इंदौर. शुक्रवार को निसर्ग तूफान की वजह से मप्र के कई क्षेत्रों में हुई बारिश से प्रदेश के खरीद केंद्रों पर खुले में पड़ा लाखों टन गेहूं गीला हो गया। कांग्रेस ने मप्र सरकार पर लापरवाहीं का आरोप लगाते हुए कहा है कि मौसम विभाग द्वारा चार दिन पहले ही अलर्ट जारी कर दिया गया था इसके बावजूद मप्र सरकार ने खरीद केन्द्रों पर खुले में पड़े गेहूं को बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जिससे कई क्विंटल गेहूं सड़ गया।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव ने कहा कि कोरोना के चलते लोगों को खाना तक नसीब नहीं हो रहा है, शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के विस्तार में लगे हुए है। सरकार की लापरवाही के चलते करोड़ों रुपए का गेहूं गीला होने के बाद सड़ गया, सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि किसानों का लाखों रुपए का गेहूं मंडियों में ट्रैक्टर-ट्रालियों में भीग गया है। ना तो मंडियों में गेहूं को ढांकने का इंतजाम था और ना ही सरकार ने इन्हें वेयरहाउस में रखवाया।
जिला कांग्रेस के अनुसार इंदौर जिले में गेहूं खरीदने के लिए 82 केन्द्र बनाए गए थे जिसमें से मात्र 32 पर ही खरीदी हो रही है, इन सभी केन्द्रों पर गेहूं खुले में था। मांगलिया और सांवेर की मंडियों में ही लगभग 10 हजार क्विंटल गेहूं खराब हुआ है। सैकड़ों किसान गेहूं बेचने के लिए एसएमएस का इंतजार करते रहे लेकिन उन्हें अब तक सूचना नहीं मिली है।
गलत कह रहे हैं कृषि मंत्री
जिला कांग्रेस के अनुसार मप्र के कृषि मंत्री कमल पटेल कह रहे हैं कि किसानों का गीला गेहूं भी सरकार द्वारा खरीदा जाएगा जबकि सच्चाई यह है कि कुछ दिन पहले चूरी और बारीक बताकर सायलो केन्द्र पर गेहूं खरीदी से इंकार कर दिया गया था।
सरकार का कहना था कि कोई नुकसार नहीं हुआ
बारिश से भोपाल में वाटरप्रूफ टेंट की व्यवस्था न होने से साढ़े 12 हजार टन गेूहं भीग गया। जबकि उज्जैन में करीब दो लाख टन, देवास में 47 हजार टन, धार में 68 हजार टन, शाजापुर में 60 हजार टन, राजगढ़ में 15 हजार टन, विदिशा में 11 हजार टन, झाबुआ में चार हजार टन और रायसेन में दो हजार टन गेहूं भीगने की सूचना है। जबकि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला का कहना है कि हमारे पास सभी जिलों से रिपोर्ट आ गई है, कहीं कोई नुकसान नहीं हुआ है। गेहूं के थोड़ा बहुत भीगने से नुकसान नहीं होता, वह सूख जाता है।
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