कानपुर. एक हफ्ते में विकास दुबे के पांच गुर्गों का एनकाउंटर हो चुका था। विकास दुबे का भी तय था, लेकिन वह खुद सरेंडर करने उज्जैन आ गया। शुक्रवार सुबह कानपुर से महज 17 किमी दूर उसका एनकाउंटर कर दिया गया। जैसे विकास दुबे की गिरफ्तारी से सवाल उठे थे, इसी तरह इस एनकाउंटर से भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
1. दिनभर चार्टर्ड प्लेन की खबरें थीं, फिर सड़क के रास्ते कैसे ले जाया गया?
पहले चर्चा थी कि विकास को चार्टर्ड प्लेन के जरिए उज्जैन से इंदौर और फिर वहां से यूपी ले जाया जाएगा, लेकिन गुरुवार शाम को अचानक कहा गया कि उसे सड़क के रास्ते ले जाया जाएगा और इसके लिए यूपी एसटीएफ की टीम आ रही है। लेकिन एसटीएफ की टीम आई ही नहीं। शाम को उज्जैन से एमपी पुलिस की टीम विकास को झांसी तक ले गई।
2. पुलिस के काफिले में कई गाड़ियां थीं, एक्सीडेंट सिर्फ उसी गाड़ी का हुआ जिसमें विकास सवार था?
विकास को जब झांसी में एमपी पुलिस ने यूपी पुलिस के हवाले किया, तब वहां 10 से ज्यादा गाड़ियां तैयार थीं। इसमें से एक गाड़ी में विकास को बैठाया गया। बाकी गाड़ियां आगे-पीछे थीं। मीडिया भी इस काफिले का पीछा कर रहा था। भारी बारिश हो रही थी। इस पूरे काफिले में एक्सीडेंट सिर्फ विकास की गाड़ी का हुआ। पुलिस की बाकी किसी गाड़ी या मीडिया की किसी गाड़ी के साथ हादसा नहीं हुआ।
3. मीडिया को जानबूझकर रोक दिया गया?
आरोप है कि काफिले के साथ चल रही मीडिया की गाड़ियों को रोकने के लिए बीच में अचानक चेक पोस्ट लगा दी गई। इस वजह से मीडिया की गाड़ियां पीछे छूट गईं। बाद में खबर आई कि विकास दुबे जिस गाड़ी में था, वह पलट गई और उसका एनकाउंटर हो गया। एनकाउंटर के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस के आला अफसरों ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या मीडिया को रोकने के लिए ही अचानक चेकिंग शुरू की गई थी?
4. विकास को हथकड़ी नहीं लगाई थी?
यह भी बड़ा सवाल है कि जिस पर 60 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हों, जो 8 पुलिसवालों की हत्या का आरोपी हो, उसे गाड़ी में क्या हथकड़ी पहनाकर नहीं बैठाया गया था? क्योंकि यह कहा गया है कि एक्सीडेंट के तुरंत बाद विकास ने पिस्टल छीन ली और कुछ गोलियां चलाईं। पुलिस तो चाहती कि वह सरेंडर कर दे, लेकिन जब वह नहीं माना तो जवाबी फायरिंग में मारा गया। इन पर पुलिस के अफसर कहते रहे कि सब बताएंगे, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में।
5. कौन-से बड़े खुलासे करने वाला था विकास दुबे?
6. अब क्या जांच होगी?
7. उज्जैन में गिरफ्तारी क्या स्क्रिप्टेड थी?
विकास दुबे 4 राज्यों से गुजरते हुए 1250 किमी का सफर तय कर उज्जैन कैसे पहुंचा था, यह सस्पेंस बना हुआ है। उज्जैन में उसकी गिरफ्तारी पर भी सवाल उठे। एक दिन पहले यानी बुधवार दोपहर को उज्जैन के महाकाल थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी का तबादला हुआ। रात को कलेक्टर आशीष सिंह और एसपी मनोज सिंह महाकाल मंदिर पहुंचे थे। दाेनाें का दावा है कि वे एक बैठक के सिलसिले में गए थे।
8. उज्जैन पुलिस ने गांधीगिरी दिखाई?
गुरुवार सुबह विकास दुबे मंदिर में टहलकर फाेटाे खिंचवाता रहा। यहां पुलिस की गांधीगिरी दिखाई दी। विकास खुद ही मंदिर से बाहर आया, पुलिसवाले पीछे चलते रहे। मीडिया आया, तब उसे गर्दन पकड़कर दबोचा गया। किसी पुलिसवाले के हाथ में डंडा तक नहीं था। मंदिर के अंदर विकास के फोटो-वीडियो कौन बनाता रहा, ये कोई नहीं जानता। जब विकास को पकड़ा गया तो एक पुलिसवाले को बोलते सुना गया कि शर्माजी मरवाओगे। विकास भी पीछे मुड़कर बार-बार देखता रहा। जैसे किसी को खोज रहा हो।
Comment Now