Friday, 23rd May 2025

खतरनाक है चीनी जासूसों का नेटवर्क, हार्वर्ड प्रोफेसर से लेकर नेता तक इसके एजेंट

Sun, Jul 26, 2020 6:02 PM

अमेरिका और चीन के बीच कोरोना से शुरू हुए तनाव में अब नई कड़ी जुड़ गई है. असल में सिंगापुर के नागरिक पर अमेरिका में चीन के लिए जासूसी का आरोप लगा है. साथ ही एक चीनी रिसर्चर को भी पहचान छिपाकर अमेरिका में रहने और जासूसी के लिए हिरासत में लिया गया है. अमेरिका को शक है कि चीनी जासूस पहचान बदलकर कई जगहों पर हैं और बौद्धिक संपदा को चुराने की कोशिश में लगे हैं. वैसे अमेरिका का ये शक कुछ मायनों में सही भी है. माना जाता है कि चीन के पास जासूसों का एक पूरा गिरोह है जो दुनियाभर में फैला हुआ है. जानिए, कैसे काम करते हैं चीनी जासूस.

हर देश में खुफिया काम
वैसे तो हर देश के पास खुफिया यानी इंटेलिजेंस एजेंसी होती है. ये पता लगाती रहती हैं कि कहीं देश की सुरक्षा पर कोई खतरा तो नहीं या फिर कोई दुश्मन देश किसी तरह की राजनैतिक या सामाजिक अस्थिरता लाने की कोशिश तो नहीं कर रहा. भारत में भी रॉ नाम से खुफिया एजेंसी यही काम करती है, साथ में दुनिया में हो रहे बदलावों पर भी उसकी नजर होती है. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों में भी अलग-अलग और बेहद तेज-तर्रार खुफिया दस्ते हैं. चीन के पास भी आधिकारिक तौर पर जो एजेंसी ये काम करती है, उसे मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS) कहते हैं.

चीन अपना रहा अलग तरीका
हालांकि जासूसी के लिए चीन में गुप्त तरीके से अलग-अलग लोग काम करते हैं. ये किसी एजेंसी के साथ नहीं, बल्कि व्यक्तिगत तौर पर काम करते हैं. इनका काम होता है भेष बदलकर दूसरे देश में रहना और बातें पता लगाना. ये आमतौर पर नौकरी के लिए दूसरे देश जाते हैं, जिसमें चीन की सरकार पहचान छिपाने में उनकी मदद करती है. वहां रहते हुए ये जानकारियां जुटाते और चीन के हेडर्क्वाटर को खबर देते हैं.

चीनी सरकार की तारीफ भी इनका काम
चीन इनसे जासूसी के साथ ही कई दूसरे काम भी करवाता है. मिसाल के तौर पर ये लोग दूसरे देश में रहते हुए चीन की नीतियों की पब्लिसिटी करते हैं. चीनी सरकार की तारीफ ऐसे करते हैं कि आसपास के विदेशियों को यकीन हो जाए कि कम्युनिस्ट पार्टी के राज में कोई खराब नहीं, बल्कि जनता खुश है. इस गैंग में हर पेशे से जुड़े लोग होते हैं, जैसे पत्रकार, डॉक्टर-नर्स, शोधार्थी और यहां तक कि रिसेप्शन पर काम करने वाले लोग तक. कुल मिलाकर वे सारे लोग चीन की पब्लिसिटी करते हैं, जिनका लोगों से मिलना-जुलना हो.

विदेशी भी कर रहे चीन के लिए काम
ये केवल चीन ही नहीं, बल्कि विदेशी भी होते हैं. इन्हें बड़ी रकम देकर चीन अपने प्रचार के लिए तैयार करता है. साथ ही विदेशों में काम कर रही चीनी कंपनियां भी अपनी सरकार के लिए जासूसी करती हैं. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर कंपनी की एक गुप्त सेल होती है, जो कम्युनिस्ट पार्टी को जानकारियां देती है कि कहां क्या चल रहा है. काम इनका ऊपरी आवरण होता है.


क्या हैं ताजा उदाहरण
विऑन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में एक ऑस्ट्रेलियन एमपी Shaoquett Moselmane शक के घेरे में है. ये नेता जरूरत से ज्यादा ही चीन का पक्ष लेता दिखा. यहां तक कि कोरोना के मामले में भी वो लगातार चीन के पक्ष में बोलता रहा, वो भी तब जब खुद उसके देश के लोग कोरोना संक्रमित हो रहे थे. शक होने पर नेता के दफ्तर पर हाल ही में छापा मारा गया और इस बात की जांच हो रही है.

माना जा रहा है कि ये व्यक्ति अकेला नहीं, बल्कि प्रभावशाली पदों पर बैठे काफी सारे लोग चीन के लिए काम कर रहे हैं. जैसे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर चार्ल्स लाइबर को भी इसी आरोप में पकड़ा गया. जांच में अमेरिकी अधिकारियों ने पाया कि प्रोफेसर को चीन के पक्ष में बोलने और जासूसी के लिए 1 मिलियन डॉलर दिया गया था.

ओहदेदार लोग जुड़े हुए
चीन हमेशा उन्हें ही अपने लिए काम के लिए अप्रोच करता है, जो ओहदेदार हों ताकि वे जो बोलें, उसका ज्यादा लोगों पर असर पड़े. ये चीन अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए करता है. कथित तौर पर चीन के लिए काम करने वाले लोग दुनिया की अलग-अलग 500 से ज्यादा यूनिवर्सिटीज में फैले हुए हैं. ये स्कॉलर हैं जो खबरें चीन तक ले जाते हैं और चीन के पक्ष में माहौल बनाते हैं. बहुत से पत्रकार हैं, जिन्हें चीन की यात्रा और तोहफे देकर प्रो-चाइना बनाया जाता है. देश लौटकर वे चीन की तारीफ में आर्टिकल, संपादकीय लिखते हैं. हाल ही में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने एक सर्वे कराया. इसमें विदेश यात्रा कर रहे 58 पत्रकारों से बात की. इसमें चीन यात्री की बात सामने आई.

जासूसी की बिल्कुल नई परंपरा
कुल मिलाकर चीन जासूसी के लिए खुफिया एजेंसियों पर ही निर्भर नहीं, बल्कि इसके लिए वो गैर-पारंपरिक तरीके अपना रहा है. इस तरह के जासूस तैयार करना जासूसी की नई परंपरा है. इसमें जासूस समाज का जाना-माना चेहरा होता है, छिपकर काम नहीं करता. जासूसी के साथ ही वो चीनी नीतियों के पक्ष में माहौल बनाता चलता है.
 

चीनी एप भी करते हैं जासूसी
इनके अलावा चीनी एप भी देश में जासूसी का काम करते आए हैं. यही देखते हुए भारत सरकार ने हाल ही में 59 एप्स को बैन किया है. गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर की रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है. बताया जा रहा है इन एप्स को लेकर इससे पहले भी कई बार इस तरह की चेतावनी दी गई है.

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery