Tuesday, 27th May 2025

रंग लाई कोशिश:महाराष्ट्र के सांगली में 400 साल पुराना पेड़ कटने से बचाने के लिए गांववाले इससे चिपक गए, अब इसके लिए हाईवे का नक्शा बदला जाएगा

Sat, Jul 25, 2020 10:05 PM

  • पेड़ को बचाने के लिए चिपको आंदोलन, सोशल मीडिया कैंपेन और ऑनलाइन पिटीशन दायर की थी
  • राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने भी केंद्रीय मंत्री गडकरी को चिट्‌ठी लिखकर गुजारिश की थी
 
 

महाराष्ट्र के सांगली के भोसे गांव के लोगों ने 400 साल पुराने बरगद के पेड़ को कटने से बचा लिया। यह स्टेट हाईवे के बीच में आ रहा था। गांव वालों को पता चला तो वे पेड़ को घेर कर खड़े हो गए और चिपको आंदोलन शुरू कर दिया। खबर केंद्र तक पहुंची तो लोगों की भावनाओं को देखते हुए सरकार को सड़क का नक्शा बदलने का फैसला करना पड़ा।

रत्नागिरी-सोलापुर हाईवे पर यह पेड़ येलम्मा मंदिर के पास है। यह करीब 400 वर्गमीटर में फैला है। यह पेड़ यहां के लोगों की परंपरा से जुड़ा है। इस पर कई किस्म की चिड़ियों और जानवरों को भी देखा जाता रहा है।

पहले 20 लोगों ने ही शुरू किया विरोध
स्टेट हाईवे-166 के लिए पेड़ को काटने का काम शुरू हो गया था। सांगली के सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने विरोध किया। गांव वालों ने बताया कि उन्हें जुलाई की शुरुआत में पेड़ काटने की बात पता चली। कोरोना की वजह से एक साथ विरोध नहीं किया जा सकता था। फिर भी पेड़ को बचाने की कोशिश शुरू हुई। पहले 20 लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पेड़ को घेर कर खड़े हो गए। इसके बाद इसे काफी समर्थन मिला।

ऑनलाइन पिटिशन को मिला 14 हजार लोगों का समर्थन

गांव वालों ने सह्याद्री संगठन नाम के एक ग्रुप की मदद से फेसबुक पर इस पेड़ का फोटो अपलोड करना शुरू किया। कई ऐसे वीडियो भी पोस्ट किए जिनमें दिखाया गया था कि पेड़ की शाखाएं कितनी फैली हुई हैं। इस ग्रुप से कुछ ऐसे वीडियो भी अपलोड किए गए जिनमें पेड़ पर बंदर उछल-कूद करते नजर आ रहे थे। इसके लिए ऑनलाइन पिटीशन भी दायर की गई थी, जिसे 14 हजार से ज्यादा लोगों का समर्थन मिला।

लोगों की भावनाओं को देखते हुए बदलाव का फैसला किया

इस बारे में राज्य के पर्यटन और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को चिट्ठी लिखी। लोगों की भावनाओं को देखते हुए गडकरी ने हाईवे के नक्शे में बदलाव करने को कहा है। अब यह हाईवे भोसे गांव की जगह आरेखन गांव से गुजरेगा। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने शुक्रवार को कहा कि पेड़ का तना नहीं काटा जाएगा, लेकिन इसकी कुछ शाखाओं को छांटा जाएगा।

सबसे पहले 1970 में उत्तराखंड में हुआ था चिपको आंदोलन
चिपको आंदोलन 1970 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश के चमोली जिले में शुरू हुआ था। करीब एक दशक में यह पूरे उत्तराखंड में फैल गया था। इसकी अगुआई पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा, गोविंद सिंह रावत, चंडीप्रसाद भट्ट और गौरादेवी ने की थी। इस आंदोलन में पेड़ों को काटने से बचाने के लिए लोग उनसे चिपक जाते थे। इसलिए इसे चिपको आंदोलन नाम दिया गया। इसमें महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुई थीं।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery