सोने के भाव में रिकॉर्ड तेजी जारी है. इसका फायदा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के निवेशकों को जबदरस्त मिल रहा है. निवेशकों को सिर्फ 20 दिनों में 12% का रिटर्न मिला है. वहीं, बीते चार साल में करीब 80 फीसदी का रिटर्न मिला है.ये सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सोने की कीमतों से जुड़े होते हैं. जैसे ही सोने की कीमतों में इजाफा होता है, वैसे ही आपका निवेश भी ऊपर जाता है. गोल्ड ईटीएफ के मुकाबले इसके लिए आपको सालाना कोई चार्ज भी नहीं देना पड़ता है. आप इन बॉन्ड के आधार पर लोन भी ले सकते हैं. ये बॉन्ड पेपर और इलेक्ट्रोनिक फॉर्मेट में होते हैं, तो इससे आपको फिजिकल गोल्ड की तरह लॉकर में रखने का खर्च भी नहीं उठाना पड़ता.
RBI ये बॉन्ड भारत सरकार की तरफ से जारी कर रहा है. RBI के अनुसार ‘‘बॉन्ड की कीमत 99.9 शुद्धता वाले सोने के लिए पिछले 3 कारोबारी दिन में साधारण औसत बंद भाव (इंडिया बुलियन एंड जूलर्स एसोसिशन द्वारा प्रकाशित) मूल्य पर आधारित है. इससे पहले 6 से 10 जुलाई के बीच खुले गोल्ड बॉन्ड का इश्यू प्राइस 4,852 रुपए प्रति ग्राम था.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (Gold Bond Scheme) के तहत सोना खरीदने के कुछ नियम हैं. इस स्कीम में कोई भी व्यक्ति एक कारोबारी साल में अधिकतम 500 ग्राम के गोल्ड बॉन्ड खरीद सकता है. इस बॉन्ड में न्यूनतम निवेश एक ग्राम है. इसके निवेशकों को टैक्स पर भी छूट मिलती है. निवेशक स्कीम के जरिए बैंक से लोन भी ले सकते हैं. एक और खास बात ये है कि इस स्कीम में खरीदे गए सोने पर आपको ढाई फीसदी की सालाना दर से ब्याज भी मिलता है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में सोना खरीदकर घर में नहीं रखा जाता है. बल्कि बॉन्ड में निवेश के तौर पर इस्तेमाल करना होता है. बॉन्ड वाले सोने की कीमत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) तय करता है. धातु सोने की मांग में कमी लाने के लिए सरकार ने नवंबर, 2015 में गोल्ड बॉन्ड स्कीम शुरू की थी.
(1) अगर आप इस स्कीम में सोना खरीदते समय डिजिटल पेमेंट करते हैं तो आपको 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट मिलेगी.
(2) गोल्ड बॉन्ड की बिक्री बैंक, भारतीय स्टॉक होल्डिंग निगम लिमिटेड (SHCIL) और कुछ चुनिंदा डाकघरों और मान्यताप्राप्त शेयर बाजारों जैसे भारतीय राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के जरिए होती है.
(3) इसमें निवेश की अवधि 8 साल होती है, लेकिन आप 5 साल के बाद भी अपने पैसे निकाल सकते हैं. पांच साल के बाद पैसे निकालने पर कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लगाया जाता है.
(4) जरूरत पड़ने पर गोल्ड के एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है. गोल्ड बॉन्ड पेपर को लोन के लिए कोलैटरल के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यह पोस्ट ऑफिस की नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट की तरह होता है.
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