टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के बाद केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तेंदुए की गणना के आंकड़े जारी करने वाला है। यह आंकड़े बाघ दिवस (29 जुलाई) पर जारी किए जा रहे हैं। बाघों की गणना में बाजी मारने के बाद मप्र का तेंदुओं की गणना में भी पहले स्थान पर हो सकता है। मप्र वाइल्ड लाइफ मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2018 की गणना में प्रदेश में 2200 से ज्यादा तेंदुए मिलने की उम्मीद है। वर्ष 2014 की गणना में प्रदेश में 1817 तेंदुए पाए गए थे। इसमें कर्नाटक दूसरे नंबर पर था। वहां 1129 तेंदुए मिले थे। अब प्रदेश टाइगर स्टेट के बाद तेंदुआ स्टेट का खिताब मिल सकता है। भारतीय वन्यप्राणी प्रबंधन संस्थान देहरादून ने अन्य वन्यप्राणियों की गणना के आंकड़े अलग-अलग कर लिए है। इस संबंध में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर बाघ दिवस के अवसर पर आंकड़े जारी कर सकते हैं।
अनुमान के मुताबिक... तेंदुए व भालुओं की संख्या बढ़ी
मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में दिसंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच देशभर में बाघों की गिनती करवाई गई है। इस दौरान तेंदुए भी गिने गए। केंद्र सरकार ने बाघों के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए, लेकिन अन्य मांसाहारी और शाकाहारी वन्यप्राणियों के आंकड़े अब तक घोषित नहीं किए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि तेंदुओं के साथ साथ भालुओं की संख्या भी बढ़ी है। पहले जिन क्षेत्रों में कभी तेंदुआ और भालू नहीं दिखाई दिए वहां भी ये अक्सर दिखाई दे रहे हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2000 तक प्रदेश में 3600 से ज्यादा तेंदुए थे।
वर्ष 2014 की गणना में देश में सबसे ज्यादा तेंदुए मप्र में पाए गए थे। इस बार भी उम्मीद है कि तेंदुए की गणना में मप्र अव्वल हो सकता है। इस संबंध में आंकड़े जारी होने के बाद ही कुछ कह सकते हैं।
- राजेश मंडल, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ
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