Saturday, 31st May 2025

लद्दाख और मेघालय मेें भूकंप / लद्दाख में 4.5 तीव्रता का भूकंप, करगिल से 200 किमी उत्तर-पश्चिम में था केंद्र; मेघालय में भी झटके

Sat, Jun 27, 2020 5:38 PM

 

  • लद्दाख में रात 8.15 मिनट पर भूकंप आया, मेघालय में लद्दाख से पहले झटके आए और यहां तीव्रता 3.3 थी
  • असम और गुजरात में भी जून में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं
 

नई दिल्ली.

लद्दाख में शुक्रवार रात 8.15 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसका केंद्र करगिल से 200 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.5 मापी गई। मेघालय में भी शुक्रवार को ही 3.3 तीव्रता का भूकंप आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.3 मापी गई। इसका केंद्र तुरा से 79 किलोमीटर पश्चिम में था।

पिछले दिनों असम और गुजरात में लगातार आए भूकंप
मिजोरम में 24 जून को सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर भूकंप आया था। इसकी तीव्रता 4.1 मापी गई। यहां लगातार चार दिन में चौथी बार भूकंप आया। इसससे पहे आईजोल में 3.7 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। 

गुजरात में भी 14 जून को रात 8 बजकर 13 मिनट पर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.5 थी। गुइसका एपिसेंटर कच्छ के वोंध गांव में था। गुजरात के कच्छ में 10 सेकंड तक झटके महसूस किए गए। राजकोट तीन आफ्टर शॉक महसूस किए गए। इससे पहले भी यहां भूकंप के झटके महसूस किए गए।

मैक्सिको में भूकंप से पांच की जान गई थी
मैक्सिको में मंगलवार को 7.4 तीव्रता का भूकंप आने से पांच लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 30 लोग घायल हुए थे।  इसके तुरंत बाद यूएस सुनामी वॉर्निंग सिस्टम ने राज्य में सुनामी की चेतावनी भी जारी की गई थी। यहां 24 घंटे में 447 से ज्यादा आफ्टरशॉक आए थे। 

2001 में कच्छ में भूकंप से गई थी 13 हजार से ज्यादा की जान

19 साल पहले यानी 26 जनवरी 2001 को भी कच्छ के भुज में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें 13 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

6 या इससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप खतरनाक होता है
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है और यह ज्यादा खतरनाक होता है।

क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं जो लगातार घूम रही हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा प्रेशर बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है। डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। अर्थक्वेक ट्रैक एजेंसी के मुताबिक हिमालयन बेल्ट की फॉल्ट लाइन के कारण एशियाई इलाके में ज्यादा भूकंप आते हैं।

Comments 0

Comment Now


Videos Gallery

Poll of the day

जातीय आरक्षण को समाप्त करके केवल 'असमर्थता' को आरक्षण का आधार बनाना चाहिए ?

83 %
14 %
3 %

Photo Gallery