भारतीय वायुसेना में फायटर जेट राफेल के आने के बाद से चीन की मीडिया में तहलका मचा हुआ है. वे अपने लड़ाकू विमान चेंगदू J-20 (Chengdu J-20) को ज्यादा घातक बता रहे हैं. चीनी सरकारी अखबार ग्लोबल मीडिया ने अपने विशेषज्ञों से बात करते हुए कहा कि J-20 नई पीढ़ी का लड़ाका है, जिसके सामने राफेल कुछ नहीं. हालांकि कहा जा रहा है कि चीन जिस J-20 पर इतना ऐंठ रहा है, उसने युद्ध में अपनी क्षमता दिखाई ही नहीं. यहां तक कि ये अमेरिकी विमान F-35 की कमजोर कॉपी है.
क्या है चेंगदू J-20
ये पांचवी जेनरेशन का लड़ाकू विमान है, जिसे चीन की चेंगदू एयरोस्पेस कार्पोरेशन ने चीनी एयरफोर्स के लिए बनाया. साल 2011 में बनने के पांच सालों बाद इसे चीन ने आधिकारिक तौर पर लॉन्च किया था. चीन अपने इस विमान की खूबियों का बखान करते हुए बार-बार बताता है कि ये एशिया का सबसे पहला स्टेल्थ फाइटर जेट है. यानी वो जेट जिसे रडार, इन्फ्रारेड, सोनार और अन्य पकड़ने वाले तरीकों से पकड़ना लगभग नामुमकिन है. हालांकि इस दावे में दम नहीं माना जा रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक रडार से छिपे रहने वाला विमान कोई भी नहीं हो सकता और बहुत छिपकर भी ये पकड़ाई में आ ही जाता है.
क्या दावा है चीनी एक्सपर्ट्स का
इन सबके बीच भी चीन लगातार इस विमान को और उन्नत बनाने के तरीके खोज रहा है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक हाल ही में दुनिया के कई देशों से बढ़ते विवादों के बीच चीन J-20 के मास प्रोडक्शन पर ध्यान लगा रहा है. इसके चीफ डिजाइनर येंग वई के मुताबिक साल 2033 तक ये तैयार हो जाएंगे. यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट में येंग कहते हैं कि आने वाले वक्त में काफी सारे विमान बेकार हो जाएंगे और केवल लंबी दूरी तक मार करने वाले जेट ही बचेंगे. साथ ही उन्हें रडार से बचने की तकनीक से लैस भी होना होगा ताकि वे दुश्मन की नजर से बचे रहें. हमारे फाइटर जेट में ये सारी खूबियां हैं. साथ ही ये पायलेट को लड़ाई के मैदान को समझने और ज्यादा प्रभावी तरीके से हमला करने में मदद कर सकते हैं.
अमेरिका से चुराया हुआ
चीनी वैज्ञानिक ने चेंगदू की जो खूबियां गिनाई हैं, वे अमेरिकी जेट F-35 की कॉपी कही जा रही हैं. इस बारे में विदेशी एक्सपर्ट इसलिए भी यकीन से कह रहे हैं क्योंकि चीन पहले से ही गुप्त सूचनाएं और जानकारी चुराने के लिए संदेह में घिरा रहा है. इस बारे में नेशनल इंट्रेस्ट के डिफेंस एडिटर क्रिस ऑसबॉर्न लिखते हैं कि चीनी और अमेरिकी विमानों के बीच इतनी समानता का होना चीन की चोरी की तरफ इशारा करता है.
क्यों कहा जा रहा है ऐसा
ऑसबॉर्न के अनुसार जे -20 पर एक सरसरी नजर डालने भर से एफ -35 से समानताएं दिखने लगती हैं. और चूंकि चीनी विमान अमेरिकी विमान से काफी बाद में बना है इसलिए नकल की आशंका बढ़ जाती है. दोनों विमानों की विंग बॉडी और आंतरिक संरचना एक जैसी है. यहां तक कि एग्जहॉस्ट पाइप में भी समानता है. इधर भारतीय एक्सपर्ट्स भी मानते हैं कि चीनी के चेंगदू के बारे में जैसा बताया जा रहा है, वो उतना प्रभावी है नहीं, खासकर इसका अदृश्य रह पाने का दावा. खुद इंडियन एयरफोर्स ने भी इसे देख रखा है. जिस अमेरिका जेट से इसकी तुलना की जा रही है, वो खासा घातक माना जाता है. F-35 नाम का ये जेट बिगड़े हुए मौसम में भी काम करता है. इसे भी स्टेल्थ एयरक्राफ्ट माना जाता है जो तकनीक की पकड़ में आसानी से नहीं आ सके. इस विमान को अमेरिकन एरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है. साथ में दो दूसरी कंपनियों की भी पार्टनरशिप रही.
कितनी खूबियों से लैस है अमेरिकी जेट
ये जेट लड़ाई के हालातों को ध्यान रखते हुए ऐसे डिजाइन किया गया है कि पारंपरिक तरीके से टेक ऑफ और लैंडिंग के साथ ही साथ ये काफी छोटी दूरी पर टेक ऑफ और वर्टिकल लैंडिंग भी कर सकता है. इजरायल की एयर फोर्स के खिलाफ साल 2018 में इसका इस्तेमाल भी हो चुका है, जिससे इसकी क्षमताएं साफ हैं. माना जा रहा है कि साल 2044 तक अमेरिका के पास भारी संख्या में ये फाइटर जेट होंगे. इसके बाद भी साल 2027 तक ये प्रोजेक्ट चलता रहेगा ताकि कभी भी जरूरत हो तो ये जेट तैयार हो सकें.
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