Saturday, 7th June 2025

विश्व परिवार दिवस / राजस्थान में 5 पीढ़ियों से एक चूल्हे का खाना खा रहे परिवार के 165 लोग, लॉकडाउन में 3 क्विंटल सांगरी तोड़ी, 40 चारपाई; सालभर की बड़ियां बनाईं

Fri, May 15, 2020 5:05 PM

 

  • कोरोनावायरस संकट के बीच संयुक्त परिवारों की ताकत को बताने वाली दो कहानियां
  • परिवार के सदस्य बढ़े तो खेत में ही बनाए तीन और मकान
 

नागौर. ये है राजस्थान के नागौर जिले के पांचौड़ी गांव का प्रजापत परिवार। इस परिवार में 5 पीढ़ियों के 165 लोग साथ रहते हैं। 32 दोहिते-दोहितियां अलग हैं। इस परिवार के मुखिया सुरजाराम का तीन साल पहले 105 साल की उम्र में निधन हो गया था। प्रजापत के छह बेटे हैं। परिवार में सदस्य बढ़े, तो खेत में ही तीन और मकान बना लिए। परिवार में छोटा-बड़ा हर निर्णय अब सुरजाराम के बड़े बेटे दुर्गाराम लेते हैं। छह भाइयों के पास 40 बीघा जमीन है। परिवार के अधिकांश लोग मजूदरी करते हैं। दूसरों की जमीन भी हिस्से पर लेकर पेट पालते हैं। 
पशुओं के लिए 10 नए छप्पर भी बना लिए
परिवार के सभी सदस्यों ने लॉकडाउन में तीन क्विंटल सांगरी इकट्ठी कर ली। 40 नई चारपाई बना ली। यही नहीं, बकरियों व अन्य पशुओं के लिए 10 नए छप्पर भी बना लिए हैं। वहीं खेत में बाड़बंदी कर ली। भेड़ों की काटी गई ऊन की कताई की है। महिलाओं ने सालभर की पापड़-बड़ियां भी बना लीं।
गांव में संक्रमण न फैले इसलिए मास्क बनाकर दे रहा 54 सदस्यों का परिवार
नागौर के रेण गांव का 54 सदस्यों वाला गोयल परिवार संयुक्त रूप से कोरोना संक्रमण की लड़ाई लड़ रहा है। परिवार के सभी एकजुट होकर गांव को कोरोना मुक्त रखने मास्क बनाने में जुटे हैं। ये घर पर मास्क और सैनिटाइजर बनाकर गांव को बांटते हैं। 6 भाइयों के इस परिवार की मुखिया 84 साल की केसर देवी गोयल बताती हैं कि संयुक्त परिवार ही खुशियों का आधार है। उनके 6 बेटों, 10 पोताें और 6 पड़पोतों का कुनबा आज भी एक ही छत के नीचे रहता है। कुछ पौत्र व्यवसाय और सरकारी सेवा के लिए बाहर जरूर रह रहे हैं, मगर इस वक्त भी गांव में 44 सदस्य एक ही छत के नीचे निवास करते हैं। 

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