हाईकोर्ट ने लाॅकडाउन के दौरान राज्य शासन के 1 व 22 अप्रैल 2020 को प्राइवेट स्कूलाें से फीस नहीं लेने के जारी आदेश को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार का यह आदेश गलत है, इस तरह का आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने प्राइवेट स्कूल संचालकों को ट्यूशन फीस लेने की मांग को स्वीकार करते हुए फीस वसूलने का अधिकार दिया है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने 9 जुलाई को आदेश के लिए फैसला सुरक्षित रखा था। सोमवार को आदेश जस्टिस पी. सैम कोशी की बेंच से पारित हुआ। बिलासपुर के 22 प्राइवेट स्कूलों की रजिस्टर्ड संस्था बिलासपुर प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन सोसाइटी ने अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। इसमें छत्तीसगढ़ सरकार के संचालक लोक शिक्षण द्वारा 1 अप्रैल और 22 अप्रैल को जारी आदेश को चुनौती दी।
इस आदेश में संचालक ने कहा है कि निजी शालाएं लाॅकडाउन अवधि में स्कूल फीस स्थगित रखें और अभिभावकों से फीस नहीं मांगे। साथ ही आदेश दिया है कि संस्थान के सभी शिक्षक व कर्मचारियों को वेतन देना सुनिश्चित करें। याचिका में यह बताया गया है कि निजी शालाएं सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है। उन्हें शासन से कोई फंड नहीं मिलता, उन्हें स्कूल फीस से ही शिक्षक और कर्मचारियों का वेतन व मेंटेनेंस कराना होता है। इस कारण संचालक और सीबीएसई को स्कूल संचालकों के संगठन ने अभ्यावेदन प्रस्तुत किया है। इसमें जो अभिभावक ट्यूशन फीस देने में सक्षम हैं उनसे फीस लेने की अनुमति देने की भी मांग की गई थी। इसपर सीबीएसई ने सभी राज्यों की सरकारों को निजी शालाओं की परेशानियों को देखते हुए इंतजाम करने कहा था। इससे टीचिंग व नाॅन टीचिंग स्टाफ की सैलरी व्यवस्था हो सके। याचिका में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, महामारी रोग अधिनियम 1897, सीजी एपिडेमिक डिजीज कोविड-19 रेगुलेशन 2020 का उल्लेख करते हुए स्कूल संचालकों ने आपदा के समय नागरिकों के ध्यान रखने की जिम्मेदारी राज्य और केंद्र सरकार का होना बताया। इसमें स्कूलों के शिक्षक का भी ध्यान रखा जाना है। याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पारित नरेश कुमार विरुद्ध संचालक स्कूल शिक्षा व रजत वत्स विरुद्ध गवर्नमेंट ऑफ दिल्ली के मामले में पारित न्याय दृष्टांतों का भी हवाला दिया है। इसके अलावा कई और हाईकोर्ट के न्याय दृष्टांतों का हवाला दिया गया। इसमें गैर अनुदान प्राप्त निजी शालाओं को लाॅकडाउन के दौरान ट्यूशन शुल्क लेने से मना नहीं किया जा सकता कहा गया है। इसमें वजह भी बताई गई है कि लाॅकडाउन में सभी स्कूल ऑनलाइन क्लास, प्रोजेक्ट वर्क, टेस्ट ले रहे हैं। बच्चों का ऑनलाइन क्लास लेना कठिन प्रयास और मुश्किल काम है।
इस साल फीस बढ़ोतरी नहीं करेंगे स्कूल
कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित किया था। सोमवार को कोर्ट ने आदेश पारित किया। इसमें कहा कि प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस लें। सभी ऑनलाइन क्लास चलती रहेंगी, पढ़ाई में व्यवधान नहीं होना चाहिए। स्कूल इस वर्ष फीस बढ़ोतरी नहीं करेंगे। साथ ही जो अभिभावक फीस दे पाने में समर्थ है या नहीं रखते कोई दिक्कत है तो वे स्कूल के समक्ष दस्तावेज के साथ अभ्यावेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। स्कूल उस अभ्यावेदन पर सहानुभूति पूर्वक निर्णय लेंगे।
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