राजस्थान की 200 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस+ की 123 विधायकों की सरकार दो फाड़ हो चुकी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बर्खास्त उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के अलग-अलग गुट बने हुए हैं। पूरी लड़ाई बहुमत पर टिकी है, गहलोत बहुमत का दावा कर रहे हैं और पायलट कह चुके हैं कि गहलोत सरकार अल्पमत में है।
पायलट के पत्ते बंंद हैं। 101 का आंकड़ा सरकार पूरा कर पाएगी? पायलट सरकार को इससे रोक पाएंगे? मंत्री पद की तरह क्या पायलट और उनके समर्थकों की विधायकी जाएगी या बची रह पाएगी? इन सबके लिए हाईकोर्ट में दोनों गुट के कुल 7 पक्षकार हैं। इन सातों पक्षों के 30 वकील अपने अपने क्लाइंट के लिए 3 दिन से जिरह कर रहे हैं।
इस बीच विधानसभा स्पीकर के लिए हाईकोर्ट के ऑर्डर का क्या असर होगा? यह बहस अब सुप्रीम कोर्ट में चलेगी। 24 तारीख के संभावित क्लाइमेक्स के इर्द-गिर्द सियासी बायस्कोप चल रहा है। कई पात्र हैं...मगर इस सियासी जंग के निर्णायक विधायक ही हैं, जो फिलहाल 2 होटलों में बंद हैं और जो बाड़ाबंदी में नहीं, वे अपनी गणित की जुगाड़बंदी में लगे हैं।
हाईकोर्ट रूम: जयपुर-दिल्ली-लंदन से पैरवी
सचिन पायलट सहित उनके खेमे के 19 एमएलए को विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की ओर से दिए गए अयोग्यता नोटिस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। देश के दिग्गज वकीलों सहित 30 वकीलों ने लंदन और दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए और पर्सनली कोर्ट पहुंचकर पायलट और स्पीकर समेत दूसरे पक्षकारों की ओर से पैरवी की। पायलट गुट, स्पीकर, चीफ व्हिप और दूसरे पक्षकारों की ओर से सीनियर वकीलों के अलावा उनके सहयोगी रहे वकीलों ने भी अहम भूमिका निभाई।
पायलट गुट की ओर से इन्होंने की पैरवी: सचिन पायलट गुट की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने लंदन से जबकि मुकुल रोहतगी ने दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखा। हरीश साल्वे को वकील दिव्येश माहेश्वरी ने कोर्ट में सपोर्ट किया। जबकि मुकुल रोहतगी को आपराधिक मामलों के वकील राजेश गोस्वामी और यशवर्धन नंदवाना ने सपोर्ट किया।
राजस्थान विधानसभा की ओर से मुख्य रूप से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा और उनका सपोर्ट हरेन्द्र नील ने किया। विधानसभा स्पीकर की ओर से एजी एमएस सिंघवी ने पैरवी की। वकील दर्श पारीक और सिद्दांत जैन उनके सहयोगी रहे। विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी की ओर से प्रतीक कासलीवाल ने पैरवी की। चीफ व्हिप महेश जोशी की ओर से सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत, अभय भंडारी और एनके मालू ने पैरवी की।
दूसरे पक्षकार माेहनलाल नामा की ओर से विमल चौधरी और योगेश टेलर, पब्लिक अंगेस्ट करप्शन संस्था की ओर से अधिवक्ता पीसी भंडारी, टीएन शर्मा और अभिनव भंडारी ने पक्ष रखा। प्रतापसिंह ने खुद ही अपना पक्ष रखा।
हॉर्स ट्रेडिंग का केस: दोनों गुट बाड़ों में
10 जुलाई को एसओजी ने हॉर्स ट्रेडिंग की कॉलिंग पर राजद्रोह और आपराधिक षडयंत्र का मामला दर्ज किया। 11 जुलाई को सीएम गहलोत, तत्कालीन डिप्टी सीएम पायलट सहित 16 विधायकों को नोटिस जारी किया। पायलट गुट के विधायक मानेसर में जमा हो गए। गहलोत समर्थकों की जयपुर में बाड़ेबंदी कर दी गई। विवाद तब बढ़ गया जब पायलट ने बयान दिया कि उनके पास 30 विधायक हैं, गहलोत सरकार अल्पमत में है। यहीं से शह और मात का खेल शुरू हो गया और मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंच गया है।
विधानसभा का दखल
पायलट और उनके 18 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए चीफ व्हिप महेश जोशी ने 14 जुलाई को स्पीकर से शिकायत की। स्पीकर ने सभी 19 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। नोटिस का जवाब 17 जुलाई तक दिया जाना था।
फिर अदावत अदालत में...
स्पीकर डाॅ. सीपी जोशी के नोटिस के खिलाफ विधायक पृथ्वीराज मीणा की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद 21 जुलाई को हाईकोर्ट ने कहा कि 24 जुलाई को फैसला सुनाएंगे।
अब सुप्रीम कोर्ट: हाईकोर्ट के कहने पर स्पीकर ने विधायकों पर कार्रवाई को आगे बढ़ा दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी। कहा- हम संवैधानिक संकट की ओर बढ़ रहे हैं।
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