी पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली.

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