Thursday, 22nd May 2025

कानपुर शूटआउट की इनसाइड स्टोरी / सीओ-एसओ की आपसी खींचतान में 8 पुलिसवालों की जान गई, नेताओं से लेकर सीनियर पुलिस अफसर तक सवालों के घेरे में

Thu, Jul 9, 2020 9:49 PM

 

  • 2 जुलाई की रात कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने पहुंचे सीओ समेत 8 पुलिसवालों की हत्या हुई थी
  • चौबेपुर के एसओ विनय तिवारी और एसआई केके शर्मा गिरफ्तार, विकास से मिलीभगत के आरोप
 

कानपुर. कानपुर के बिकरू गांव में 8 पुलिसवालों की हत्या करने वाला 5 लाख का इनामी गैंगस्टर विकास दुबे आज मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया गया। बिकरू शूटआउट मामले में अब तक की जांच में पुलिस अफसरों की मिलीभगत साफ नजर आ रही है। बुधवार को पुलिस ने चौबेपुर थाना प्रभारी विनय तिवारी और एसआई केके शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने पुलिस दबिश की जानकारी विकास को लीक की और शूटआउट के वक्त भाग गए।

पूरे केस के पीछे पुलिस की आपसी पार्टीबंदी
हत्याकांड के बाद से पुलिस महकमे में पत्र और ऑडियो वायरल हो रहे हैं। चर्चाओं का दौर जारी है। आधिकारिक तौर पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन अंदरखाने पुलिस विभाग में भी यह चर्चा है कि इस पूरे केस के पीछे पुलिस की आपसी पार्टीबंदी है। कानपुर शूटआउट में मारे गए सीओ देवेंद्र मिश्रा की चिट्ठी और वायरल ऑडियो से यह तो साफ है कि कानपुर की पुलिस खेमों में बंटी हुई थी। इस मामले की तह में जाने पर कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं।

विकास दुबे प्लॉटिंग, खनन, अवैध वसूली का नेटवर्क चला रहा था। उसे लंबे समय से राजनीतिक और पुलिस अफसरों की शह मिली हुई है। कानपुर जिले के चौबेपुर, बिठूर, बिल्हौर और शिवली में पिछले कुछ सालों से बड़े पैमाने पर खनन हो रहा है। कहा जाता है कि यह खनन जिले के दो सत्ताधारी विधायकों के संरक्षण में होता है और विकास अवैध खनन के इस पूरे धंधे का सुपरविजन करता है। दबी जुबां लोग यहां तक कह रहे हैं कि स्थानीय स्तर पर विकास के असर को कम करने के लिए थानों का परिसीमन तक बदला गया। पहले विकास का गांव शिवली थाने के तहत आता था। बाद में वह चौबेपुर में आने लगा। विकास ने चौबेपुर थाने में भी अपनी पकड़ बना ली।

विकास के खास साथी जय बाजपेई के साथ कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी।- फाइल फोटो

अब मौजूदा घटनाक्रम को समझने के लिए जनवरी 2019 में चलते हैं। उस समय आईपीएस अनंत देव तिवारी कानपुर एसएसपी का कार्यभार संभाला था। उन्होंने रुटीन में जिले के बड़े गैंगस्टरों की कुंडली खंगालनी शुरू की। तब चौबेपुर, बिठूर, बिल्हौर और शिवली थानों में खनन से संबंधित वसूली में विकास का नाम सामने आया। यहां तक सब कुछ पुलिस के रेग्युलर काम का हिस्सा लगता है, लेकिन 2019 में ही विनय तिवारी चौबेपुर थाने के इंचार्ज बन जाते हैं। चौबेपुर थाने में ही विकास का गांव है। सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन एसएसपी अनंत देव से विनय के अच्छे संबंध रहे हैं। इसकी वजह यह भी बताई जाती है कि विनय की चित्रकूट में तैनाती रही है और अनंतदेव भी चित्रकूट में रहे। वजह चाहे जो रही हो लेकिन कानपुर शूटआउट केस में यह पोस्टिंग भी जांच के दायरे में है।  

देवेंद्र मिश्र तीन थानों की पुलिस के साथ 2 जुलाई को बिकरु गांव में दबिश देने गए थे।- फाइल फोटो

2019 में ही देवेंद्र मिश्र कानपुर में बतौर सीओ पहुंचते हैं। सिपाही से सीओ तक पहुंचने वाले देवेंद्र मिश्र महकमे की तिकड़मों से वाकिफ थे और जल्द ही समझ गए कि चौबेपुर के एसओ विनय को ऊपर से शह मिली हुई है। फिलहाल, जो चिट्‌ठी और ऑडियो वायरल है, उससे साफ है कि देवेंद्र ने विनय की तत्कालीन एसएसपी से कई मामलों में शिकायत की थी। एक वायरल ऑडियो में एसएसपी अनंतदेव, विनय और देवेंद्र काॅन्फ्रेंस काॅल पर हैं। इसमें एसएसपी, एसओ विनय को सीओ को संतुष्ट करने और ऐसा न करने पर कार्रवाई की बात करते हैं। इसके अलावा, विनय और विकास दुबे के बीच मिलीभगत को लेकर लिखी गई सीओ की चिट्‌ठी का रिकाॅर्ड में न होना भी अपने आप में अजीब है। इन्हीं सब बातों के चलते कानपुर के तत्कालीन एसएसपी पर भी सवाल उठ रहे हैं। शायद यही वजह है कि बतौर एसटीएफ डीआईजी कानपुर शूटआउट की जो जांच वह कर रहे थे, वह उनसे वापस ले ली गई। जांच वापस लेने के साथ उनका तबादला भी डीआईजी स्टाफ से डीआईजी पीएसी, मुरादाबाद कर दिया गया है।    

विकास के दुश्मन चचेरे भाई अनुराग की भी भूमिका
सीओ देवेंद्र और विनय के बीच तनातनी की एक वजह यह भी बताई जाती है कि दोनों के अलग-अलग खेमों के राजनीतिक लोगों से संबंध थे। सूत्रों के मुताबिक, चौबेपुर एसओ विनय, विकास दुबे का करीबी था। वहीं, सीओ देवेंद्र को विकास के चचेरे भाई अनुराग दुबे का खास माना जाता था। अनुराग 2017-18 तक विकास के साथ ही काम करता था, लेकिन जमीन के विवाद के बाद दोनों अलग-अलग हो गए। एक-दूसरे पर हमला भी करवाया। इससे जुड़े एक मामले में विकास जेल भी गया था। सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल अनुराग एक बार फिर राजनीतिज्ञों और पुलिसवालों की मदद से विकास पर शिकंजा कसवाना चाह रहा था। वहीं, एसओ विनय और चौबेपुर थाने का स्टाफ विकास का करीबी था।

कानपुर शूटआउट में मौके से भागने और विकास दुबे को मुखबिरी करने के आरोप में दाेनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

अब होती है राहुल तिवारी की एंट्री
राहुल तिवारी वही शख्स है, जिसकी शिकायत पर पुलिस विकास को पकड़ने गई थी और वहां हुई फायरिंग में 8 पुलिसकर्मी मारे गए थे। राहुल से विकास का विवाद इसी साल मार्च में हुआ था। आरोप है कि विकास के लोगों ने राहुल की पिटाई की थी और उसकी बाइक छीन ली थी। बाद में पंचायत में इस मामले में समझौता हो गया। लोगों का कहना है कि समझौते के बाद अनुराग इस केस में आ गए और उन्होंने राहुल को विकास के खिलाफ शिकायत करने को कहा। सीओ देवेंद्र ने भी विकास के खिलाफ एसएसपी से शिकायत करने को कहा। राहुल ने एसएसपी ऑफिस में शिकायत की, लेकिन लाॅकडाउन के चलते कुछ नहीं हुआ। इसके बाद अनंतदेव का ट्रांसफर हो गया। राहुल को एक बार फिर नए एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु के पास भेजा गया। इस बार एसएसपी ने शिकायत दर्ज करने के निर्देश दे दिए।

थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद सीओ देवेंद्र ने चौबेपुर एसओ विनय पर दबाव बनाना शुरू किया कि वह विकास के खिलाफ एक्शन लें। हालांकि, इस दौरान एसओ विनय कोशिश करते रहे कि राहुल शिकायत वापस ले ले। इसके लिए पहले हल्का इंचार्ज एसआई शर्मा राहुल को लेकर विकास के घर पहुंचे। लेकिन, वहां बात बनने के बजाय मारपीट हो गई। इसके बाद एसओ विनय भी राहुल को लेकर विकास के घर गए,लेकिन बात नहीं बनी।

सूत्रों का कहना है कि इस बीच सीओ देवेंद्र ने विकास के आपराधिक इतिहास और एसओ विनय से उसके संबंधों का काला चिट्‌ठा नए एसएसपी के सामने रख दिया। इसके बाद सीओ देवेंद्र को विकास के घर पर दबिश के निर्देश दिए गए। इसके बाद ही 2 जुलाई की रात को सीओ देवेंद्र पांच थानों की पुलिस के साथ बिकरू गांव में दबिश के लिए पहुंचे थे।

विकास के शुभचिंतकों ने कहा था- भागना मत, एनकाउंटर हो जाएगा
एसओ चौबेपुर विनय इस आरोप में गिरफ्तार किए जा चुके हैं कि उन्होंने इस दबिश की सूचना लीक है। बताते हैं कि दबिश की सूचना मिलने के बाद विकास ने अपने शुभचिंतकों को फोन घुमाना शुरू किया। इसमें ज्यादातर ने उसे सलाह दी थी कि भागना मत, नहीं तो एनकाउंटर हो जाएगा। घर पर ही पुलिस से बातचीत करना।

विकास दुबे को उज्जैन से पुलिस ने बिकरू कांड के सातवें दिन गिरफ्तार कर लिया।

लेकिन, विकास के घर दबिश के लिए पहुंची पुलिस टीम के रास्ते में जेसीबी खड़ी थी। जिसकी वजह से पुलिस टीम अलग-अलग ग्रुप में हो गई। नए लड़के आगे ही रहे । जबकि चौबेपुर के एसओ जैसे अनुभवी लोग पीछे रहे। सीओ देवेंद्र जिधर जेसीबी का मुंह था, उस ओर से घर की तरफ चले गए। जबकि एसआई अनूप विकास के घर में चले गए। सूत्रों का कहना है कि विकास अपने घर के अहाते में ही था और पुलिस से डील करने के मकसद से बैठा था। लेकिन, एकाएक कहासुनी होने के बाद पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू हो गई। हालांकि, पुलिस का कहना है कि दबिश के लिए टीम के पहुंचते ही चौतरफा फायरिंग शुरू हो गई थी, जिससे 8 पुलिसवालों की जान चली गई।

जांच पूरी होने तक कुछ भी कहना जल्दबाजी: आईजी
कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा कि अभी जांच हो रही है। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। जांच में जो भी फैक्ट सामने आएंगे, उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery