Friday, 6th June 2025

लॉकडाउन में फ्लाइट से रांची पहुंचे मजदूर / ट्रेन में बैठने के पैसे नहीं थे, पैदल चलने की हिम्मत नहीं जुटा पाए; अच्छे लोगों की मदद से हवाई जहाज में बैठकर घर पहुंचते ही धरती को किया प्रणाम

Thu, May 28, 2020 7:29 PM

 

  • 80 प्रवासी मजदूर मुंबई से पहली बार हवाई जहाज की यात्रा कर गुरुवार को रांची पहुंचे
  • मजदूरों ने कहा- लॉकडाउन में अपने गांव जाना और हवाई जहाज की यात्रा, एक सपने जैसा

 

रांची. लॉकडाउन लगने के बाद से मुंबई में फंसे झारखंड के 180 मजदूरों के आज दो सपने सच हुए। एक सपना वर्षों पुराना था और दूसरा दो महीने पुराना। लॉकडाउन लगने के बाद से यह मजदूर वापस झारखंड आने के लिए कई प्रयास कर रहे थे। ट्रेन में बैठने के लिए पैसों की जुगाड़ नहीं हो पा रही थी और बच्चों के साथ इतना लंबा सफर पैदल करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे, तभी नेशनल लॉ स्कूल, बंगलुरु ने इन्हें हवाई जहाज में बैठाकर रांची पहुंचाया। हवाई जहाज में बैठने का सपना तो यह सब देखते थे, लेकिन इसके पूरे होने की उम्मीद किसी को नहीं थी। सपना पूरा हुआ भी उस वक्त, जब इन्हें सहारे की जरूरत थी। रांची में उतरते ही सबने धरती मां को प्रणाम किया और कहा- अब कमाने बाहर नहीं जाएंगे।

रांची एयरपोर्ट के बाहर फ्लाइट से उतरने के बाद बस में बैठी बच्ची अपने हाथों पर लगे होम क्वारैंटाइन की मुहर दिखाती हुई।

अब अपनी धरती पर आ गया हूं, खुश हूं

चतरा के रहने वाले मो. मुर्शिद अंसारी बताते हैं कि वो लेडीज शूट की कटिंग का काम किया करते थे। लॉकडाउन में सब बंद हो गया तो समस्याएं शुरू हो गई। खाना-पीना के साथ रहने की भी परेशानी शुरू हो गई। फ्लाइट में तो मैंने जीवन में पहली बार सफर किया। अब अपनी धरती पर आ गया हूं, खुश हूं। वापस नहीं जाऊंगा। यहीं पर कुछ काम करूंगा।

गांव में ही रहेंगे और यहीं पर कुछ करेंगे

चक्रधरपुर निवासी सरगल व देवेंद्र हेंब्रम मुंबई में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में मजदूरी किया करते थे। लॉकडाउन में समस्या हुई पर घर आने का रास्ता नहीं दिख रहा था। ऐसे में हवाई यात्रा से झारखंड आना आश्चर्य से कम नहीं। हमने पहली बार फ्लाइट से यात्रा की। अब वापस नहीं जाएंगे, गांव में ही रहेंगे और यहीं पर कुछ करेंगे।

सिमडेगा निवासी अफताब अंसारी ने फ्लाइट में पहली बार सेल्फी ली। उन्होंने बताया कि सिलाई का काम करता था, लॉकडाउन में खाने की भी समस्या हो गई।

पहली बार फ्लाइट से सफर किया

हजारीबाग निवासी विनोद दांगी कपड़ा मिल में काम करते थे। लॉकडाउन में काम बंद हो गया और घर से निकलना भी। विनोद ने बताया कि तनख्वाह तक नहीं मिला। सेठ ने पैसे नहीं दिए। बहुत दिक्कत से रह रहा था मुंबई में। खाने को भी नहीं मिल रहा था। पहली बार फ्लाइट से सफर किया, बहुत अच्छा लगा। अब मैं वापस मुंबई नही जाऊंगा।  

बस यह डर था कि कहीं मुझे भी कोरोना संक्रमण ना हो जाए

हजारीबाग के ही रहने वाले जावेद ने बताया कि मुझे वहां रहने और खाने में ज्यादा परेशानी तो नहीं हुई। बस यह डर हमेशा सताता रहता था कि कहीं मुझे भी कोरोना संक्रमण ना हो जाए। अभी मैं होम क्वारैंटाइन में हूं। रेस्ट करूंगा। इसके बाद ही सोचूंगा कि वापस जाना है या नहीं।

एक टाइम खाता था और दाे वक्त भूखा रहता था

गोड्‌डा निवासी रिजवान ने बताया कि मैं वेल्डिंग का काम करता था। लॉकडाउन में बहुत दिक्कत हुई वहां। बिल्कुल फंस गया था। एक टाइम खाता था और दाे वक्त भूखा रहता था। जब तक पैसे थे, सब चलता रहा। इसके बाद तो मांग कर खाने की नौबत आ गई। मैंने कभी नहीं सोचा था कि फ्लाइट से सफर करूंगा और लॉकडाउन में भी अपने घर आ सकूंगा। अब मैं यहीं पर काम करूंगा।

रांची एयरपोर्ट से बाहर निकलने पर हाथों में भारी-भरकम बैग लिए रस्सी के नीचे से निकल बस की ओर जाती महिला।

गांव आने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था

पलामू के रहने वाले सुरेश विश्वकर्मा ने बताया कि लॉकडाउन में मुझे बहुत समस्या हुई। खाने-पीने और रहने की परेशानी की वजह से हमेशा सोचता था कि जल्द अपने गांव चला जाऊं। पर कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। ऐसे में आज पहली बार फ्लाइट से सफर करने का मौका मिला। जब स्थितियां ठीक हो जाएगी तो काम करने वापस जाऊंगा। वहीं, सिमडेगा निवासी अघन सिंह ने बताया कि वो फीटर का काम करते थे। लॉकडाउन में समस्या बहुत हुई। फ्लाइट से पहली बार यात्रा की।

किसी तरह गुजारा कर लिया, अब वापस नहीं जाऊंगा

गिरिडीह निवासी प्रदीप यादव मुंबई में ड्राइवर का काम करते थे। उनके साथ उनकी पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चे पहली बार फ्लाइट से सफर कर रांची पहुंचे। प्रदीप ने बताया कि लॉकडाउन में बहुत समस्या हुई। किसी तरह गुजारा कर लिया। वहां भी कुछ लाेग सुविधा दे रहे थे, खाना खिलाते थे। अब मैं वापस नहीं जाऊंगा। इधर ही कुछ ना कुछ काम कर गुजारा करूंगा।

घर आने का प्रयास किया तो पुलिस जाने नहीं देती थी

हजारीबाग की रहने वाली रीता देवी भी अपने पूरे परिवार के साथ रांची पहुंची। उनके पति मुंबई में टाइल्स का काम करते थे। रीता देवी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान राशन मिल जाता था पर सब्जी नहीं मिलती थी। पुलिस ने बहुत सख्ती कर रखी थी। किसी तरह गुजारा किया। घर आने का प्रयास किया तो पुलिस जाने नहीं देती थी। एक दोस्त ने जानकारी दी फ्लाइट की। इसके बाद हम सभी रांची पहुंच सके। अब वापस नहीं जाना है। यहीं पर काम की तलाश करेंगे।

रांची एयरपोर्ट से बाहर निकलने के बाद सभी लोग बसों के माध्यम से अपने गृह जिले के लिए रवाना हुए।

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