Friday, 30th May 2025

मजदूर की बीमारी से पुणे में मौत / गर्भवती पत्नी रात में चीख उठती है, बेटियां पूछ रही हैं पापा कहा हैं?

Sun, May 24, 2020 5:19 PM

 

  • मां गहने बेचकर लाना चाहती थी भगत को , लॉकडाउन में दूसरे प्रदेश में अपने को खाेने का दर्द
 

बिलासपुर. सुनील शर्मा | 30 साल की राधिका यादव रात में सोते में ही चीख उठती है। फिर अपनी बेटी प्रतिज्ञा और ज्योति को छाती से चिपकाकर बेसुध होकर सो जाती है। ऐसा कोई वक्त नहीं जब वह अपने पति भगत के बारे में नहीं सोचती। उसे याद कर रोती रहती है। घर में उसे दिलासा देने कई लोग हैं लेकिन उसके आंसू सूख नहीं पाते। फिर अपने पेट पर पलते बच्चे को महसूस करते हुए वह उसके भविष्य को लेकर आशंकित हो जाती है। ऐसा पिछले दस दिनों से हो रहा है। उसके लिए यह यकीन कर पाना मुश्किल है उसका पति भगत उसे हमेशा के लिए छोड़कर जा चुका है। मुंगेली जिले के पथरिया ब्लॉक मुख्यालय से 6 किमी दूर गांव पौसरी का भगत यादव (35 वर्ष), उसका बड़ा भाई जगमोहन हर साल होली के बाद पुणे चले जाते। उसके साथ उनके रिश्तेदार भी होते। तब इनकी पत्नियां व बच्चे भी जाते पर भांजे की शादी की वजह से ये अकेले ही वहां गए। लॉकडाउन की वजह से काम बंद था और जब चालू हुआ तो भगत की तबियत बिगड़ गई। उसके पेट में दर्द शुरू हुआ जो उसकी जान जाने के साथ ही खत्म हुआ। पुणे के धानवाड़ी इलाके में बन रहे व्यावसायिक परिसर में मिक्चर मशीन ऑपरेटर भगत का भाई 15 किमी दूर एक दूसरे इलाके में काम करता था। भगत की तबियत खराब हुई तो चैती अपने गहने बेचकर गाड़ी किराया कर उसे लाना चाहती थी लेकिन वह नहीं माना। उसने पेट में दर्द होने की वजह से गाड़ी में नहीं बैठ पाने की बात कह दी। भगत के सुपरवाइजर संजय कर्माकर ने बताया कि 14 मई को उसे सरकारी अस्पताल ले जा रहे थे लेकिन एंबुलेंस में ही उसने दम तोड़ दिया। उसके साढ़ू दिनेश यादव ने उसका अंतिम संस्कार किया। उसकी अस्थियां भी घर नहीं आ सकी। पिता मनीराम कहते हैं कि कोरोना वायरस के लॉकडाउन ने उसके बेटे को छीन लिया। मरने की उम्र तो उसकी थी लेकिन बेटा चला गया। उसकी बड़ी नातिन जब अपने पिता के बारे में पूछती है तो बता नहीं पाता। भगत की भाभी अनिता सभी को किसी तरह संभाले हुई है। सरपंच ने दो हजार रुपए की मदद की है ताकि भगत का दसगात्र कर्म किया जा सके। गांव गमगीन है और हर किसी काे भगत की मौत का दुख हैं। 
मां से कहा था-आप रोना नहीं
मां चैती ने भास्कर को बताया कि कि चार दिन हुआ था उसे काम करते। उसे पेट में दर्द तो पहले भी होता था लेकिन फिर छाती में दर्द हुआ। तब वहां सब अस्पताल बंद थे। काम बंद होने से उसके पास रुपए भी नहीं थे। ससुराल के लोगों ने 30 हजार रुपए भिजवाए। ठेकेदार व रिश्तेदारों ने उसे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती किया। वहां से ठीक होकर उसने फोन लगाया और कहा कि वह चिंता न करें, ठीक है, रोए नहीं, खाना खा ले। पर दूसरे दिन उसकी छाती में फिर दर्द उठा और वह नहीं रहा। 
बड़ा भाई गांव के ही स्कूल में क्वारेंटाइन
भगत का बड़ा भाई जगमोहन पुणे से आने की वजह से गांव के ही स्कूल में 14 दिनों के लिए क्वारेंटाइन है। उसने बताया कि वह यहां आने वाला था नहीं पता चला कि भगत की तबियत खराब हो गई। उसने उसे जाने कहा तो वह आ गया लेकिन वह हमेशा के लिए चला गया। वह क्वारेंटाइन है इसलिए क्रियाकर्म में भी शामिल नहीं हो पा रहा। 

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