अब खादी से चीन को PM Modi ऐसे देंगे करारा जवाब, आगरा-दिल्ली में चल रही तैयारी
Tue, Jul 28, 2020 7:12 PM
खादी (Khadi) से तैयार 22 शूज के सैंपल आगरा (Agra) से दिल्ली भी पहुंच चुके हैं. वहीं शूज कैसे तैयार होंगे इसकी ट्रेनिंग खादी ग्रामोद्योग सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, आगरा के साथ मिलकर दिल्ली (Delhi) में दे रहा है.
एक बार फिर पीएम नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) चीन (China) की कारोबारी अकड़ ढीली करने जा रहे हैं. लेकिन इस बार जवाब खादी से दिया जाएगा. इसके लिए आगरा-दिल्ली में तैयारी चल रही है. दिल्ली (Delhi) में ट्रेनिंग दी जा रही है तो आगरा (Agra) में बनकर तैयार होगा. इतना ही नहीं पीएम मोदी का यह प्लान ‘लोकल के लिए वोकल’ का गवाह भी बनेगा.
साथ ही खादी इंडिया अभियान को भी आगे बढ़ाएगा. अब चीन को शूज सेक्टर में टक्कर देने के लिए खादी (Khadi) के कपड़े से बने शूज बनाने की तैयारी चल रही है. खादी से तैयार 22 शूज के सैंपल आगरा से दिल्ली भी पहुंच चुके हैं. वहीं शूज कैसे तैयार होंगे इसकी ट्रेनिंग खादी ग्रामोद्योग सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (CFTI), आगरा के साथ मिलकर दिल्ली में दे रहा है.
चीन को टक्कर देने का यह है खादी शूज प्लान
जानकारों की मानें तो बड़ी संख्या में चीन से कैनवास शूज भारत आते हैं. इसी का तोड़ निकालने के लिए खादी शूज प्लान तैयार किया गया है. प्लान के तहत लैदर और खादी कपड़े के कॉन्बिनेशन से शूज की एक नई रेंज तैयार हो रही है, जो पूरी तरह से स्वदेशी है. इसमे लैदर का इस्तेमाल नाम मात्र के लिए ही होगा. लॉकडाउन के दौरान खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने आगरा का दौरान किया था. उन्होंने आगरा के शू एक्सपोर्टर के साथ बैठक की थी. बैठक में खादी के कपड़े से शूज बनाने की योजना पर बातचीत हुई थी.
ऐसे बनेंगे खादी के कपड़े से शूज
खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना के साथ हुई बैठक के बाद आगरा के दो शूज एक्सपोर्टर ने 22 सैंपल तैयार किए हैं. इसमे जेंट्स के लिए बूट, स्लीपर और सैंडिल हैं, जबकि महिलाओं के लिए बूट, स्लीपर, वैली और सैंडिल बनाए गए हैं. सभी सैंपल भारत में तैयार होने वाले खादी, लेदर और अन्य आइटम से तैयार किए गए हैं. शूज सैंपल में जहां आगरा का सोल, कोलकाता की लाइनिंग (अस्तर) सहित अन्य आइटम्स उपयोग किए हैं, वहीं खादी के कपड़ों में मधुबनी, बनारसी, सिल्क, फ्लाई प्रिंटिंग, कांथा वर्क का कपड़ा इस्तेमाल में लिया गया है.
सैंपल को खादी ग्रामोद्योग से मंजूरी का है इंतज़ार
शू एक्सपोर्टर श्रुति कौल की मानें तो सभी 22 सैंपल आगरा से दिल्ली खादी ग्रामोद्योग को भेज दिए गए हैं. अब इंतज़ार है तो सिर्फ खादी ग्रामोद्योग की मंजूरी का. मंजूरी मिलते ही देश और विदेशों के लिए खादी से बने शूज का प्रोडक्शन शुरु हो जाएगा. आगरा के शू एक्सपोर्टर का कहना है कि खादी के शूज लेदर की अपेक्षा बनाना आसान हैं. इनकी क्वालिटी और क्वांटिटी भी बेहतर रहेगी. साथ ही यह सस्ते भी हैं. बहुत से ऐसे लोग हैं, जो लेदर के शूज पहनना पसंद नहीं करते हैं.
आगरा में ऐसे होता है जूते का कारोबार
आगरा में शूज बनाने की है 300 यूनिट. आगरा में 5 हज़ार कुटीर उद्योग हैं. आगरा से 3500 करोड़ रुपये का शूज निर्यात होता है. 7 हज़ार करोड़ रुपये का सालाना शूज कारोबार है. आगरा में हर दिन 5 लाख जोड़ी जूता तैयार होता है. 5 लाख लोगों को इस कारोबार से रोज़गार मिलता है. एक अनुमान के अनुसार 65 फीसदी भारत आगरा का बना जूता पहनता है.
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