Saturday, 7th June 2025

कोरोना ने छीन लिया उजाला / राजस्थान के सवा तीन लाख दृष्टिबाधितों की दो आंखें 'स्पर्श और सहारा' छीनीं, संक्रमण के डर से न कोई हाथ थामने वाला है न राह दिखाने वाला

Sun, May 24, 2020 4:53 PM

 

  • प्रदेशभर में करीब 70 हजार से ज्यादा दृष्टिहीन किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं, जिनका इलाज चल रहा है ये ना डॉक्टर के पास जा पा रहे हैं, न दवा, राशन व अन्य चीजें खरीद पा रहे हैं
  • कोरोना स्पर्श से फैलता है, पर दृष्टिहीनों की जिंदगी तो बिना स्पर्श चल ही नहीं सकती, सरकार को इनकी मदद करनी चाहिए -जितेंद्र नाथ भार्गव, सचिव, राजस्थान नेत्रहीन कल्याण संघ
 

जयपुर. (आनंद चौधरी). कोरोना ने कई जिंदगियों का उजाला छीन लिया...यहां तक कि जिनकी जिंदगी में पहले से ही घनघोर अंधेरा था, उन्हें भी नहीं बख्शा। राजस्थान के सवा तीन लाख दृष्टिहीन लोगों की जिंदगी स्पर्श और सहारे...की दो आंखों से ही चल रही थी। मगर इस रोग ने उनसे ये भी छीन लीं। कोरोना के भय ने मदद के उन हाथों को भी रोक दिया है, जो कभी इन दृष्टिहीनों को सड़क पार करा दिया करते थे। उससे भी ज्यादा तकलीफदेह ये है कि इनकी इस विवशता को देखने वाला भी कोई नहीं है। भास्कर ने कोरोना संकट से जूझ रहे इन दृष्टिहीनों से बात कर उनका दर्द जाना... 
केस-1 : पति-पत्नी दोनों दृष्टिहीन, अब कौन हाथ पकड़कर सड़क पार कराएगा
जयपुर के गणगौरी बाजार निवासी रामगोपाल शर्मा और उनकी पत्नी नेहा शर्मा दोनों दृष्टिहीन हैं। आंखों की रोशनी के बिना उनकी जिंदगी में पहले से ही अंधेरा था लेकिन कोरोनाकाल ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। अब उन्हें यही चिंता सता रही है कि लॉकडाउन खुलने के बाद कौन उनका हाथ थामकर सड़क पार कराएगा, कौन उन्हें बस तक लेकर जाएगा? खुद की मुश्किलों को भुलाकर दोनों कोरोनाकाल में दृष्टिहीन बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने में जुटे हैं।
केस-2: सवाई माधोपुर से जयपुर आकर दवा लेना अब असंभव सा लगने लगा है
मिर्गी रोग से पीड़ित सवाई माधोपुर जिले की बामनवास तहसील के बेहद गरीब परिवार के कमलेश मीणा बचपन से दृष्टिहीन हैं। जयपुर से कमलेश का इलाज चल रहा है लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद से कमलेश को दवा मिलना भी मुश्किल हो गया है। बिना सहारे के कमलेश के लिए जयपुर आकर दवा लेना असंभव सा है।  
केस-3 : धार्मिक आयोजनों में भजन सुना परिवार पाल रहे थे, अब खाने को मोहताज
बचपन से दृष्टिहीन अजमेर जिले के ब्यावर के रहने वाले नंदाराम मीणा धार्मिक आयोजनों में भजन सुनाकर और राजस्थान नेत्रहीन कल्याण संघ के बच्चों को पढ़ाकर परिवार का पेट पालते थे। पर लाॅकडाउन के बाद से भजन-कीर्तन भी बंद हो गए हैं। कल्याण संघ से जो मदद मिलती है वह मकान किराए में खर्च हो जाती है।
प्रदेश में दिव्यांगों की स्थिति

श्रेणी         संख्या
दृष्टिबाधित     314618
मूक-बधिर  218873
विकलांग   427364
मानसिक दिव्यांग  41047
अन्य दिव्यांग     199969

न अपनी दवा ला सकते हैं और न जरूरत की चीजें

प्रदेशभर में करीब 70 हजार से ज्यादा दृष्टिहीन किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं, जिनका इलाज चल रहा है। ये ना डॉक्टर के पास जा पा रहे हैं। न दवा, राशन व अन्य चीजें खरीद पा रहे हैं।
सरकार मदद करे

कोरोना स्पर्श से फैलता है, पर दृष्टिहीनों की जिंदगी तो बिना स्पर्श चल ही नहीं सकती। अब न कोई हाथ पकड़ने वाला है, न राह दिखाने वाला। सरकार को इनकी मदद करनी चाहिए।
-जितेंद्र नाथ भार्गव, सचिव, राजस्थान नेत्रहीन कल्याण संघ
भास्कर विचार
कोरोनाकाल में दृष्टिहीनों की मदद के लिए सरकार को अलग से हेल्पलाइन नंबर जारी करना चाहिए ताकि वे कॉल करके अपनी समस्या बता सकें। इस नंबर की मदद से उन तक सरकारी मदद भी पहुंचाई जा सकती है। 

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