इंदौर. लॉकडाउन के कारण तीन महीने से घरों में कैद लोगों के समक्ष अब कई प्रकार की समस्याएं खड़ी हो गई हैं। स्कूल तो अभी शुरू नहीं हुए, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने पालकों से फीस की मांग शुरू कर दी है। शासन-प्रशासन के कहने के बावजूद स्कूल की ओर से लगातार फीस के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में पिछली तिमाही की फीस माफ करने की मांग करते हुए सोमवार को करीब 200 से 250 पालक स्कीम नंबर - 78 स्थित सिक्का स्कूल पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि हमारे बच्चे सालों से आपके स्कूल में पढ़ रहे हैं, क्या हमने इतने रुपए भी आपको नहीं दिए कि इस महामारी के दौरान की फीस माफ कर दें।
परिजन बोले - अपने हक और अधिकार के लिए ढाई से तीन सौ पैरेंट्स काम-धंधा छोड़कर यहां ट्रस्टी से बात करने आए हैं। उनका कहना था कि हमने अपने बच्चे को इस स्कूल में क्वॉलिटी एजुकेशन देने के लिए भर्ती किया है, क्या स्कूल ने इन तीन महीनों में क्वाॅलिटी एजुकेशन दिया है। इस महामारी के दौर में कई लोग बेरोजगार हो गए हैं। कइयों को सैलरी नहीं मिली है। इसलिए इस महामारी के जब तक स्कूल चालू नहीं हो जाते हमसे फीस ना ली जाए। बच्चे को जब स्कूल में सीखने में परेशानी आती है तो वह ऑनलाइन क्लाॅस जो ये चला रहे हैं, उसमें क्या सीखेगा। 25 दिन पहले कुछ पैरेंट्स प्रिंसिपल से मिलकर गए थे। उनकी ओर से अब तक कोई रिपोर्टिंग नहीं हुई। यदि वे हमें अपने परिवार का सदस्य मानते हैं तो हम बस मैनेजमेंट से यही चाहते हैं, नो स्कूल... नाे फीस...।
इस महामारी के दौरान की फीस माफ हो
एक पैरेंट्स ने कहा कि 14 साल से हमारा बच्चा आपके स्कूल में पढ़ रहा है। आप उसे पढ़ा रहे हैं, लेकिन इस महामारी के दौर में अगर चार महीने आप हमारा साथ नहीं दे सकते हैं तो फिर कैसे होगा। हम स्कूल से जानना चाहते हैं कि क्या 14 साल में हमने इतने रुपए भी स्कूल को नहीं दिए कि वे चार महीने की छूट दे दें। इसके पहले किसी पैरेंट्स ने आकर स्कूल से फीस माफ करने की बात कही है क्या। इस आपदा के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। हम सब एक फैमिली की तरह हैं, इसलिए ट्रस्टी को आकर हमसे बात करनी चाहिए।
फीस माफ करने के लिए आवेदन दिया है
खजांची मैडम से बात कर लौटे पैरेंट्स ने बताया कि हमने उनसे तीन महीने महीने की फीस माफ करने के लिए आवदेन दिया है। उन्होंने बाकी ट्रस्टी के सामने इसे रखकर पैरेंट्स को बताएंगे। हमने किसी भी प्रकार का हंगामा नहीं किया है। स्कूल हमारी फैमिली है, इसलिए हमने शांतिपूर्व तरीके से अपनी बात प्रबंधन तक पहुंचाया है।
Comment Now