Friday, 6th June 2025

प्रवासियों के मुद्दे पर सुनवाई / सॉलिसिटर जनरल ने बच्चे की मौत का इंतजार करने वाले गिद्ध का उदाहरण दिया, बोले- कुछ लोग हमेशा बुरा ही सोचते हैं

Fri, May 29, 2020 5:57 PM

 

  • लॉकडाउन में घर लौट रहे प्रवासियों की दिक्कतों पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई
  • कोर्ट ने कहा- प्रवासियों से बसों-ट्रेनों का किराया नहीं लिया जाए, राज्य उनके खाने के इंतजाम करें
 

नई दिल्ली. लॉकडाउन में घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों की दिक्कतों पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ लोग हमेशा बुरा ही सोचते हैं। सॉलिसिटर जनरल का इशारा सरकार पर सवाल उठाने वाले एक्टिविस्ट की ओर था। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों ने महामारी के समय भी शिष्टाचार नहीं दिखाया। सॉलिसिटर जनरल ने बच्चे की मौत का इंतजार करने वाले गिद्ध और वहां से फोटो खींचकर चले आने वाले फोटोग्राफर का उदाहरण भी दिया।

सॉलिसिटर जनरल ने फोटोग्राफर की आत्महत्या का जिक्र किया
1993 में सूडान में भुखमरी के वक्त के एक फोटो के लिए पत्रकार केविन कार्टर को पुलित्जर अवॉर्ड मिला था। फोटो में एक गिद्ध भूख से तड़पते तीन साल के बच्चे की मौत का इंतजार करता दिख रहा था। कार्टर से किसी दूसरे पत्रकार ने पूछा कि बच्चे का क्या हुआ? उन्होंने जवाब दिया कि पता नहीं, मुझे वापस लौटना था इसलिए अपना काम करके चला आया। दूसरे पत्रकार ने पूछा कि वहां कितने गिद्ध थे? कार्टर ने जवाब दिया- एक ही गिद्ध था। दूसरा पत्रकार बोला- नहीं दो थे, उनमें से एक के हाथ में कैमरा था।

कार्टर ने घटना के चार महीने बाद ही आत्महत्या कर ली थी। इसका जिक्र करते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कार्टर न तो एक्टिविस्ट थे, न ही एनजीओ चलाते थे, लेकिन शायद इंसानियत समझते थे।

'कुछ लोग सिर्फ सरकार की कमियां ढूंढ़ते हैं'
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कुछ एक्टिविस्ट प्रवासियों के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ निगेटिविटी फैला रहे हैं। वे सोशल मीडिया पर दलीलें दे रहे हैं। हर संस्थान के खिलाफ इंटरव्यू दे रहे हैं या आर्टिकल लिख रहे हैं। उन्हें सरकार के काम के बारे में पता ही नहीं है। ऐसे लोग कोर्ट में आकर भी दखल देते हैं। ये ट्रेंड बन चुका है, इसे रोकना चाहिए। ऐसे कुछ लोग अफसरों को फटकार लगाने वाले जजों को निष्पक्ष होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ऐसे चंद लोगों को पहले ये सोचना चाहिए कि देश के संकट के समय वे खुद कितनी मदद कर रहे हैं? जबकि सेवाभाव रखने वाले लोग घरों से निकलकर जरूरतमंदों को खाना खिला रहे हैं। सैंकड़ों एनजीओ सरकारी अफसरों के साथ मिलकर खूब मेहनत से काम कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्य सरकारें प्रवासियों को खाना दें
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई में राज्य सरकारों को आदेश दिया कि प्रवासी मजदूरों से बस या ट्रेन का किराया नहीं लिया जाए। सफर से पहले उनके खाने-पीने के इंतजाम किए जाएं। कोई मजदूर पैदल जाता दिखे तो उसे शेल्टर होम में ठहराया जाए। इस मामले में अगली सुनवाई 5 जून को होगी।

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