Saturday, 7th June 2025

कोरोना से जंग / इंदौर में 53 दिन में कोरोना से 100 की मौत; जान गंवाने वालों में अधिकतर 50 से 80 वर्ष के बुजुर्ग

Sun, May 17, 2020 5:02 PM

 

  • कोरोना से शनिवार को 100वीं मौत पंचम की फेल के व्यक्ति की, पहली बार रिकॉर्ड 2182 सैंपल जांचे, 92 पॉजिटिव, 2090 निगेटिव
  • 25 मार्च को उज्जैन निवासी 65 वर्षीय महिला की इंदौर के एमवाय अस्पताल में संक्रमण के चलते मौत हो गई थी, यह कोरोना से मप्र की भी पहली मौत थी
 

इंदौर. शनिवार को कोरोना संक्रमित एक मरीज के दम तोड़ने के साथ ही इंदौर में मौत का आंकड़ा 100 पर पहुंच गया। सिर्फ 53 दिन के कोरोनाकाल में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने का शहर के इतिहास में 109 साल बाद यह दूसरा मौका है। इससे पहले 1901 से 1911 के बीच महामारी के कारण 22 हजार मौतें हुई थीं। ऐसा भी पहली बार हुआ, जब 2182 सैंपल की जांच हुई। इसमें 92 नए मरीज मिले, जबकि 2090 की रिपोर्ट निगेटिव आई।

25 मार्च को उज्जैन निवासी 65 वर्षीय महिला की एमवाय अस्पताल में संक्रमण के चलते मौत हो गई थी। यह इंदौर समेत मध्य प्रदेश में कोरोना से पहली मौत थी। जान गंवाने वालों में अधिकतर 50 से 80 वर्ष के बीच हैं और औसत आयु 57 वर्ष है। मृत्य के मामले में इंदौर मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, कोलकाता, दिल्ली के बाद 6वें नंबर पर है। प्रदेश में शुरुआत की 50 मौतें 24 दिनों में हुई। जबकि 100 का आंकड़ा मात्र 8 दिन में पहुंच गया था। अब तक प्रदेश में 195 संक्रमित अपनी जान गवां चुके हैं।

25 मार्च को पहली और 18 अप्रैल को हुई थी प्रदेश में 50वीं मौत
उज्जैन निवासी 65 वर्षीय महिला की 25 मार्च को एमवाय अस्पताल में संक्रमण के चलते मौत हुई थी। यह मध्य प्रदेश में कोरोना से पहली मौत थी। संक्रमित महिला के परिवार में ही 5 लोग संक्रमित पाए गए थे। इसमें महिला का पति, बेटा, पोता-पोती भी शामिल थे। वहीं, 18 अप्रैल को प्रदेश में 50वीं मौत काेराेना संक्रमित जूनी इंदौर थाना प्रभारी की कोरोना से लड़ते हुए मौत हो गई थी।

शहर में दो डॉक्टरों की भी कोरोना से जान गई
9 अप्रैल को काेराेना संक्रमण से इंदौर में रहने वाले 62 वर्षीय डाॅ. शत्रुघ्न पंजवानी की मौत हो गई थी। वे प्राइवेट प्रैक्टिस करते थे। इसके अगले ही दिन पूर्व जिला आयुष अधिकारी डॉ. ओमप्रकाश चौहान (62) की भी मौत हो गई। चौहान कुछ समय से बीमार थे और अरबिंदो अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। इसके अलावा 7 अप्रैल काे इटारसी के देशबंधुपुरा स्थित वेंकटेश क्लीनिक के संचालक  69 वर्षीय डॉ. एनएल हेड़ा की कोरोना पॉजीटिव रिपोर्ट आई थी। भोपाल में इलाज के दौरान 25 अप्रैल को उनकी मौत हो गई थी।

कोरोना संक्रमित दो पुलिस अधिकारियों ने दम तोड़ा
जूनी इंदौर थाना प्रभारी 45 वर्षीय देवेंद्र चंद्रवंशी की 18 अप्रैल को मौत हो गई थी। 19 दिनों तक अरविंदो अस्पताल में चले इलाज के बाद उन्हाेंने आखिरी सांस ली थी। चंद्रवंशी की पहली कोरोना रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। बाद में 13 और 15 अप्रैल की रिपोर्ट निगेटिव आईं। वहीं, उज्जैन के नीलगंगा थाना टीआई यशवंत पाल (59) की 21 अप्रैल को कोरोना से इंदौर में इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

16 अप्रैल को इंदौर में ही एक दिन में सबसे ज्यादा 8 मौतों की पुष्टि
कोरोना संक्रमण से पॉजिटिव मरीजों की संख्या में 16 अप्रैल को सबसे बड़ा आंकड़ा सामने आया था। दिल्ली और एमजीएम मेडिकल कॉलेज के सैंपल की रिपोर्ट में 244 नए मरीज मिले। वहीं, 8 लोगों की मृत्यु भी हुई थी। इसमें सराफा बाजार के दो व्यापारी भाई शामिल थे।

  • 109 साल पहले एक महामारी ने ली थी हजारों जान, उसके बाद कोरोना सबसे बड़ी त्रासदी
  • 1881: इस बीमारी का नाम व कारण पता नहीं चला, लेकिन इससे तब 109 लोग बीमार हुए थे। इनमें से 52 की मौत हो गई।
  • 1897: इस साल शहर में ग्रंथिक ज्वर की बीमारी फैली। उसका खौफ व असर बहुत कुछ कोरोना जैसा ही था। बीमारी फैलने के बाद वैसी ही हिदायतें दी गईं, जैसी अभी कोरोना के लिए दी जा रही हैं। तब की मौतों का आंकड़ा स्पष्ट नहीं है, पर जानकार बताते हैं कि 30 के लगभग जानें गई थीं।
  • 1901 से 1911: शहर में इन दस सालों में कई संक्रामक बीमारियां फैलीं। 1903 के बाद कई बार बीमारी का प्रकोप ऐसा हुआ कि बाजार, स्कूल, कॉलेज, दफ्तर बंद हो गए। इन 10 सालों में करीब साढ़े 22 हजार लोगों की मौत हुई थी। इतने ही पलायन कर गए थे।
  • 1984: सिख विरोधी दंगों की आंच नवंबर के पहले हफ्ते में इंदौर तक पहुंची और इसका असर करीब तीन सप्ताह तक रहा। इस दौरान 19 लोगों की मौत हो गई।
  • 1989: इस साल हुए सांप्रदायिक दंगों में पूरा मध्य शहर झुलसा और 19 लोगों की जान गई।
  • 1992: दो संप्रदायों के बीच हुई हिंसा में 21 लोगों की जान गई।
  • 2018-19: स्वाइन फ्लू के अलग-अलग समय फैले प्रकोप ने कई मरीजों को शिकार बनाया। 100 दिन में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई।
  • 2020: कोरोना से अब तक 100 मौतें हो चुकी।
  • ( जानकारी इतिहासकार जफर अंसारी के मुताबिक। इसके अलावा 2008 में फसाद, 2016 में इंदौर-राजेंद्र नगर ट्रेन हादसा, सरवटे बस स्टैंड होटल हादसा, राऊ पटाखा गोदाम हादसा, 2018 में स्कूल बस दुर्घटना में भी कई की जान गईं)

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