भारत में प्रदूषण की स्थिति भयावह होती जा रही है। इससे हर भारतीय की औसत आयु 5.2 वर्ष घट रही है। प्रदूषण इसी स्तर पर बढ़ता रहा तो औसत आयु घटने यह आंकड़ा बढ़कर 9.4 वर्ष हो जाएगा। शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 1.4 अरब की आबादी का बड़ा हिस्सा ऐसी जगहों पर रहता है, जहां पार्टिकुलेट प्रदूषण का औसत स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से काफी अधिक है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 84 फीसदी लोग ऐसे क्षेत्रों में बसे हैं, जहां प्रदूषण का स्तर भारत द्वारा तय मानकों से अधिक है। वहीं 1998 से 2018 तक भारत के प्रदूषण में 42 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट में चेताया गया है कि प्रदूषण का स्तर यदि इसी तरह से बढ़ता रहा तो उत्तर भारत में रहने वाले लोगों की औसत आयु आठ वर्ष तक कम हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की एक चौथाई आबादी प्रदूषण के जिस स्तर का सामना कर रही है, वैसा कोई अन्य देश नहीं कर रहा है।
लखनऊ में 10.3 वर्ष घट जाएगी उम्र
लखनऊ में प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों से 11.2 फीसदी अधिक है। अगर प्रदूषण का यही स्तर जारी रहा तो लखनऊ में प्रदूषण के कारण 10.3 वर्ष आयु कम होगी।
दिल्ली में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में 70 फीसदी से अधिक की गिरावट
लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में नाइट्रोजन डाईऑक्साइड के स्तर में 70 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। हालांकि साथ ही चेतावनी दी गई है कि यह गिरावट अस्थायी हो सकती है, अगर वायु प्रदूषण पर बिना ठोस नीति बनाए शहरों को दोबारा खोला जाता है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की ‘कोविड-19 इन एन अर्बन वर्ल्ड’ पर पॉलिसी ब्रीफ में कहा गया है, कोरोना के सभी अनुमानित मामलों में 90 फीसदी के साथ शहरी इलाके महामारी का केंद्र बन चुके हैं। महामारी काल में देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं पर ब्रेक लगाया है, जिससे प्रदूषण और ग्रीन गैस उत्सर्जन में तेजी से कमी आई है।
भारतीय राजधानी दिल्ली में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 70 फीसदी से अधिक कम हुआ है। वहीं चीन के शहरी इलाकों में यह कमी करीब 40 फीसदी से ज्यादा है। बेल्जियम व जर्मनी में 20 फीसदी, जबकि अमेरिका के विभिन्न शहरों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर 19 से 40 फीसदी तक गिरा है।
हालांकि कुछ नए अध्ययन बताते हैं कि खराब वायु गुणवत्ता का संबंध कोरोना मृत्युदर से भी है। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में आठ फीसदी की बढ़ोतरी के चलते अमेरिका और नीदरलैंड में कोरोना से होने वाली मौतों में 21.4 फीसदी का इजाफा हुआ है।
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