Wednesday, 28th May 2025

स्वदेशी कोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल आज:एम्स दिल्ली में 10 घंटे में 10 हजार रजिस्ट्रेशन हुए, लेकिन 18 से 55 साल के 100 स्वस्थ लोगों को ही लग रही वैक्सीन

Mon, Jul 20, 2020 7:24 PM

  • देश के 12 शहरों में से सबसे ज्यादा वॉलंटियर्स एम्स से वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होंगे
  • ट्रायल के पहले व्यक्ति का कोविड टेस्ट होगा, ब्लड, बीपी, किडनी और लिवर से जुड़ी बीमारियां न पाए जाने के बाद ही वैक्सीन दी जाएगी
 
 

एम्स दिल्ली में सोमवार को देश की पहली स्वदेशी वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो रहा है। एम्स दिल्ली देश के उन 14 इंस्टीट्यूट में से एक है, जिसे आईसीएमआर ने पहले और दूसरे चरण के ट्रायल की अनुमति दी है। पहले चरण में वैक्सीन का ट्रायल 375 वॉलंटियर्स पर होगा। इनमें से 100 वॉलंटियर्स एम्स से शामिल होंगे। ट्रायल में स्वस्थ लोगों को ही शामिल किया जाएगा। इनकी उम्र 18 से 55 साल के बीच होगी। ये ऐसे वॉलंटियर्स होंगे, जिन्हें अब तक कोविड-19 का संक्रमण नहीं हुआ। 

सबसे पहली मंजूरी दिल्ली-एनसीआर के लोगों को
एम्स की एथिक्स कमेटी ने कोवैक्सिन के पहले ह्यूमन ट्रायल को मंजूरी दे दी है। ट्रायल में शामिल होने के लिए 10 घंटे में 10 हजार से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। अभी केवल दिल्ली-एनसीआर के लोगों के रजिस्ट्रेशन को मंजूरी दी जाएगी। 

ट्रायल में शामिल होने के लिए ऐसे कराएं रजिस्ट्रेशन
एम्स दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. संजय राय के मुताबिक, जो लोग वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल में शामिल होना चाहते हैं, वो मोबाइल नम्बर 07428847499 पर अपना नाम रजिस्टर्ड करा सकते हैं या चाहें तो रजिस्ट्रेशन के लिए ctaiims.covid19@gmail.com पर मेल भी कर सकते हैं। जिस शख्स पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल होगा उसका पहले कोविड टेस्ट होगा। ट्रायल स्वस्थ लोगों पर होगा। मेडिकल चेकअप में ब्लड, बीपी, किडनी और लिवर से जुड़ी बीमारियां न पाए जाने के बाद ही वैक्सीन की डोज दी जाएगी।

वैक्सिन के ट्रायल से जुड़ी 5 बातें 

1. जानवरों पर वैक्सीन का ट्रायल पूरा 
जब से भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन के नाम की घोषणा की है, हर तरफ एक ही सवाल है- कोरोना वायरस की यह वैक्सीन कब आएगी? इस वैक्‍सीन के निर्माण में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्‍ट‍िट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे के वैज्ञानिक भी भारत बायोटेक के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। वैक्‍सीन के ट्रायल को लेकर आईसीएमआर के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ. रमन आर गंगाखेडकर का कहना है कि  कोवैक्सिन का जानवरों पर ट्रायल हो चुका है। अब ह्यूमन ट्रायल होगा।   

2. तीन स्तर के ट्रायल को ऐसे समझें
प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. गंगाखेडकर ने बताया कि इंसान पर तीन स्तर के ट्रायल होते हैं। 

  • पहली स्टेज : इसमें यह देखा जाता है कि वैक्सीन सेफ है या नहीं। इसी दौरान ये भी देखा जाता है कि वैक्सीन लेने वाले में एंटीबॉडी बन रहे हैं या नहीं।
  • दूसरी स्टेज: इसमें देखा जाता है कि वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट तो नहीं है। एक साल या 6 महीने के अंदर कोई दुष्परिणाम होते हैं या नहीं। 
  • तीसरी स्टेज : इस दौरान ये देखा जाता है कि वैक्सीन देने के बाद कितने लोगों को नए सिरे से बीमारी होती है या नहीं।

चौथी स्टेज की प्रक्रिया ट्रायल मोड में नहीं होती। उसमें आम लोगों को जब वैक्सीन देना शुरू करते हैं, तो देखा जाता है कि अगले दो साल तक कोई साइड इफेक्ट तो नहीं आये। उसे पोस्ट मार्केटिंग सर्विलांस कहते हैं। उसके बाद वैक्सीन पर अंतिम निर्णय लिया जाता है।

3. आम लोगों तक वैक्सीन आने में कितना वक्त लग सकता है?
इस सवाल पर डॉ. गंगाखेडकर ने कहा कि कोविड के पहले तक वैक्सीन के ट्रायल में 7-10 साल तक लगते थे। चूंकि कोरोना महामारी बहुत तेजी से फैल रही है इसलिए इस संक्रमण को कम करने के लिए अलग-अलग तरह से वैक्सीन के ट्रायल हो रहे हैं। भारत में भी बनने में करीब डेढ़ से दो साल का समय लगेगा। अभी जो भारत की वैक्सीन है, उसका पहले चरण का ट्रायल 15 अगस्त तक पूरा हो जाएगा। उसमें पता चल जाएगा कि इस वैक्सीन से एंटीबॉडी बन रहे हैं या नहीं और यह सेफ है या नहीं। उसके बाद दूसरे स्टेज का ट्रायल होगा। शायद कंपनी ने सोचा है कि अगर ये वैक्सीन काम करेगी तो इसका प्रोडक्शन शुरू कर देंगे, ताकि पूरे ट्रायल के बाद यह अगर सफल हुई, तो भारत में बड़ी आबादी तक जल्द पहुंच जाए। अगर यह करागर नहीं हुई तो नुकसान भी हो सकता है।

4. चीन और अमेरिकी वैक्सीन भी भारत के स्तर की हैं
डॉ. गंगाखेडकर ने बताया कि वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग फेज़ में होता है। फेज वन में करीब 40 से 50 लोगों पर ट्रायल किया जाता है। फेज 2 में 200-250 लोगों पर ट्रायल होता है। फेज 3 में बड़ी संख्या में लोग पार्टिसिपेट करते हैं। लेकिन जो भी परिणाम आते हैं, उसके आधार पर ही कैल्कुलेशन करके सैंपल लिया जाता है। उन्‍होंने बताया कि अभी दो ही वैक्सीन हैं जो फेज 2 ट्रायल में हैं। एक ऑक्सफोर्ड में बनी वैक्सीन का नाम केडॉक्स है। दूसरी चीन की वैक्सीन है, जो साइनोवैक कंपनी ने बनाई है। ये दोनों ही भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोवैक्सिन के स्तर की हैं।

5. 12 हॉस्पिटल्स में शुरू हुआ पहले चरण का ट्रायल

वैक्सीन के ट्रायल के लिए आईसीएमआर ने देश में 12 हॉस्पिटल्स का चयन किया है। इनमें एम्स-दिल्ली, एम्स पटना, किंग जॉर्ज हॉस्पिटल-विशाखापटनम, पीजीआई-रोहतक, जीवन रेखा हॉस्पिटल-बेलगम, गिलुरकर मल्टीस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल-नागपुर, राना हॉस्पिटल-गोरखपुर, एसआरएम हॉस्पिटल-चेन्नई, निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज-हैदराबाद, कलिंगा हॉस्पिटल-भुवनेश्वर, प्रखर हॉस्पिटल-कानपुर और गोवा का एक हॉस्पिटल भी शामिल है।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery