श्रम पर संसद की स्थायी समिति (Parliament Standing Committee) ने शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष को सामाजिक सुरक्षा संहिता पर अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी, जो श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा से संबंधित नौ कानूनों की जगह लेगी. समिति ने बेरोजगारी बीमा और ग्रेच्युटी पाने के लिए लगातार काम करने की अवधि को पांच साल से कम करके एक साल करने की सिफारिश की है. इसके अलावा संहिता में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को चलाने के लिए उनके वित्त पोषण के स्रोत को भी स्पष्ट करने के लिए कहा है. श्रम पर संसद की स्थाई समिति के अध्यक्ष भर्तृहरि महताब ने बताया, 'हमने सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2019 पर अपनी अंतिम रिपोर्ट आज ईमेल के जरिए लोकसभा अध्यक्ष को सौंप दी.'
रिपोर्ट के अनुसार समिति ने 29 जुलाई, 2020 को हुई बैठने के दौरान इस रिपोर्ट पर विचार किया और इसे अपनाया. रिपोर्ट के अनुसार समिति ने श्रम मंत्रालय से अनुरोध किया है कि वह संहिता के साथ रोजगार कार्यालयों (रिक्तियों की अनिवार्य अधिसूचना) अधिनियम, 1959 के प्रस्तावित विलय पर फिर से विचार करे. इसमें कहा गया, 'कानून रोजगार कार्यालयों में रिक्तियों की सूचना देने के लिए है' और यह किसी भी रूप में सामाजिक सुरक्षा के विषय से जुड़ा नहीं है. समिति ने राय जाहिर की कि सिर्फ कानूनों की संख्या घटाने के लिए, कोई कानून अगर संहिता की विषय-वस्तु से मेल नहीं खाता है तो उसे अतार्किक रूप से इसके साथ नहीं जोड़ना चाहिए.
15 अगस्त के बाद बुलाया जा सकता है संसद का मानसून सत्र
जुलाई से संसदीय समितियों की बैठकें शुरू हो चुकी हैं. संसद की इन स्थायी समितियों को मिनी संसद भी कहा जाता है और माना जा रहा है कि कोरोना संकट के बाद सोशल डिस्टेंसिग और तमाम दिशानिर्देशों के बाद इन समितियों की बैठकें मानसून सत्र का रास्ता साफ करेंगी. एक के बाद एक कई बैठकों का दौर जारी है. लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय ने भी पूरे कोरोना संकट में यही सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि मानसूत्र सत्र बिना किसी मुश्किल के पूरा हो जाए. सूत्र बताते हैं कि 15 अगस्त के बाद सरकार अगस्त के तीसरे सप्ताह में या फिर अंतिम सप्ताह में संसद का मानसून सत्र बुला सकती हैं. संसद का ये मानसून सत्र लगभग 1 महीने का होगा.
सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का रखा जाएगा खयाल
पिछले एक महीने में राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति वेकैंया नायडू और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने लगातार बैठकें कर संसदीय समितियों की बैठक बुलाने से लेकर मानसून सत्र में सांसदों को दिशानिर्देशों के अनुसाऱ बैठाने के लिए तमाम विकल्पों पर माथापच्ची की. आश्वासन ये भी है कि सोशल डिस्टेन्सिंग का पूरा पालन किया जाएगा. सभी सांसदों को 6 फीट की दूरी पर बिठाया जाएगा. लोकसभा में राज्यसभा सांसदो की गैलरी, लोकसभा स्पीकर गैलरी, दर्शक दीर्घा का उपयोग भी सांसदों के बैठने के लिए किया जाएगा. राज्यसभा में लोकसभा सांसदों की गैलरी, राज्यसभा चैयरमैन गैलरी, दर्शक दीर्घा का उपयोग भी सांसदों के बैठने के लिए किया जाएगा. साथ ही सांसदों के बैठने के लिए दोनों सदनों की इनर लॉबी इस्तेमाल करने पर सहमति बन चुकी है. कुल मिला कर जोर इसी बात पर है कि सभी सांसदों को एक ही चैंबर में बिठाया जा सके.
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