Thursday, 29th May 2025

अच्छी खबर / जगदलपुर में 3 मरीज डिस्चार्ज, इनमें एक डॉक्टर भी, कहा- फिर से ड्यूटी करूंगा

Thu, Jun 4, 2020 9:21 PM

 

  • कांकेर के आयुष डॉक्टर, आरएमए और मजदूर हुए डिस्चार्ज, डॉक्टरों ने तीनों को फूल देकर अलविदा कहा
  • भास्कर ने दो दिनों पहले ही बता दिया था कि तीन मरीज हुए ठीक, अब मेकॉज में सिर्फ 6 एक्टिव मरीज
 

जगदलपुर. कोरोना से जंग लड़ रहे मेडिकल कॉलेज जगदलपुर के डॉक्टर्स और स्टाफ को पहली बड़ी सफलता उस वक्त मिली जब बुधवार को तीन कोरोना पॉजिटिव मरीज संक्रमण से पूरी तरह से मुक्त होकर डिस्चार्ज किए गए। इन तीनों को बुधवार की दोपहर डिस्चार्ज किया गया। तीन कोरोना पॉजिटिव मरीजों के ठीक होने की खबर भास्कर ने सोमवार को ही प्रकाशित कर दी थी। 
इसके बाद मंगलवार को मरीजों को घर तक छोड़ने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से इन्हें बुधवार को डिस्चार्ज दिया गया। जब ये बाहर निकल रहे थे। तब इन्हें डॉक्टरों व अन्य स्टाफ ने फूल देकर अलविदा कहा। तीन के डिस्चार्ज के बाद अब मेकॉज में 6 पॉजिटिव मरीज बचे हैं।  ये भी तेजी से कोरोनामुक्त होने की ओर अग्रसर हैं। बताया जा रहा है कि एक-दो दिनों में इन 6 मरीजों का भी डिस्चार्ज हो जाएगा। बुधवार को जिन तीन लोगों का डिस्चार्ज हुआ है वे कांकेर जिले से आए थे। इनमें एक आयुष डॉक्टर, एक आरएमए और मुंबई से लौटा मजूदर शामिल हैं।

इन डॉक्टरों की टीम ने किया इलाज 
डॉ. प्रीत कौर, डॉ. मुकेश ध्रुव, डॉ. ऋषभ कोचर, डॉ. पल्लब रॉय, डॉ. बेलसी सेमुअल इसके अलावा मेकॉज के कोविड हॉस्पिटल के प्रभारी डॉ. नवीन दुल्हानी हैं। इनकी देखरेख में ही मरीजों का पूरा इलाज हो रहा है वहीं इलाज की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी हॉस्पिटल अधीक्षक केएल आजाद की है।
ऐसे तय होता है कि मरीज कोराना संक्रमण से मुक्त हुआ या नहीं 
मेकॉज में जो कोरोना पॉजिटिव मरीज भर्ती हुए हैं। उनकी कम से कम तीन बार जांच करवाई जा रही है। पहली जांच भर्ती होने के साथ ही की गई। इसके बाद ट्रीटमेंट शुरू किया गया। इलाज शुरू होने के बाद दूसरी जांच की जाती है रिपोर्ट निगेटिव आई तो एक या दो दिन में फिर से जांच होती है, यदि इसमें भी रिपोर्ट निगेटिव आई तो मरीज का डिस्चार्ज किया जाता है। जब तक मरीज की रिपोर्ट लगातार दो या तीन बार निगेटिव नहीं आती है। तब तक उसका इलाज जारी रखा जाता है। 
डरने की जरूरत नहीं, नियमों का पालन करें तो हार जाएगा कोरोना
आयुष विभाग में डॉक्टर हूं। मूलत: बालोद का रहने वाला हूं, मेरी पोस्टिंग दुर्गूकोंदल में है, कोरोना की शुरुआत हुई तो मुझे बाहर से आने वाले लोगों का कोरोना टेस्ट करने की जिम्मेदारी मिली थी। हम रोज बाहर से आने वाले लोगों की जांच कर रहे थे, इस दौरान ग्लब्स, मास्क व अन्य सुरक्षा के उपाय भी कर रहे थे, जांच के बाद सैनिटाइजेशन का भी विशेष ख्याल रखते थे लेकिन फिर भी मैं कोरोना की चपेट में आ गया। जब कोरोना का अटैक हुआ तब मुझे कुछ पता नहीं चला। इसके बाद रैंडमली जांच के लिए मेरे सैंपल भेजे गए तो मैं पॉजिटिव निकला। 29 मई की रात में मुझे मेकॉज लाया गया और 3 जून को मेरा डिस्चार्ज हो गया। इस बीच मुझे कोई परेशानी नहीं हुई, हॉस्पिटल में हमारे लिए एक डाइट चार्ट बनाया गया था। इसके हिसाब से हम खाना खाते थे, दाल, चावल, सब्जी, दूध, फल, शेक हमारे भोजन का हिस्सा था। कुछ दवा भी दी जाती थी। जितने दिन हॉस्पिटल में भर्ती थे कोई परेशानी नहीं हुई, कोई लक्षण या तकलीफ नहीं हुई, हॉस्पिटल में डॉ. प्रीत कौर, डॉ नवीन, डॉ. मुकेश और डॉ. सेमुअल ने बहुत मदद की। मैं लोगों की कोरोना जांच करने के दौरान इसकी चपेट में आया था लेकिन मैंने हौसला नहीं खोया है मैं फिर से वापस लौटकर यही काम करूंगा, मैं लोगों से कहना चाहता हूं कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है बल्कि इससे सावधान रहने की जरूरत है और किसी भी कोरोना पीड़ित से छुअाछ़ूत जैसा व्यवहार करने की जरूरत भी नहीं है। बस लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर लें तो काफी हद तक इस पर काबू पाया जा सकता है। जब मैं पॉजिटिव हुआ तब मेरे घर वाले थोड़ा घबरा गए थे लेकिन मैंने उन्हें समझाया। 
(जैसा कि डिस्चार्ज हुए आयुष डॉक्टर ने रिपोर्टर मो. इमरान नेवी को बताया)

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