रायपुर. लाॅकडाउन के ढाई महीनों का सन्नाटा राजधानी की सड़कों पर हादसों के मामले में राहतभरा रहा, लेकिन अनलाॅक की शुरुआत के साथ ही हादसे बढ़ने लगे हैं। पिछले 30 दिनों में पूरे शहर की सड़कों पर 139 छोटे-बड़े हादसे हुए हैं। इनमें 47 लोगों की जान गई है। ज्यादातर हादसे 6 सड़कों या चौराहों पर हुए हैं, जो पुलिस ने पिछले साल दिसंबर में ब्लैक स्पाॅट के रूप में चिन्हित किए थे। जहां तक केवल इन 6 जगहों पर जनवरी से जून के बीच 6 माह में हुए हादसों का सवाल है, 128 दुर्घटनाओं में 61 लोगों की जान जा चुकी है।
अनलाॅक में अचानक हादसे तेजी से बढ़े, इसलिए रायपुर पुलिस ने शहर की सड़कों पर खतरे और कारणों की पहचान के लिए फिर सर्वे शुरू कर दिया है। पुराने सर्वे में 9 स्पाॅट आए थे, जिनमें 100 से 500 मीटर की सड़कें खतरनाक मानी गई थीं। अब ब्लैक स्पाॅट कम हो सकते हैं, लेकिन जिन 6 जगहों पर पुलिस का फोकस है, वहां काफी हादसे हुए हैं। डीएसपी सतीश ठाकुर ने बताया कि जनवरी में पुलिस ने सभी 9 सड़कों की खामियां को दूर करने के लिए संबंधित एजेंसी एनएचआई, पीडब्ल्यूडी और निगम को चिट्ठी लिखी थी। सर्वे में इन ब्लैक स्पाॅट में रोड इंजीनियरिंग और डिजाइन में खामियां पाई थीं।
ज्यादातर हादसे हाई स्पीड या नशे में
पुलिस के सर्वे के मुताबिक इन 6 स्पाॅट पर हुए हादसों में करीब 55 फीसदी हाईस्पीड और नशे की वजह से हुए हैं। 10 फीसदी मामले ऐसे हैं, जिनमें रांग साइड चलते हुए या सिग्नल जंप करते समय लोग हादसे के शिकार हो गए। शेष 35 फीसदी खामियां रोड इंजीनियरिंग या स्ट्रक्चरल हैं। कहीं डिवाइडर तिरछा बना दिया गया है, तो कहीं ब्रेकर मोड़ पर है जिससे जंप होकर लोग गाड़ियों से नियंत्रण खो बैठते हैं और हादसे का शिकार हो रहे हैं। कुछ मोड़ और रोटेटरी इस तरह बनाई गई हैं कि उनसे दूसरी ओर की सड़कें नजर आनी बंद हो गई हैं, यानी चौराहा अंधे मोड़ में तब्दील हो गया।
जानलेवा चौक
टाटीबंध चौक से सरोना रोड : 500 मीटर
जनवरी से अब तक हादसे - 21 मौत - 04
करीबी थाना : आमानाका - 94791-91033, 0771-2105000
करीबी अस्पताल: एम्स अस्पताल 0771-2572240
इसलिए खतरनाक : पांच सड़कें मिलने की वजह से इसका डिजाइन इतना गड़बड़ है कि कहीं भी हादसे हो रहे हैं। चौक के चारों ओर सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं। बीच में रोटेरी बनी है, जिसमें खतरनाक पाथ-वे हैं। इससे सड़क संकरी हो गई है।
रांग साइड
छेरीखेड़ी से जोरा रोड : 600 मीटर
जनवरी से जून तक हादसे - 22 मौत - 12
करीबी थाना : मंदिर हसौद - 94791-91051, 0771-2972448
करीबी अस्पताल: अंबेडकर अस्पताल - 0771- 2890113
इसलिए खतरनाक : नेशनल हाइवे के कारण यहां डिवाइडर पर ओपनिंग पांच-पांच किमी दूर है। लोग इतना घूमने के बजाय कई किमी रांग साइड चल लेते हैं। हादसों की बड़ी वजह यही है। यहां डिवाइडर ओपनिंग में सिग्नल हैं, लेकिन इनका पालन नहीं किया जा रहा है।
ब्लाइंड तिराहा
भनपुरी तिराहा से ट्रैफिक थाना : 450 मी.
जनवरी से जून तक हादसे - 22 मौत - 06
करीबी थाना : खमतराई - 94791-91031, 0771-4247131
करीबी अस्पताल: अंबेडकर अस्पताल - 0771- 2890113
इसलिए खतरनाक : तिराहे की डिजाइन खतरनाक है। टाटीबंध से आ रही गाड़ियां खमतराई से आने वालों को दिखाई नहीं देती है। इस कारण यहां पर अक्सर हादसे होते हैं। इनमें भी अक्सर दोपहिया चालक ही भारी वाहनों की चपेट में अा जाते हैं।
हैवी ट्रैफिक
बिरगांव से सिंघानिया चौक : 500 मीटर
जनवरी से जून तक हादसे - 17 मौत - 05
करीबी थाना : उरला - 94791-91032, 0771-4247132
करीबी अस्पताल: अंबेडकर अस्पताल 0771- 2890113
इसलिए खतरनाक : यहां चौबीसों घंटे फैक्ट्रियों से माल लोड -अनलोड कर भारी और बड़ी गाड़ियां निकलती हैं। सिंघानिया चौक का मोड़ बहुत खतरनाक है और ट्रैफिक का दबाव भी बहुत है। मोड़ पर रात में गाड़ियां नहीं दिखतीं। यही हादसे की वजह बड़ी वजह है।
घातक रफ्तार
मेटलपार्क से धनेली पुल रोड : 500 मीटर
जनवरी से जून तक हादसे - 20 मौत - 06
करीबी थाना : खमतराई - 94791-91031, 0771-4247131
करीबी अस्पताल: अंबेडकर अस्पताल - 0771- 2890113
इसलिए खतरनाक : औद्योगिक क्षेत्र सिलतरा का यह बड़ा क्षेत्र है। इस सड़क पर ट्रैफिक दबाव दिन-रात रहता है। यहां हादसों की सबसे बड़ी वजह से अधूरी सड़क है। अधूरे निर्माण की वजह से ट्रैफिक के नियमों का पालन नहीं हो पाता।
अंधा मोड़
जिंदल फैक्ट्री-रिंग रोड 3 तिराहा : 500 मी.
जनवरी से जून तक हादसे - 26 मौत - 28
करीबी थाना : मंदिर हसौद - 94791-91051, 0771-2972448
करीबी अस्पताल: अंबेडकर अस्पताल - 0771- 2890113
इसलिए खतरनाक : रायपुर से सीधी रोड मंदिरहसौद जाती है, उसी के बीच से टी-अाकार में रिंग रोड-3 निकलकर सिलतरा की ओर चली जाती है। तिराहा ब्लाइंड है, यानी रिंग रोड से अाने वाली गाड़ियां दिखती ही नहीं हैं। यही सबसे बड़ा खतरा है।
एक्सपर्ट व्यू
खराब सड़कें और मवेशी बन रहे वजह
"अनलाॅक के बाद एकदम से ट्रैफिक दबाव बढ़ा है। ट्रैफिक अब भी ज्यादा नहीं है, लेकिन गंतव्य पर पहुंचने की जल्दबाजी अधिक है। इसके अलावा, बारिश से सड़कें खराब हुई हैं, मवेशी भी ज्यादा बैठ रहे हैं। इस वजह से हादसे और बढ़ गए हैं।"
-मनीष पिल्लीवार, ट्रैफिक इंजीनियरिंग एक्सपर्ट
ब्लैक स्पाॅट का नए सिरे से होगा सर्वे
"लॉकडाउन में गाड़ियां नहीं चलने से हादसे लगभग शून्य हो गए थे। अनलाॅक के बाद ट्रैफिक एकदम बढ़ने से हादसे हो रहे हैं, इसलिए ज्यादा लगते हैं। हालांकि कई जगह सड़कों की खामियां सामने आ रही "हैं। ब्लैक स्पाॅट्स का इसीलिए नए सिरे से सर्वे होगा।"
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