TMC ने विधानसभा चुनावों के लिए कसी कमर, युवा नेताओं को सौंपे अहम पद
Fri, Jul 24, 2020 4:57 AM
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने पार्टी संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल करने की घोषणा की और युवा चेहरों को नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी है.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Election) तो 2021 में है लेकिन सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) ने अभी से कमर कसना शुरू कर दिया है. पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने माओवादी समर्थित ‘पुलिस अत्याचार के खिलाफ जन समिति’ (पीसीएपीए) के एक पूर्व नेता छत्रधर महतो को बृहस्पतिवार को पार्टी की प्रदेश समिति में नियुक्त किया. ममता ने पार्टी संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल करने की घोषणा की और युवा चेहरों को नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी है. पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि कुछ पुराने नेताओं को पद से हटाते हुए पार्टी की एक आंतरिक बैठक में ममता ने 21 सदस्यों की एक नई प्रदेश समिति और सात सदस्यीय एक कोर समिति की घोषणा की. पार्टी में अपनी तरह की यह पहली कोर समिति है.
छत्रधर महतो की नियुक्ति महत्वपूर्ण
प्रदेश समिति में सबसे महत्वपूर्ण नियुक्ति महतो की है, जो लालगढ़ आंदोलन के एक प्रमुख नेता रहे थे. यह आंदोलन 2000 के दशक में पीसीएपीए ने चलाया था और इसे माओवादियों का समर्थन प्राप्त था. कलकत्ता हाईकोर्ट ने जेल में महतो के अच्छे आचरण को लेकर उनकी उम्र कैद की सजा को घटाकर 10 साल की कैद में तब्दील कर दिया, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस फरवरी में उनकी रिहाई करा दी.
पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य पर दो नवंबर 2008 को पश्चिमी मिदनापुर जिले में जानलेवा हमला करने की कोशिश के आरोप में महतो को 26 सितंबर 2009 को झाड़ग्राम जिले से पुलिस ने गिरफ्तार किया था. महतो कथित माओवादी गतिविधियों से जुड़े कई मामलों में नामजद रहे हैं. उन पर गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत भी आरोप है.
जंगल महल में फायदे की उम्मीद
महतो की नियुक्ति को पार्टी द्वारा जंगल महल क्षेत्र में पार्टी संगठन में नई जान फूंकने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है, जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ था. उनके अलावा, ममता ने सीपीएम के निष्कासित नेता एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य रीताव्रत बंदोपाध्याय को भी प्रदेश समिति में नियुक्त किया है. मुख्यमंत्री ममता और तृणमूल कांग्रेस के कभी कटु आलोचक रहे रीताव्रत को सीपीएम ने 2017 में पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर निष्कासित कर दिया था.
असंतुष्ट नेताओं को मिली जगह
ममता ने असंतुष्ट नेताओं, राजीब बनर्जी और सधान पांडे (दोनों मंत्री हैं) को भी क्रमश: प्रदेश समिति एवं प्रदेश समन्वय समिति में नियुक्त किया है. कोर समिति, जिसे प्रदेश समन्वय समिति की संचालन समिति कहा जाता है, में पार्टी महासचिव सुब्रह बक्शी, महासचिव पार्था चटर्जी, फिरहाद हकीम, सुवेंदु अधिकारी, गौतम देब, अभिषेक बनर्जी और शांत छेत्री होंगे.
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इसके अलावा हावड़ा, कूचबिहार, पुरूलिया, नादिया, झाड़ग्राम और दक्षिण दिनाजपुर सहित कई जिलों में पार्टी अध्यक्षों को हटा दिया गया है. सूत्रों ने बताया कि नए एवं युवा चेहरों को मौका दिया गया है. पूर्व क्रिकेटर एवं विधायक लक्ष्मी रतन शुक्ला को हावड़ा, पूर्व सांसद पार्था प्रतीम रॉय को कूचबिहार, गुरूपद टुडु को पुरूलिया और श्याम संत्रा को बांकुरा जिले का प्रभारी बनाया गया है.
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में हासिल की थी 18 सीटें
लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा को नादिया जिले का प्रभार सौंपा गया है. पार्टी ने जिला पर्यवेक्षक का पद रद्द कर दिया है. राज्य में अगले साल अप्रैल- मई में विधानसभा चुनाव होने हैं, जब ममता मुख्यमंत्री पद पर 10 साल पूरे करने जा रही हैं. राज्य में बीजेपी से बढ़ती चुनौती के मद्देनजर नेतृत्व में बदलाव किया गया है. बीजेपी ने 2019 लोकसभा चुनाव में 42 सीटों में से 18 पर जीत हासिल की थी और तृणमूल कांग्रेस को 34 सीटों से घटा कर 22 पर ला दिया.
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