Saturday, 7th June 2025

लॉकडाउन का साइड इफेक्ट / बीई की पढ़ाई पूरी कर पीएससी की तैयारी में जुटे युवा, मनरेगा में कर रहे काम, मोबाइल दुकान बंद होने से आर्थिक स्थिति बिगड़ी इसलिए मिट्‌टी खोदकर रोज कमा रहे 200 रुपए

Thu, May 14, 2020 5:51 PM

रायपुर. लवकुश शुक्ला। डीबी स्टार को जानकारी मिली कि राजधानी से सटे सिवनी में शिक्षित बेरोजगार मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं। टीम जब मौके पर पहुंची तो पाया कि आर्थिक स्थिति मजबूत करने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद भी युवा मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ युवा मोबाइल दुकान और अन्य दुकानें बंद होने की वजह से मनरेगा में काम कर रहे हैं। मिट्‌टी खोद कर दिनभर की 200 से 250 रुपए तक मजदूरी कमा रहे हैं। इस पूरे क्षेत्र में एसटी, एससी और ओबीसी समेत सामान्य वर्ग के तकरीबन 200 से ज्यादा युवा शिक्षित होने के बाद भी बेरोजगार हैं। जो कि इसी तरह से काम कर रोजी कमा रहे हैं। वहीं, इन्होंने रोजगार कार्यालय में पंजीयन भी कराया है। जहां मन मुताबिक नौकरी नहीं मिलने से वे मनरेगा में काम कर अपना घर चला रहे हैं।
परिवार की आय बढ़ाने मजदूरी
लॉकडाउन में रोजी-रोटी के लिए युवाओं के माता-पिता मनरेगा में मजदूरी करने जा रहे हैं। उनकी मजबूरी को देख डिग्री और डिप्लोमाधारी शिक्षित युवा भी मनरेगा में गोदी खोदने के लिए जाने मजबूर हैं। वे बताते हैं कि घर की आर्थिक दिक्कतों के कारण वे गोदी खोदने के लिए मजबूर हैं। क्योंकि योग्यता के अनुरूप नौकरी ही नहीं निकल रही है।
2 सौ से ज्यादा युवा बेरोजगार
सिवनी में तीन जगह मनरेगा के तहत निर्माण कार्य चल रहा है। जिसमें क्षेत्र के 2 सौ से ज्यादा शिक्षित युवा रोजी-मजदूरी करने मजबूर हैं। इनके माता-पिता की पीड़ा यह है कि किसी तरह बेटों को पढ़ाया, ताकि उनका भविष्य संवारा जा सके। लेकिन लॉकडाउन के कारण रोजगार दफ्तर समेत अन्य कार्यालय बंद होने की वजह से इन्हें भी साथ में मजदूरी करना पड़ रहा है।
बेरोजगार हैं, विषम परिस्थिति में परिवार की मदद भी जरूरी
1.
खुद की मोबाइल दुकान चलाने वाले संजू साहू बताते हैं कि उन्होंने बीई की पढ़ाई छोड़कर बिजनेस शुरू किया। वहीं, लॉकडाउन की वजह से दुकानें बंद होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में वे मनरेगा के तहत खोदाई का काम करते हुए अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। साथ ही एलएलबी की पढ़ाई भी कर रहे हैं।
2. बीई मेकेनिकल पास आउट योगेश पाल अब पीएससी की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, आर्थिक स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं होने की वजह से अब वे मनरेगा के तहत पिछले एक सप्ताह से खोदाई का काम कर रहे हैं। जहां उन्हें 200 से 250 रुपए तक रोजी मिल रही है।
3. गोपाल साहू बताते हैं कि उन्होंने कंप्यूटर साइंस में पीजी करने के बाद पीजीडीसीए किया। इसके बाद उन्होंने रोजगार कार्यालय में काम की तलाश की। जहां मार्केटिंग का जॉब होने की वजह से उन्होंने इसे छोड़ दिया। अब आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए दो हफ्ते से मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं। जहां उन्हें रोज 200 से 250 रुपए मिल रहा हैं।
4. ऑटोमेटिव मैनुफैक्चरिंग में आईटीआई करने वाले चंद्रहास साहू बताते हैं कि वे पहले गुड़गांव की एक निजी ऑटोमोबाइल कंपनी में जॉब करते थे। जहां से पारिवारिक कारणों से नौकरी छोड़ दी। वापस आने के बाद लॉकडाउन से पहले रोजगार कार्यालय के प्लेसमेंट कैंप में जाकर नौकरी खोज रहे हैं।

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