Friday, 6th June 2025

कबूतरबाजी के शिकार लोगों की 10 कहानियां / किसी ने जमीन की रजिस्ट्री एजेंट के नाम की तो किसी ने जमीन का हिस्सा बेचकर पैसे चुकाए; सभी को अमेरिका पहुंचते ही जेल मिली

Fri, May 29, 2020 5:56 PM

 

  • अमेरिका ने हाल ही में अवैध रूप से रह रहे 76 लोगों को भारत डिपोर्ट किया है, ये लोग अवैध तरीके से दाखिल हुए थे
  • ज्यादातर युवाओं को पहले दक्षिण अमेरिकी देशों में ले जाया गया, इसके बाद मध्य अमेरिकी देश भेजा; जंगलों-नाव से भी सफर किया
 

पानीपत. अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 76 लोगों को भारत भेजा गया है। ये लोग अवैध तरीके से अमेरिका गए थे। अब इन्हें ठगने वाले एजेंटों के खिलाफ केस दर्ज किए जा रहे हैं। करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद और अम्बाला में 20 से ज्यादा कबूतरबाजों (विदेश भेजने वाले एजेंटों) पर केस दर्ज भी हो चुके हैं। लोग अच्छे भविष्य का सपना लेकर अमेरिका गए थे, लेकिन अवैध तरीके से जाने के चलते वहां बॉर्डर पर ही पकड़ लिया गया। इन लोगों को अलग-अलग जेल में रखा गया। अब अमेरिका ने इन्हें वापस भारत भेजा है। विदेश भेजने वाले एजेंटों ने किसी से जमीन अपने नाम कराई तो किसी से अमेरिका भेजने के लाखों रुपए लिए। जानिए ठगी के शिकार युवकों की कहानियां... 

केस- 1 : दादा ने एजेंट को 1 एकड़ जमीन और 7 लाख रु. दिए, सदमे से जान चली गई

करनाल के व्यक्ति ने पोते को अमेरिका भेजने के लिए एक एकड़ जमीन की रजिस्ट्री एजेंट के नाम कराई और 7 लाख रु. नकद दिए। डेढ़ साल पहले एजेंट ने फर्जी कागजात तैयार कर युवक को अमेरिका भेजा। पर वहां पकड़ा गया और जेल भेज दिया गया। दादा की सदमे में मौत भी हो गई। अब लौटा तो कोरोना संक्रमित है। 

केस-2: अपने हिस्से की जमीन और मकान बेचकर गया, जेल में रहा

अम्बाला के रहने वाले पुष्पेंद्र ने अपने हिस्से की जमीन और मकान बेचा। कुछ पैसा उधार लिया। एजेंट ने 14 लाख रु. लिए थे। अप्रैल 2019 में दिल्ली से इथोपिया, ब्राजील, पेरू होते हुए इक्वाडोर पहुंचा। गाड़ी में कोलंबिया और पनामा तक नाव से पहुंचा। 5 दिन पनामा के जंगलों में पैदल चला। 35 दिन कैंपों में गुजरे। फिर कोस्टारिका गया। आगे निकारागुआ से होंडुरास, ग्वाटेमाला होते हुए मैक्सिको पहुंचा। फ्लाइट से टिजुआना पहुंचा और अमेरिकी बॉर्डर पर पहाड़ों की चढ़ाई करते समय पकड़ा गया।

केस-3: एक दुकान बेचकर और कर्ज लेकर बेटे को भेजा अमेरिका

कुरुक्षेत्र के गांव तंगौली के धर्मबीर ने बताया कि उन्होंने बेटे मोहित को अमेरिका भेजने के लिए एक दुकान बेची। कुछ पैसा ब्याज पर कर्ज लिया। बिट्टू उर्फ संदीप निवासी देवीगढ़ ने अमेरिका भेजने का झांसा दिया था। उसे पहले इक्वाडोर ले गए। फिर पैदल और नाव से कई देशों से होते हुए एरिजोना पहुंचाया। अमेरिकी बॉर्डर पर पुलिस ने पकड़ लिया। नवंबर से कैलिफोर्निया की जेल में था। एजेंट ने 15.50 लाख रुपए हड़प लिए। 

केस-4: 13 लाख दिए, दीवार लांघ कर अमेरिका में घुसते ही पकड़े गए

नारायणगढ़ के गांव अहमदपुर के हरप्रीत सिंह ने भी सोनू नाम के एजेंट को अमेरिका पहुंचाने के लिए 13 लाख रुपए दिए। पिछले साल 29 मई को एजेंट ने उसे दिल्ली से इक्वाडोर के लिए फ्लाइट में भेजा। आगे बसों, पैदल और नौका से सफर किया। कोस्टारिका, होंडुरास होते हुए मैक्सिको पहुंचा। 30 अगस्त को अमेरिका बॉर्डर की दीवार फांदकर कैलिफोर्निया में प्रवेश किया, जहां अमेरिकन आर्मी ने पकड़ लिया।

केस-5: 16 लाख और सवा साल तक सफर किया, फिर भी जेल मिली
अम्बाला के गांव बेगो माजरा का 30 वर्षीय पलविंदर सिंह 12वीं तक पढ़ा है। अम्बाला सिटी के एजेंट सुरेंद्र सिंह उर्फ छिंदा ने 16 लाख रुपए में अमेरिका भिजवाने का सौदा किया। 13 मार्च 2019 को दिल्ली एयरपोर्ट से इक्वाडोर की फ्लाइट मिली। उसके बाद टैक्सी से कोलंबिया बॉर्डर पर पहुंचाया। फिर जंगलों से पैदल होते हुए पनामा कैंप ले गए। पनामा से बस में कोस्टारिका बॉर्डर पर पहुंचाया। फिर इमिग्रेशन हुआ। निकारागुआ के बॉर्डर पर भेज दिया गया। वहां पर लेडीज डोंकर ने अपने घर रखा। आखिर में 26 जुलाई 2019 को अमेरिका में एंट्री करवाई लेकिन पकड़े गए। फिर जेल और कैंपों में रखा। 18 मई को टैक्सास से अमृतसर भेज दिया।

केस-6 : मैक्सिको-अमेरिका बाॅर्डर की दीवार फांदते ही फंस गया

अम्बाला के रहने वाले राजेंद्र पाल ने बताया कि रोजगार की तलाश में ही सिटी का एजेंट काका सिंह मेरे पिता के संपर्क में आया। काका ने एक अन्य व्यक्ति के जरिए अमेरिका भेजने का सौदा किया। 15 नवंबर 2019 को दिल्ली एयरपोर्ट से इक्वाडोर की फ्लाइट ली। 17 नवंबर को इक्वाडोर एयरपोर्ट के बाहर एक व्यक्ति लेने आया। 5 दिन होटल में रखा। फिर पनामा के जंगलों में ले जाया गया। 5 दिनों तक जंगल में पैदल ही चलते रहे। पनामा कैंप में 5 दिन रहा, फिर दूसरे कैंप में भेजा जहां चार-पांच दिन रुका। वहां से कंट्री आउट पास दिया गया। आर्मी वालों ने फिर बस में बैठाकर कोस्टारिका के बॉर्डर पर छोड़ दिया। यहां आर्मी ने कंट्री आउट पास दिया और कैंप से बाहर निकाल दिया। पांचवें दिन बस से ग्वाटेमाला पहुंचाया। जहां पर एक महिला घर ले गई और चार-पांच दिन रखा। इसके बाद एक अन्य व्यक्ति आया और दो-तीन दिन पैदल चला कर उसे मैक्सिको बॉर्डर पार कराया, यहां मैक्सिको पुलिस ने 7 दिन तक रखने के बाद कंट्री आउट पास बना कर दिया। फिर एक व्यक्ति होटल ले गया। 7 दिन बाद बस से अमेरिका बॉर्डर पर ले जाया गया, जहां दीवार पारकर अमेरिका में प्रवेश की बात कही। दीवार फांदी तो अमेरिकी आर्मी ने पकड़ लिया। 

केस- 7 : 12 लाख खर्च अमेरिका में एंट्री मिली, 20 मिनट में ही पकड़ा गया

हरियाणा के बकनौर गांव का 41 वर्षीय जरनैल सिंह 10वीं तक पढ़ा है। गांव के ही एजेंट कप्तान सिंह के जरिए अमेरिका गया था। 12 लाख रुपए देने पड़े। पहले दिल्ली से इथोपिया की राजधानी अदिस अबाबा, फिर ब्राजील के साओ पाउलो पहुंचाया। इसके बाद एक और फ्लाइट से उसे पेरू की राजधानी लीमा पहुंचा। यहां से फ्लाइट लेकर निकारागुआ पहुंचा। वहां से ग्वाटेमाला होते हुए मैक्सिको पहुंचा। मैक्सिको से फ्लाइट लेकर अमेरिकी सरहद के पास लगते टिजुआना पहुंचा। 26 जून 2019 को मैक्सिको सीमा बनाई दीवार कूद कर अमेरिका में प्रवेश किया। 20 मिनट बाद ही अमेरिका की आर्मी ने पकड़कर जेल में डाल दिया। बाद में वापस भेजा।

केस- 8 : अमेरिका में घुसते ही जेल पहुंचा कौल का अभिषेक

कौल निवासी अभिषेक ने बताया कि एजेंट सतपाल को मेरे पिता ने विदेश भेजने के नाम पर रुपए दिए थे। फरवरी 2019 में मुझे पहले अफरोड फिर कोलंबिया भेजा गया। कोलंबिया में तीन दिन रहने के बाद समुद्र के रास्ते पनामा भेज दिया। पनामा में 45 दिन रहने के बाद बस द्वारा कोस्ट्रिया भेजा गया। वहां से बस से निकारागुआ और फिर औन्ड्रस भेज दिया। ओन्ड्रस से गोहाटेमाला व फिर मैक्सिको भेजा गया। मैक्सिको से तीन दिन में अमेरिका पहुंच गया। अमेरिका पहुंचते ही पांच मिनट में मुझे पकड़कर जेल डाल दिया। वहां मेरी छह जेल बदली गई। 31 मई 2019 से 18 मई 2020 तक मैं जेल में ही रहा। 18 मई 2020 को मुझे जेल से निकालकर वापस भारत भेज दिया। 

केस-9:  अमेरिका में घुसते ही जेल पहुंचा कौल का अभिषेक
कैथल के रहने वाले अभिषेक ने ढांड थाना में शिकायत दर्ज करवाई कि जांबा निवासी एजेंट सतपाल को मेरे पिता ने विदेश भेजने के नाम पर रुपए दिए थे। फरवरी 2019 में मुझे पहले अफरोड फिर कोलंबिया भेजा गया। कोलंबिया में तीन दिन रहने के बाद समुद्र के रास्ते पनामा देश भेज दिया। पनामा में 45 दिन रहने के बाद बस द्वारा कोस्ट्रिया भेजा गया। वहां से बस द्वारा निकारागुआ, फिर औन्ड्रस भेज दिया। औन्ड्रस से ग्वाटेमाला और फिर मैक्सिको भेजा गया। मैक्सिको से तीन दिन में अमेरिका पहुंच गया। अमेरिका पहुंचते ही पांच मिनट में मुझे पकड़कर जेल डाल दिया। वहां छह जेल बदली गईं। 31 मई 2019 से 18 मई 2020 तक मैं जेल में ही रहा। 18 मई 2020 को मुझे जेल से निकालकर भारत भेज दिया। 

केस-10:  गुरपंथ ने अमेरिका जाने के लिए दिए 20 लाख दिए और जेल मिली
कैथल के ही पाबला निवासी गुरपंथ ने थाना में दी शिकायत में आरोप लगाया कि एजेंट सतपाल को अमेरिका जाने के लिए 20 लाख रुपए दिए थे। एजेंट ने 16 फरवरी 2016 को दिल्ली से जहाज से इक्वाडोर भिजवाया। इक्वाडोर से कोलंबिया पहुंचा, जहां से नाव में पनामा पहुंचा। वहां मिलिट्री वालों ने गिरफ्तार कर लिया और 40 दिन कैंप में बंदी बनाकर रखा। बस में बैठाकर कोस्टरिका छोड़ गए, जहां कैंप में 28 दिन रहे। मैक्सिको से अमेरिकी बॉर्डर के पास पहुंचे। 31 मई 2019 को अमेरिका की दीवार कूदकर अंदर गए, पुलिस ने पकड़ लिया। एक महीना पुलिस चौकी में रखने के बाद 30 जून को जेल भेज दिया। 19 मई 2020 को भारत लाया गया।

ऐसे होता है अवैध प्रवेश : पहले फ्लाइट से इक्वाडोर, फिर जंगल, नदी और सड़कों से यात्रा
ज्यादातर मामलों में दिल्ली से लैटिन अमेरिकी देश इक्वाडोर में फ्लाइट से भेज दिया जाता है। यहां के ज्यादातर देश विदेशी नागरिकों को वीजा ऑन अराइवल की सुविधा देते हैं। इक्वाडोर से सड़क के रास्ते कोलंबिया लाया जाता है। फिर पनामा के रास्ते जंगलों से होते हुए कोस्टारिका, होंडुरास, ग्वाटेमाला से होते हुए मैक्सिको पहुंचाया जाता है। इस सफर में इन्हें 1 से 3 महीने तक का समय लग जाता है। इस यात्रा के दौरान इन लोगों को छोटी-छोटी नाव में छिपा दिया जाता है। 15 दिन तक जंगलों में पैदल सफर करना पड़ता है। सांप, भालू के हमलों के अलावा भूख और प्यास भी कई बार जानलेवा साबित होती है। मैक्सिको बॉर्डर पर कई बार ड्रग्स की तस्करी कराई जाती है।

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