धर्मशाला। पूरी दुनिया में हो रही किरकिरी के बावजदू चीन की विस्तारवादी नीति में कोई बदलाव आता नहीं दिख रहा है। भारत के हाथों मुंह की खाने के बाद अब कमजोर तिब्बतियों को निशाना बनाया जा रहा है। चीनी अधिकारियों ने पूर्वी तिब्बत में रहने वाले 60 तिब्बती लोगों को जबरन दूसरी जगह पर बसा दिया है। यह जानकारी तिब्बत वॉच के हवाले से फ्री तिब्बत एनजीओ ने दी। रिपोर्ट में बताया गया है कि 13 अलग-अलग घरों में रहने वाले तिब्बतियों को पूर्वी इलाके में स्थित पेयुल काउंटी के डोलयिंग गांव से हटाकर चीनी सरकार द्वारा बनाए गई दूसरी बस्ती में 24 जून को जबरन भेज दिया गया था।
तिब्बत वॉच के अनुसार, चीनी झंडे बस्ती के नए घरों की छतों के ऊपर लहरा रहे थे और घरों के अंदर शी जिनपिंग सहित चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के चित्रों को लगाया गया था। साल 2018 और 2019 के बीच चीनी सरकार ने पूर्वी तिब्बत से लगभग 400 तिब्बती परिवारों का बड़े पैमाने पर जबरन स्थानांतरण करवाया था। यह इलाका तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के रूप में शासित होता है और क्षेत्र में चीनी अधिकारियों तिब्बतियों का शोषण किया जा रहा है।
फ्री तिब्बत ने बताया है कि चीनी सरकार ने जुलाई 2019 में तीन तिब्बती-बहुसंख्यक टाउनशिप से 2,693 लोगों का पुनर्वास पशो काउंटी में पेमा टाउन के एक नए स्थल किया। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) का दावा है कि तिब्बत चीन का अभिन्न अंग है। उधर, निर्वासित तिब्बती सरकार का कहना है कि तिब्बत अवैध कब्जे के तहत एक स्वतंत्र राज्य है।
साल 1950 में चीन में नव-स्थापित कम्युनिस्ट शासन ने तिब्बत पर आक्रमण किया, जो प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध था और भारत के साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीमा थी। फ्री तिब्बत के अनुसार, आज तिब्बत पूरी तरह से चीन के कब्जे में है। तिब्बतियों ने चीनी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और बार-बार तिब्बती पहचान की रक्षा, स्वतंत्रता के लिए, मानवाधिकारों के लिए और दलाई लामा की तिब्बत वापसी के लिए आह्वान किया।
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