Monday, 26th May 2025

119 दिन से कर रहे काेराेना ड्यूटी, बेटी का जन्म हुआ तो दो दिन बाद देखा वो भी तीन फीट दूर से, संक्रमण न हो इसलिए आज तक गोद में नहीं लिया

Mon, Jul 20, 2020 7:18 PM

निमोरा स्थित प्रदेश के सबसे बड़े क्वारेंटाइन सेंटर के नोडल अफसर 119 दिनों से लगातार ड्यूटी कर रहे हैं। क्वारेंटाइन सेंटर हाई रिस्क जोन है, इसलिए वे ड्यूटी से छूटने के बाद भी घर जाने का जोखिम नहीं उठा रहे। यहां तक कि 5 जून को बिटिया का जन्म हुआ तब भी नहीं जा सके। पहले टेस्ट करवाया। दो दिन बाद रिपोर्ट निगेटिव आई तब कुछ घंटों के लिए घर गए। बेटी को तीन फीट दूर रहकर देखा और लौट आए। उसके बाद केवल दो दफे घर गए, लेकिन संक्रमण न हो इसलिए अब तक बेटी को गोद में नहीं लिया। 
पर्दे के पीछे नोडल अफसर अश्वनी पांडे की तरह और भी कई कोरोना वारिसर्य हैं, जो दिन-रात घर परिवार छोड़कर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं। अश्वनी की पोस्टिंग अभनपुर ब्लॉक प्रोग्राम अधिकारी के तौर पर है। राजधानी में 18 मार्च को पहला केस मिला। 19 मार्च को लॉकडाउन हो गया। 24 मार्च को स्वास्थ्य विभाग ने निमोरा स्थित ट्रेनिंग सेंटर को क्वारेंटाइन सेंटर बना दिया। उसी दिन से अश्वनी की ड्यूटी वहां लग गई। 
मेरे जैसे कई हैं, जो घर नहीं जा पा रहे
मेरे जैसे और भी कई हैं, जो घर नहीं जा पा रहे हैं। पर शायद सबसे सीनियर मैं ही हूं। क्योंकि मेरे साथ जिनकी ड्यूटी लगी थी, उनकी किसी न किसी कारण ड्यूटी बदल गई। मैं अकेला बचा हूं। हां लालपुर आईसीएमआर सेंटर के दो डाॅक्टर और 15 लैब तकनीशियनों के साथ चार सर्वेंट स्टाफ भी पिछले डेढ़ महीने से घर नहीं गया। सेंटर में ड्यूटी करने के बाद सभी यहीं क्वारेंटाइन सेंटर में रहते हैं। इनके साथ एम्स के करीब 80, लालपुर आईसीएमआर सेंटर के 70 और अंबेडकर अस्पताल के 50-60 डाॅक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ एक साथ रहते हैं। हमें इन सभी के भोजन और बाकी व्यवस्था करनी पड़ती है। जब शहर में पहला केस मिला तब इसे लंदन, अबुधाबी, अमेरिका और बैंकाक से आने वालों के लिए क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया। उनके आने का सिलसिला बंद हुआ तो दूसरे राज्यों से आने वाले क्वारेंटाइन किए जाने लगे। अब ये पूरी तरह से मेडिकल स्टाफ के लिए क्वारेंटाइन सेंटर है। एम्स, अंबेडकर अस्पताल और माना में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले डाक्टर और बाकी स्टाफ यहीं रहते हैं। ड्यूटी पूरी करने के बाद 14 दिन का क्वारेंटाइन भी यही गुजारते हैं। फिर 14 दिन के लिए घर चले जाते हैं और यहां हमें नई बैच मिल जाती है। कोरोना का संक्रमण इस महीने खत्म होगा, आने वाले महीने में खत्म हो जाएगा। इसी उम्मीद पर दिन गुजर रहे हैं। 
हाई रिस्क में ड्यूटी, इन सावधानियों से बचे रहे
1- मास्क तब उतारते हैं जब अपने कमरे में जाते हैं।
2- हर थोड़ी देर में हाथ सेनिटाइज करते रहते हैं।
3- किसी से भी 3 फुट से ज्यादा दूर रहकर ही बात करते हैं। 

घर जाने का मौका मिलने के पीछे की कहानी अजीब
जब हमारे सेंटर में रहते हुए कोई मेडिकल स्टाफ पॉजिटिव आता है, तब सब लोगों के साथ हमारी भी जांच होती है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद यकीन हो जाता है कि हमें कोरोना नहीं है, उस समय घर जाने का मौका मिलता है, पर कुछ घंटों के लिए ही। घर पर भी सबसे दूरी बनाकर रखते हैं। 

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery