नेपाल जिसे अपना सच्चा दोस्त मान रहा था और उसके बहकावे में ही आकर भारत से भी पंगे ले रहा था, आज उसी चीन (China) ने नेपाल (Nepal) के पीठ दिखा दी है. दरअसल, भारत विरोधी भावनाओं को भड़काने के आरोपों से घिरीं चीन की नेपाल में राजदूत हाओ यांकी ने कहा है कि नई दिल्ली और काठमांडू के बीच विवाद में उनके देश को जबरन घसीटा जाता है. उन्होंने कहा कि कालापानी का मुद्दा नेपाल और भारत के बीच का है और दोनों देशों को इस मुद्दे को और ज्यादा जटिल बनाने वाली किसी भी एकतरफा कार्रवाई से बचना चाहिए. साथ ही वहीं चीनी राजदूत नेपाल में ओली सरकार को बचाने के अपने प्रयासों पर जवाब देने से भी कतराती नजर आईं. नेपाल के अखबार नया पत्रिका को दिए इंटरव्यू में चीनी राजदूत हाओ ने कहा, 'कालापानी का मुद्दा नेपाल और भारत के बीच का है. हम आशा करते हैं कि दोनों देश इस मुद्दे का आपसी बातचीत के साथ समाधान कर लेंगे.'
चीनी राजदूत हाओ ने कहा, 'मैंने नोटिस किया है कि जब भी भारत और नेपाल के बीच संबंधों में विवाद होता है तो कुछ ऐसी शक्तियां हैं जो चीन को घसीटना चाहती हैं. वे कुछ भी बेमतलब की बातें करते हैं और अफवाह फैलाते हैं. हम बहुत भ्रमित महसूस करते हैं. मैं विश्वास करती हूं कि इससे चीन और नेपाल के बीच दोस्ती में कोई बाधा आएगी.' ओली को बचाने के लिए नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के सवाल पर हाओ यांकी ने कहा कि चीन ने हमेशा से ही नेपाल की संप्रभुता का सम्मान किया है. उन्होंने ओली की सत्ता को बचाने के अपने प्रयासों पर सीधा-सीधा कुछ नहीं कहा. चीनी राजदूत ने कहा कि नेपाल एक स्वतंत्र देश है और किसी भी देश को उसके आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. विकास और द्विपक्षीय सहयोग पर आपसी विचारों का आदान प्रदान एक सामान्य राजनयिक प्रक्रिया है.'
ओली-प्रचंड जंग में किया ओली का समर्थन
हाओ ने कहा कि अगर इसे हस्तक्षेप कहा जाएगा तो देशों के बीच कूटनीति होगी ही नहीं. एक मित्र देश के नाते हम चाहते हैं कि नेपाल में स्थिरता रहे और एकता रहे जो राष्ट्रीय विकास के लिए पहली शर्त है. नेपाल के मीडिया की मानें तो पीएम ओली और प्रचंड के बीच चल रही सत्ता की जंग में चीनी राजदूत हाओ यांकी ने खुलकर ओली का समर्थन किया है. हाओ यांकी लगातार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में जारी मतभेदों को दूर करने के लिए बैठकें कर रही हैं.
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