रायपुर. अमिताभ अरुण दुबे | मानसून से पहले ही प्रदेश के अधिकांश स्त्रोतों में भूजल लबालब हो गया है। बीते 20 साल से भूजल स्तर में भारी गिरावट से जूझते धरसीवां में भूजल स्तर पिछले साल के मुकाबले 1.61 मीटर और गुरूर में 2.78 मीटर तक ऊपर आ गया है। छत्तीसगढ़ भूजल विभाग के हालिया प्री-मॉनसून सर्वे में यह बात सामने आई कि प्रदेश में भूजल स्तर 1 से 5 मीटर तक ऊपर उठ गया है। राज्य निर्माण के समय प्रदेश के 138 ब्लॉक भूजल के लिहाज से सुरक्षित स्थिति में थे।
पिछले साल 121 ब्लाॅक ही सुरक्षित स्थिति में थे, अब फिर सभी ब्लाॅक सुरक्षित की श्रेणी में आ गए हैं। जानकारों का दावा है इस बार दिसंबर से मई तक बीच-बीच में बारिश होती रही, इसलिए सतह पर कुएं-तालाब वगैरह भरे थे। परिणामस्वरूप खेती में सरफेस वाॅटर का इस्तेमाल हुआ और भूजल बच गया।
इस बार बारिश अच्छी होने से भूजल दोहन कम हुआ।
"इस बार बारिश अच्छी होने से खेती में सरफेस वॉटर का ज्यादा इस्तेमाल हुआ और भूजल दोहन कम हुआ।"
-डीसी जैन, मुख्य अभियंता, महानदी गोदावरी कछार
"भूजल की स्थिति सुधरी है। इससे स्पष्ट होता है भूजल उपयोग नियंत्रित रहेगा तो जल संकट से बच सकते हैं।’’
-अजीत शुक्ला, वरिष्ठ वैज्ञानिक-भूजल विभाग
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