भारतीय कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) आज दुनिया के सबसे आक्रामक बल्लेबाजों में गिने जाते हैं. मगर उनके करियर में भी एक दौर ऐसा आया था, जब वो खराब फॉर्म से जूझ रहे थे. बात 2014 की करें तो इंग्लैंड दौरे को उनके करियर का सबसे बुरा दौरा माना जाता है. आज भी वो दौरा उनके लिए एक बुरा सपना है. उस दौरे पर कोहली 10 पारियों में बुरी तरह से फ्लॉप रहे थे. उन्हें काफी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा था. इस दौरे के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों में चार शतक जड़कर वापसी की थी. मगर इंग्लैंड का दौरा कोहली के करियर का मील का पत्थर साबित हुआ.
इंग्लैंड से लौटते ही उन्होंने सचिन तेंदुलकर से बात की और उनकी मदद से ही वह शानदार टेस्ट बल्लेबाज बन पाए. मयंक अग्रवाल से ‘बीसीसीआई टीवी’ पर बातचीत करते हुए भारतीय कप्तान ने इंग्लैंड दौरे के बाद अपनी तकनीक में बदलाव का खुलासा किया. ‘ओपन नेट्स विद मयंक’ शो में कोहली ने मयंक से बातचीत में कहा कि काफी लोग अच्छे दौरों को अपने करियर का मील का पत्थर कहते हैं, लेकिन उनके लिए 2014 मील का पत्थर है.
विराट कोहली ने बताया कि खराब इंग्लैंड दौरे से लौटते ही उन्होंने सचिन तेंदुलकर से बात की और मुंबई में उनके साथ कुछ सेशन लिए. कोहली ने उन्हें बताया कि वो अपने कूल्हे की पोजीशन पर काम कर रहे हैं. भारतीय कप्तान ने बताया कि सचिन ने उन्हें बड़े कदमों और तेज गेंदबाजों के खिलाफ ‘फॉरवर्ड प्रेस’ की अहमियत महसूस कराई थी. अपनी पोजीशन के साथ जैसे ही ऐसा करना शुरू किया, चीजें अच्छी तरह होनी शुरू हो गई और फिर ऑस्ट्रेलिया दौरा हुआ. भारतीय कप्तान ने बताया कि इंग्लैंड में क्या गलत हुआ और उन्हें इसका अहसास कैसे हुआ.
कोहली ने कहा कि इंग्लैंड दौरे के दौरान उनकी ‘हिप पोजीशन’ मुद्दा थी. परिस्थितियों के अनुरूप सांमजस्य और जो करना चाह रहे थे, वो नहीं कर पा रहे थे. सख्त होने से आप कहीं नहीं पहुंचते. यह महसूस करना काफी लंबा और दर्दनाक था, लेकिन उन्होंने इसे महसूस किया. कोहली को महसूस हुआ कि ‘हिप पोजीशन’ की वजह से उनकी शॉट लगाने की काबिलियत सीमित हो रही थी. उन्होंने कहा कि इसे संतुलित रखना चाहिए, ताकि आप ऑफ साइड और लेग साइड दोनों ही ओर बराबर नियंत्रण बनाकर खेल सके, जो काफी महत्वपूर्ण है.
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