एयर चीफ मार्शल ने किया पांचों राफेल विमानों और पायलट्स का स्वागत, दिया गया वॉटर सैल्यूट
Thu, Jul 30, 2020 2:16 AM
फ्रांस (France) के बोरदु (Bordu) शहर में स्थित मेरिगनेक एयरबेस से 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करके पांचों राफेल विमान (Rafale Airplane) आज दोपहर हरियाणा (Haryana) में स्थित अंबाला एयरबेस (Ambala Airbase) पर उतरे. राफेल विमानों के भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दो सुखोई 30एमकेआई विमानों (Sukhoi 30Mki) ने उनकी आगवानी की.
अपनी हवाई सीमाओं की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने की दिशा में बुधवार को भारत उस समय एक कदम और आगे बढ़ गया जब रूस (Russia) से सुखोई विमानों (Sukhoi) की खरीद के करीब 23 साल बाद, नये और अत्याधुनिक पांच राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Fighter Jet) का बेड़ा फ्रांस (France) से आज यहां, देश के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला एयरबेस (Ambala Airbase) पर पहुंच गया. अंबाला एयरबेस पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया (Air Chief Marshal RKS Bhadauriya) ने विमानों की अगवानी की और इसे उड़ाकर लाने वाले पायलट्स से मुलाकात की. एयरबेस पर इन विमानों को वॉटर सैल्यूट भी दिया गया. इन विमानों के, वायुसेना (Indian Air Force) में शामिल होने के बाद देश को आस-पड़ोस के प्रतिद्वंद्वियों की हवाई युद्धक क्षमता पर बढ़त हासिल हो जाएगी.
निर्विवाद ट्रैक रिकॉर्ड वाले इन राफेल विमानों को दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है. फ्रांस के बोरदु शहर में स्थित मेरिगनेक एयरबेस से 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करके ये विमान आज दोपहर हरियाणा में स्थित अंबाला एयरबेस पर उतरे. राफेल विमानों के भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दो सुखोई 30एमकेआई विमानों ने उनकी आगवानी की और उनके साथ उड़ते हुए अंबाला तक आए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया है, ‘‘बर्ड्स सुरक्षित उतर गए हैं.’’ वायुसेना में लड़ाकू विमानों को ‘बर्ड’ (चिड़िया) कहा जाता है. सिंह ने ट्वीट किया है, ‘‘राफेल लड़ाकू विमानों का भारत पहुंचना हमारे सैन्य इतिहास के नये अध्याय की शुरुआत है. ये बहुद्देशीय विमान भारतीय वायुसेना की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि करेंगे.’’
2016 में एनडीए सरकार ने किया था 36 विमान का सौदा
एनडीए सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस की एरोस्पेस कंपनी दसॉ एविएशन के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था. इससे पहले तत्कालीन यूपीए सरकार करीब सात साल तक भारतीय वायुसेना के लिए 126 मध्य बहुद्देशीय लड़ाकू विमानों की खरीद की कोशिश करती रही थी, लेकिन वह सौदा सफल नहीं हो पाया था. दसॉ एविएशन के साथ आपात स्थिति में राफेल विमानों की खरीद का यह सौदा भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता को और मजबूत बनाने के लिए किया गया , क्योंकि वायुसेना के पास लड़ाकू स्क्वाड्रन की स्वीकृत संख्या कम से कम 42 के मुकाबले फिलहाल 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं.
2021 तक आ जाएंगे सभी 36 विमान
अंबाला पहुंचे पांच राफेल विमानों में से तीन राफेल एक सीट वाले जबकि दो राफेल दो सीट वाले लड़ाकू विमान हैं. इन्हें भारतीय वायुसेना के अंबाला स्थित स्क्वाड्रन 17 में शामिल किया जाएगा जो ‘गोल्डन एरोज’ के नाम से जाना जाता है. सरकार ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि भारत को 10 राफेल विमानों की आपूर्ति हुई है, जिनमें से पांच प्रशिक्षण मिशन के लिए फ्रांस में ही रूक रहे हैं. सरकार ने कहा कि खरीदे गए सभी 36 राफेल विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक भारत को हो जाएगी.
राफेल विमानों को आसमान में उनकी बेहतरीन क्षमता और लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने के लिए जाना जाता है. करीब 23 साल पहले रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद भारत ने पहली बार लड़ाकू विमानों की इतनी बड़ी खेप खरीदी है. इन विमानों को अलग-अलग किस्म के और अलग-अलग मारक क्षमता वाले हथियारों से लैस किया जा सकता है. राफेल लड़ाकू विमानों को जिन मुख्य हथियारों से लैस किया जाएगा वे होंगे, यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए की, दृष्टि सीमा से परे निशानों पर भी हवा से हवा में वार करने में सक्षम मेटयोर मिसाइल, स्कैल्प क्रूज मिसाइल और एमआईसीए हथियार प्रणाली.
राफेल का साथ देने के लिए वायुसेना खरीद रही है ये मिसाइलें
भारतीय वायुसेना राफेल लड़ाकू विमानों का साथ देने के लिए मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली, हवा से जमीन पर वार करने में सक्षम अत्याधुनिक हथियार प्रणाली ‘हैमर’ भी खरीद रही है. हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्स्टेंडेड रेंज) लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली क्रूज मिसाइल है, जिसका निशाना अचूक है और इसे फ्रांस की रक्षा कंपनी सैफरॉन ने विकसित किया है. इस मिसाइल को मूल रूप से फ्रांस की वायुसेना और नौसेना के लिए डिजाइन किया गया और बनाया गया था.
मेटयोर हवा से हवा में मारक क्षमता रखने वाली बीवीआर मिसाइलों का अत्याधुनिक संस्करण है और इसे हवा में होने वाले युद्ध के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है. इसे एमबीडीए ने ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन और स्वीडन के समक्ष मौजूद संयुक्त खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया है.
अगस्त के मध्य में होगा औपचारिक समारोह
एक अधिकारी ने बताया कि मेटयोर में एक अनूठी रॉकेट-रैमजेट मोटर लगी है जो इसके इंजन को अन्य मिसाइलों की तुलना में ज्यादा देर तक ऊर्जा/ईंधन मुहैया करती है. हालांकि, इन पांच राफेल विमानों को आज अंबाला पहुंचने के बाद से ही 17वें स्क्वाड्रन में शामिल किया जा रहा है, लेकिन इन्हें अगस्त के मध्य में एक औपचारिक समारोह आयोजित कर भारतीय वायुसेना के बेड़े का हिस्सा घोषित किया जाएगा. उस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित देश की सेना के शीर्ष अधिकारियों के उपस्थित रहने की संभावना है.
फ्रांस से सोमवार को उड़ान भरने के बाद इन पांचों विमानों का बेड़ा अंबाला तक के 7,000 किलोमीटर लंबे सफर के बीच, सिर्फ एक बार, संयुक्त अरब अमीरात के अल दाफ्रा एयरबेस पर उतरा. फ्रांस स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, इन विमानों में 30,000 फुट की ऊंचाई पर उड़ान भरने के दौरान ही फ्रांसीसी टैंकर ने ईंधन भरा. भारत को पहला राफेल जेट अक्टूबर, 2019 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के फ्रांस दौरे पर सौंपा गया था.
बंगाल के हासीमारा में होगा राफेल का दूसरा स्क्वाड्रन
राफेल विमानों का पहला स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर रहेगा वहीं दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हासीमारा एयरबेस पर रहेगा. अंबाला एयरबेस को देश में भारतीय वायुसेना का, सामरिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान की सीमा करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर है. वायुसेना ने अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर शेल्टर, हैंगर और मरम्मत/देखभाल संबंधी अवसंरचना विकसित करने में करीब 400 करोड़ रुपये निवेश/खर्च किए हैं. भारत ने जो 36 राफेल विमान खरीदे हैं उनमें से 30 लड़ाकू विमान और छह प्रशिक्षु विमान हैं. प्रशिक्षु विमानों में दो सीटें हैं और उनमें लड़ाकू विमानों के लगभग सभी फीचर मौजूद हैं.
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