बहुप्रतीक्षित फाइटर जेट राफेल भारत की सरजमीं पर पहुंच चुके हैं। फ्रांस से उड़ान भरने के बाद राफेल ने बुधवार दोपहर अंबाला एयरफोर्स में लैंड किया। हालांकि, इससे पहले भी यह फाइटर जेट दो बार मेहमान बनकर जोधपुर के आसमान में गरज चुका है। सबसे पहले इसे खरीदने की प्रक्रिया के दौरान राफेल ने यूरो फाइटर टाईफून के साथ 2008 में उड़ान भरी थी। यही शक्ति परीक्षण राफेल की खरीद करने का आधार बना था।
इसके बाद 2014 में भारत-फ्रांस की वायुसेनाओं के संयुक्त युद्धाभ्यास गरुड़ के दौरान इसने कई दिन तक जोधपुर के आसमान को नापा था। उस समय तत्कालीन वायुसेनाध्यक्ष अरूप राहा ने जोधपुर में राफेल को उड़ाकर इसका परीक्षण किया था।
पहला शक्ति परीक्षण जोधपुर में
एयरफोर्स के जानकारों का कहना है कि एयरफोर्स ने जब नए फाइटर जेट खरीदने का फैसला किया था तो अंतिम रेस में यूरो फाइटर टाईफून और राफेल के बीच मुकाबला था। इन दोनों का शक्ति परीक्षण 2008 में जोधपुर में ही हुआ। उस समय 2-2 टाईफून और राफेल यहां आए थे। इन दोनों के बीच जोधपुर के आसमान में रोचक मुकाबला देखने को मिला था। बाद में राफेल ने टायफून को पछाड़ते हुए अपनी श्रेष्ठता साबित की। इसी आधार पर एयरफोर्स ने इसे खरीदने का फैसला किया गया।
मेहमान बन आया था राफेल
भारत-फ्रांस की वायुसेना के बीच समय-समय पर युद्धाभ्यास होता रहता है। 2014 के जून माह में युद्धाभ्यास गरुड़ जोधपुर में हुआ था। फ्रांस के करीब 120 सैनिक और चार राफेल जोधपुर पहुंचे थे। संयुक्त अरब अमीरात स्थित फ्रांस के एयरबेस से, जहां से आज पांच राफेल अंबाला पहुंचे हैं, चार राफेल सीधे जोधपुर पहुंचे थे।
जून माह में जोधपुर में पड़ने वाली भीषण गर्मी के अभ्यस्त होने के लिए फ्रांस के पायलट्स ने कुछ दिन संयुक्त अरब अमीरात की गर्मी में अभ्यास किया था। उस दौरान फ्रांस के पायलट्स गर्मी से बचने के लिए विशेष रूप से निर्मित हेलमेट व कूलवेस्ट पहन कर आए थे। इन्हें पहनने से शरीर का तापमान बाहर के तापमान से कुछ डिग्री ठंडा रहता है।
10 दिन तक सुखोई के साथ राफेल ने भरी उड़ान
करीब 10 दिन तक राफेल ने एयरफोर्स के सुखोई फाइटर जेट के साथ उड़ान भरी थी। जोधपुर के लोगों ने बहुत करीब से राफेल की कलाबाजियों को देखा था। युद्धाभ्यास के समापन समारोह में तब फ्रांसीसी वायुसेना चीफ ने सुखोई और भारतीय एयरचीफ मार्शल अरूप राहा ने राफेल को उड़ाया था।
बेहतरीन रहा था अनुभव
राफेल को उड़ाने के बाद राहा ने कहा था कि इस उड़ाने का अलग ही अहसास है। उन्होंने इसे बेहतरीन मशीन करार दिया था। वहीं फ्रांस के पायलट्स ने कहा था कि यहां के साफ मौसम और लंबी दूरी तक इस फाइटर जेट का उड़ाने का अलग ही लुत्फ आया। उन्होंने स्वीकर किया था कि फ्रांस में उन्हें इतनी लंबी दूरी का एयर स्पेस नहीं मिलता। ऐसे में छोटी दूरी की उड़ानें भरनी पड़ती है। लेकिन सही मायने में पहली बार राफेल को इतनी लंबी दूरी तक यहीं पर उड़ाने का मजा लिया।
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