नई दिल्ली.
इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की बेहद गंभीर तस्वीर पेश की है। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ का कहना है कि कोरोनावायरस महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई गिरावट बेहद डरावनी है। उनका कहना है कि रिकवरी आउटलुक अभी भी काफी अनिश्चित बना हुआ है। आईएमएफ ने अप्रैल में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताया था, लेकिन गोपीनाथ ने कहा है कि 24 जून को आने वाला नया अनुमान ज्यादा खराब हो सकता है।
रिकवरी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है
एशियन मॉनिटरी पॉलिसी फोरम की सातवीं वर्चुअली बैठक में बोलते हुए गीता गोपीनाथ ने कहा कि रिकवरी को लेकर गहन अनिश्चितता बनी हुई है। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण ट्रांसपोर्टेशन जैसे सेक्टरों में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। वहीं, इससे बैंकरप्सी और जॉब लॉस का खतरा बढ़ा है। इसके अलावा कंज्यूमर बिहेवियर में भी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि आज हर कोई रिकवरी को लेकर चिंतित है।
कोरोना लंबा समय तक रहा तो ज्यादा खराब हालात होंगे
आईएमएफ ने अप्रैल में वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक जारी किया था। इसमें कहा गया था कि यदि कोरोना महामारी लंबे समय तक जारी रहती है तो आर्थिक हालात ज्यादा खराब हो सकते हैं। पिछले सप्ताह वर्ल्ड बैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 फीसदी की गिरावट का अनुमान जताया था। वर्ल्ड बैंक ने कहा था कि आर्थिक मोर्चे पर यह 150 सालों में सबसे खराब हालात हैं।
मई में वैश्विक जीडीपी में गिरावट की दर 2.3% पर रहने का अनुमान
कोरोनावायरस के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की भरपाई के लिए दुनियाभर की सरकारों ने कई कदम उठाए हैं। इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। लॉकडाउन के कारण अप्रैल में दुनियाभर की जीडीपी में 4.8 फीसदी की गिरावट आई थी लेकिन मई में इसमें सुधार आने का अनुमान जताया जा रहा है। मई महीने में जीडीपी ग्रोथ रेट में 2.3 फीसदी गिरावट आने का अनुमान है। यानी वर्ल्ड जीडीपी में गिरावट की दर आधी रह जाएगी।
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