Saturday, 7th June 2025

जवान शहीद / पत्नी से सुबह बोले-लद्दाख में ऊंचाई पर हूं, ऑक्सीजन कम है, शाम काे बात करूंगा, शाम को सूचना आई पति नहीं रहे

Tue, May 12, 2020 5:02 PM

 

  • जम्मू के लेह लद्दाख में 8 मई को ऑक्सीजन कम मिलने से बिगड़ी तबीयत के कारण हुआ निधन
 

झुंझुनू. (राजकुमार शर्मा). कहते हैं कि शहीद के घर जाना किसी मंदिर जाने जैसा है। इसलिए आज हम आपको शहीद अम्मीलाल के गांव पनिया की ढाणी तन भगेरा लेकर चलेंगे। गांव में सूबेदार मेजर शहीद अम्मीलाल की पार्थिव देह पहुंची तो लोगों ने पुष्पवर्षा के साथ स्वागत किया। ड्रोन से फूल बरसाए गए। बलवंतपुरा फाटक-नवलगढ़ से ही पुष्पवर्षा शुरू कर दी गई थी। यहां से गांव 18 किमी दूर है। युवाओं का जोश देखिए कि अपने गांव के वीर सपूत को श्रद्धाजंलि देने के लिए युवा 100 मोटर साइकिल लेकर रवाना हुए। युवा हाथों में तिरंगा लिए हुए थे। खास बात यह है कि अपने गांव के सपूत को श्रद्धांजलि देने के लिए सोशल डिस्टेंस की पालना करना नहीं भुले।

अम्मीलाल सिहाग लेह लद्दाख क्षेत्र में तैनात थे। वे 45 साल के थे। वे अंतिम बार जनवरी में छुट्टी आए थे। आठ मई को लेह के सैनिक अस्पताल में इलाज के दौरान उनका असामयिक निधन हो गया था। इसी दिन उन्होंने अपनी पत्नी बबीता से फोन पर बात की थी। पत्नी से कहा था-लद्दाख पर ऊंचाई पर जाना है। वहां पर ऑक्सीजन कम होने की वजह काफी परेशानी होती है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। वहां पहुंचने के बाद शाम को बात करूंगा। देर शाम को सेना से फोन आया और पत्नी से पूछा कि आपके पास कोई पुरुष है क्या? बात करा दो। पत्नी ने कहा कि मेरे पास कोई नहीं है। बच्चे भी इस वक्त नहीं है। बाद में सेना के अधिकारी ने उनके निधन की सूचना दी। यह सुनकर पत्नी बेहोश हो गईं।

पिता की मौत के बाद ही सेना में चले गए थे

अम्मीलाल 16 साल के थे। तभी उनके पिता की मौत हो गई थी। तभी से उन्होंने तय कर लिया था कि सेना में जाएंगे। आखिरी बार जनवरी में गांव छुट्‌टी पर आए थे। सांसद नरेंद्र खींचड़, विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा, एसडीएम मुरारीलाल शर्मा, तहसीलदार कपिल उपाध्याय, जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के कमांडर परवेज अहमद, डीएसपी रामचंद्र मूंड, सीआई महावीर सिंह राठौड़, मेजर मूलचंद डूडी, युवा नेता श्रवण निवाई, नाहरसिंह पीटीआई, लोकेश जांगिड़ ने आखिरी विदाई दी।

खराब मौसम के कारण पार्थिव देह लाने में लगा वक्त

निधन की सूचना आई, तब पत्नी के साथ बेटी ही थी। सेना की टुकड़ी के साथ आए अधिकारी जयप्रकाश ने बताया कि मौसम खराब होने की वजह से उनकी पार्थिव देह को लाने में समय लग गया। सोमवार दोपहर बाद उनकी देह पहुंची तो गांव में शोक की लहर छा गई। शहीद की पत्नी बबीता, बेटा दीक्षित व बेटी निधि तिरंगे में लिपटा देख बिलख उठे। पिता को मुखाग्नी बेटे दीक्षित व बेटी निधि ने दी। उस वक्त सभी की आंखें नम थी।

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