राजनांदगांव प्रदेश में आज 11 साल पुरानी घटना को याद किया जा रहा है, जब नक्सलियों ने एक साथ 29 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। राजनांदगांव जिले के कोरकोट्टी-मदनवाड़ा इलाके में बड़ा नक्सल हमला हुआ था। एसपी वीके चौबे भी इस घटना में शहीद हुए थे। रविवार को मानपुर थाना इलाके में पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी और शहीद जवानों के परिजन ने शहादत को सलाम किया। गर्व के अहसास के साथ फूल अमर जवान स्मारक पर अर्पित किए गए।
12 जुलाई साल 2009 के दिन मीडिया के लोगों को जानकारी मिली कि कोरकोट्टी गांव के पास नक्सलियों ने दो जवानों को मार दिया। इस सूचना पर तब एसपी रहे वीके चौबे अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। इलाके को 350 से ज्यादा नक्सलियों ने घेर रखा था। एसपी के पहुंचते ही भारी गोली बारी शुरू हो गई। दिन भर चली फायरिंग के बाद शाम को जिला मुख्यालय एसपी समेत 29 पुलिस जवानों की लाशें आईं।
नक्सलियों ने इसे एक ऑपरेशन की तरह प्लान किया था। इसे ऑपरेशन विजय नाम दिया था।
तब मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह घटना की जानकारी दिल्ली को दे रहे थे। पूरे देश में इसी घटना की चर्चा थी। यह पहली घटना था जब एसपी रैंक के अधिकारी को नक्सलियों ने मारा था। इसे नक्सलियों ने ऑपरेशन विजय नाम दिया था। इस घटना का वीडियो बना रहे थे। जवानों को मारने के बाद सभी के हथियार लूट लिए। बुलेटप्रूफ जैकेट भी नक्सली साथ ले गए। इसके बाद सभी हथियारों को एक जगह रखकर वीडियो बनाया और ऐसे पेश किया जैसे किसी अपराधी को मारने के बाद पुलिस या सेना पेश करती है।
इस घटना के बाद मदनवाड़ा
तस्वीर मानपुर मल्हार के रास्ते पर बनी मदनवाड़ा-मुंजाल रोड की है। उस घटना के समय यह सड़क नहीं बनी थी।
इस वारदात के बाद मदनवाड़ा-कोरकोट्टी इलाका नक्सलियों का गढ़ बन गया। पुलिस के लिए यह वारदात बड़ा चैलेंज थी। बीते 11 सालों में इस इलाके से नक्सलवाद का जहर धीरे-धीरे खत्म होने लगा है। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक 2009 के बाद अब तक इस पूरे इलाके से किसी भी नए युवा ने नक्सल संगठन की सदस्यता नहीं ली। खून से लथपथ जवानों के शव को देखने के बाद ग्रामीणों और युवाओं में नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी नफरत जागी।
अमर जवानों को श्रद्धांजलि देते वक्त उनके साथ बिताए पल याद आए तो परिजन की आंखों में आंसू छलक आए।
इस इलाके में शिक्षा को लेकर भी बड़ा बदलाव आया है। कभी मदनवाड़ा के हाईस्कूल का रिजल्ट शून्य प्रतिशत होता था। यहां कक्षा दसवीं में एक भी बच्चा पास नहीं हो पाता था। साल 2020 में आए रिजल्ट को देखें तो इस स्कूल का रिजल्ट 88 फीसदी पर पहुंच गया है। इस इलाके में सक्रिय कुल 37 हार्डकोर नक्सलियों को मार गिराया गया है। वहीं 39 नक्सलियों ने इन सालों में पुलिस के सामने सरेंडर किया है। स्कूल की मरम्मत और नई सड़कें बनने की वजह से यह इलाका अब सामान्य गांवों की तरह खुशहाल होने की राह पर है।
हमले में शामिल नक्सली ने सजाया जवानों का स्मारक
छोटू अब पुलिस का हिस्सा है और नक्सलियों के खिलाफ काम करता है। यह इस इलाके में सकारात्मक बदलाव की बड़ी तस्वीर है।
12 जुलाई 2009 की इस वारदात में नक्सलियों के साथ हमलावर रहे छोटू पद्दा की जिंदगी बदल गई है। शनिवार की सुबह इसने प्यारेलाल चौक स्थित शहीद एसपी वीके चौबे के प्रतिमा स्थल को सजाया। पेंटिंग और सफाई का काम किया। तब वीके चौबे के साथ आए जवानों पर छोटू ने गोलियां बरसाईं थीं। इस हमले में छोटू की पत्नी सुनीता भी मौजूद थी। गढ़चिरौली के रानकट्टा का रहने वाले छोटू ने वर्ष 2012 में पत्नी के साथ आत्मसमर्पण किया था। आज वो पुलिस महकमे में बतौर आरक्षक काम कर रहा है। उसने बताया कि वर्तमान में वह अपनी पत्नी के साथ खुशहाल जीवन जी रहा है।
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